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Swiggy, Zomato, Amazon से Flipkart तक डिलीवरी वर्कर्स हड़ताल पर, नहीं मंगा पाएंगे आज Online सामान

आज शाम अगर आप पार्टी शाटी का प्रोग्राम बना रहे हैं और ऑनलाइन खाना मंगाना चाहते हैं तो संभवत: आपके इस प्‍लान पर पानी फ‍िर सकता है. क्‍योंक‍ि देशभर में आज ड‍िलीवरी वर्कर्स छुट्टी पर हैं. जानें ड‍िलीवरी वर्कर्स ने ये कदम क्‍यों उठाया है?

Author Written By: Vandana Bharti Updated: Dec 31, 2025 10:35
आज ड‍िलीवरी बॉय की स्‍ट्राइक

अगर आज आप पार्टी करने के मूड में हैं और ऑनलाइन खाने पीने की चीजें मंगाने का प्‍लान कर रहे हैं तो आपके ल‍िए ये जरूरी खबर है. आपके इस प्‍लान पर ड‍िलीवरी वर्कर्स पानी फेर सकते हैं. स्‍व‍िगी, जोमैटो से लेकर फ्ल‍िपकार्ट तक, आज ड‍िलीवरी वर्कर्स हड़ताल पर हैं. बता दें क‍ि साल के आख‍िरी द‍िन, जब लोग न्‍यू ईयर सेलीब्रेशन करते हैं, तब ऑनलाइन सर्व‍िस की मांग बढ़ जाती है.

इस हड़ताल की अगुवाई तेलंगाना गिग एंड प्लेटफॉर्म वर्कर्स यूनियन (TGPWU) और इंडियन फेडरेशन ऑफ ऐप-बेस्ड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स (IFAT) कर रहे हैं और इसे महाराष्ट्र, कर्नाटक, दिल्ली-NCR, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु के कुछ हिस्सों के प्लेटफॉर्म वर्कर यूनियनों सहित कई क्षेत्रीय संगठनों का समर्थन म‍िल गया है. यूनियन नेताओं का दावा है कि फूड डिलीवरी, क्विक कॉमर्स और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर एक लाख से ज्‍यादा डिलीवरी वर्कर नए साल की पूर्व संध्या पर या तो ऐप से लॉग आउट करेंगे या काम काफी कम कर देंगे.

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क्‍यों कर रहे हैं स्‍ट्राइक

यूनियनों का कहना है कि फूड डिलीवरी और क्विक कॉमर्स के तेजी से बढ़ रहे हैं, लेक‍िन डिलीवरी का काम करने वालों को बेहतर सैलरी, नौकरी की सुरक्षा या सुरक्षित काम करने की स्थिति नहीं मिली है. यूनियन नेताओं के अनुसार, ये प्लेटफॉर्म स्पीड और कस्टमर की सुविधा को प्राथमिकता देते रहते हैं, जबकि कर्मचारियों को बढ़ते वर्कलोड और घटती कमाई का खामियाजा भुगतना पड़ता है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक र‍िपोर्ट के अनुसार TGPWU के फाउंडर और IFAT के नेशनल जनरल सेक्रेटरी शेख सलाउद्दीन ने कहा क‍ि हमारी देशव्यापी हड़ताल ने भारत की गिग इकॉनमी की सच्चाई को सामने ला दिया है. उनका कहना है कि जब भी डिलीवरी वर्कर्स ने अपनी आवाज उठाई है, तो इन प्लेटफॉर्म कंपनियों ने उनकी ID ब्लॉक करके, धमकियां देकर, पुलिस कंप्लेंट की धमकी देकर और एल्गोरिदम के जरिए सजा देकर जवाब दिया है. सलाउद्दीन के अनुसार यह और कुछ नहीं, बल्कि नए जमाने का शोषण है. गिग इकॉनमी मजदूरों के टूटे हुए शरीर और दबी हुई आवाजों पर नहीं बनाई जा सकती.

First published on: Dec 31, 2025 08:58 AM

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