Budget 2023: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वित्त वर्ष 2023-24 के लिए आज अपना पांचवां बजट पेश करेंगी। इस साल का बजट खास है। ये बजट 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार 2.0 का आखिरी पूर्ण बजट है। बजट सरकार का एक आर्थिक लेखा-जोखा होता है, जिसमें सरकार यह बताती है कि एक वित्तीय वर्ष में कहां से कितनी आय प्राप्त करेगी और उसे कहां खर्च करेगी। बजट के दौरान वित्त मंत्री द्वारा बार-बार कई ऐसे शब्दों का जिक्र किया जाता है जिन्हें जानना हर किसी के लिए महत्वपूर्ण है। हम आपको ऐसे ही शब्दों के बारे में बता रहे हैं जिससे आपके लिए इसे समझना बेहद ही आसान हो जाएगा।
Budget 2023: बजट के दौरान इन शब्दों का होगा बार-बार जिक्र
राजकोषीय नीति (Fiscal Policy)
वित्त मंत्री द्वारा हर साल बजट के दौरान सरकार की राजकोषीय नीति बताई जाती है। इसे फिस्कल पॉलिसी भी कहते हैां। इसके तहत सरकार सभी को ये बताती है कि अगले वित्तीय वर्ष में किस तरह से खर्च करेगी और टैक्स सिस्टम क्या होगा। ये बजट के सबसे महत्वपूर्ण भाग में से एक होती है और इससे सरकार का विजन सामने आता है। यह देश की आर्थिक हालत का संकेत देने वाला एक प्रमुख जरिया है।
और पढ़िए – थोड़ी देर में बजट पेश करेंगी निर्मला सीतारमण, संसद में लाई गईं कॉपियां
राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit)
सरकार के कुल खर्च अगर कुल राजस्व से ज्यादा हो जाएं तो उसे घाटा उठाना पड़ता है। खर्च और राजस्व के बीच के इस निगेटिव अंतर को ही राजकोषीय घाटा यानी फिस्कल डेफिसिट कहते हैं। ये देश की आर्थिक सेहत को दर्शाने वाला एक महत्वपूर्ण पहलू है। हर देश की सरकार चाहती है कि ये घाटा कम से कम हो ताकि देश की आर्थिक सेहत पर असर ना पड़े। इसके आंकड़े सभी के लिए जानना बेहद जरूरी है।
कैपिटल बजट (Capital Budget)
वित्त मंत्री द्वारा पेश किए गए बजट के कई हिस्से होते हैं जिसमें कैपिटल बजट वह भाग होता है जिसमें सरकार विभिन्न जगहों से लिए गए लोन और उसके भुगतान को लेकर जानकारी देती है। इसमें जनता, आरबीआई और विभिन्न संस्थाओं द्वारा सरकार को दिए गए लोन की जानकारी होती है।
रेवेन्यू बजट (Revenue Budget)
किसी भी देश को चलाने के लिए सरकार की आमदानी होना बेहद जरूरी है। वित्त मंत्री द्वारा पेश किए जा रहे बजट में रेवेन्यू एक महत्वपूर्ण भाग है जिसमें सरकार विभिन्न जगहों से मिलने वाली पूंजी के बारे में बताती है। इसमें डायरेक्ट टेक्स, इनडायरेक्ट टेक्स आदि शामिल है।
पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure)
पूंजीगत व्यय या कैपिटल एक्सपेंडीचर भी बजट का एक खास हिस्सा है। इसका मतलब उन खर्चों से है, जो सरकार नए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने, नए फिजिकल एसेट्स या उपकरण खरीदने या उन्हें अपग्रेड करने जैसे कामों पर खर्च करती है। ये देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण कदम होते हैं और सभी की निगाहें इस पर जरुर रहती है।
और पढ़िए – वित्त मंत्री ने अपनी ही सरकार के करों को बताया भयानक और फिर बन गए देश के पीएम
कस्टम ड्यूटी (Customs duty)
कस्टम ड्यूटी वस्तुओं के एक्सपोर्ट या इंपोर्ट पर लगाई जाती है। इसका बोझ आखिरकार इन वस्तुओं के एंड यूजर पर ही पड़ता है। अगर सरकार किसी वस्तु की कस्टम ड्यूटी कम करती है तो उसकी कीमत कम हो जाती है वहीं ज्यादा करने पर कीमत में उछाल देखा जा सकता है। इसे जीएसटी से फिलहाल अलग रखा गया है।
करंट अकाउंट डेफिसिट (Current Account Deficit)
करेंट एकाउंट डेफिसिट को हिंदी में चालू खाते का घाटा भी कहते हैं। यह देश के अंतरराष्ट्रीय व्यापार यानी निर्यात-आयात की हालत का संकेत देता है। आमतौर पर भारत का इंपोर्ट एक्सपोर्ट से ज्यादा होता है और इसी के बीच के अंतर को करंय अकाउंट डेफिसिट कहते हैं।
बजट अनुमान (Budget Estimate)
बजट एस्टिमेट में सरकार अगले वित्त वर्ष में अपनी कमाई और खर्चों का अनुमान पेश करती है, इसे बजट अनुमान कहा जाता है। इसमें सरकार बताती है कि वित्त वर्ष में कितनी आय और कितना खर्च होने का अनुमान है।
और पढ़िए – बिजनेस से जुड़ी अन्य बड़ी ख़बरें यहां पढ़ें