नई दिल्ली: कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) एक बचत साधन है जो वेतनभोगी कर्मचारियों को उनके भविष्य के लिए बचत करने में मदद करता है। यह योजना कर्मचारियों को हर महीने एक छोटी सी राशि डालकर अपने सेवानिवृत्ति कोष का निर्माण करने में मदद करती है। कर्मचारी और नियोक्ता दोनों कर्मचारी के खाते में योगदान करते हैं।
हालांकि, पिछले कुछ समय से, ग्राहकों को उनके पीएफ की ब्याज राशि उनके खाते में जमा नहीं हुई है। इंफोसिस के पूर्व सीएफओ और पूर्व निदेशक टीवी मोहनदास पई के एक ट्वीट का जवाब देते हुए वित्त मंत्रालय ने कहा है कि ब्याज भुगतान में देरी का मतलब पैसे का नुकसान नहीं है।
वित्त मंत्रालय ने ट्वीट किया, ‘किसी भी ग्राहक के लिए ब्याज की कोई हानि नहीं होती है। ब्याज सभी ईपीएफ ग्राहकों के खातों में जमा किया जा रहा है। हालांकि, यह ईपीएफओ द्वारा लागू किए जा रहे एक सॉफ्टवेयर अपग्रेड के मद्देनजर दिखाई नहीं दे रहा है ताकि कर की घटनाओं में बदलाव हो सके।’
आगे कहा गया है, ‘निपटान चाहने वाले सभी आउटगोइंग सब्सक्राइबर्स और निकासी चाहने वाले सब्सक्राइबर्स के लिए भुगतान ब्याज सहित किया जा रहा है।’
There is no loss of interest for any subscriber.
The interest is being credited in the accounts of all EPF subscribers. However, that is not visible in the statements in view of a software upgrade being implemented by EPFO to account for change in the tax incidence. (1/2) https://t.co/HoY0JtPjII
— Ministry of Finance (@FinMinIndia) October 5, 2022
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इस साल जून में, वित्त मंत्रालय ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के प्रस्ताव को 2021-2022 में EPF निवेश पर ब्याज दर को 8.5% से घटाकर 8.1% करने के प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी। केंद्र की मंजूरी के साथ, ईपीएफ ब्याज दर अब 40 वर्षों में सबसे कम है। पिछली बार ब्याज दर 8.1% से कम थी जो 1977-78 में थी, तब यह 8% थी। हालांकि, ऐसे समय में जब मुद्रास्फीति की दर ऊंची बनी हुई है, ईपीएफ निवेश पर कम रिटर्न निवेशकों को सावधान कर सकता है।
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