राजधानी दिल्ली में इस समय कारों की संख्या लगातार बढ़ रही है। हर जगह आपको कारें ही कारें नजर आ जाएगी । एक घर में 3-4 कारें देखने को मिल रही है। हर गली में आपको कारों की लंबी लाइन देखने को मिल जाएगी। इतनी कारें हो गई हैं कि अब तो निकलना भी मुश्किल हो गया है। अब जितनी गाड़ियां उतना प्रदूषण बढ़ रहा है। इतना ही नहीं पार्किंग की समस्या भी लगातार बढ़ रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन बातों को ध्यान में रखते हुएदिल्ली सरकार एक नई इलेक्ट्रिक वाहन नीति (EV Policy 2.0) लाने की तैयारी में है। इस नई इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी का ड्राफ्ट सामने आ चुका है।
इस ड्राफ्ट में इलेक्ट्रिक कारों को बढ़ावा देने और फॉसिल फ्यूल (पेट्रोल-डीजल और सीएनजी) से चलने वाली कारों पर लगाम लगाने की बात की जा रही है। नई इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी काफी हद तक कारों के लिए परिवार नियोजन जैसी ही लग रही है। इस ड्राफ्ट के अनुसार दिल्ली के हर घर में खरीदी जाने वाली तीसरी निजी कार इलेक्ट्रिक वाहन ही होनी चाहिए।
तीसरी कार इलेक्ट्रिक होगी!
यानी जिनके पास दो कारें (पेट्रोल-डीजल या सीएनजी) हैं और वो तीसरी कार खरीदना चाहते हैं तो उन्हें इलेक्ट्रिक कार ही खरीदनी होगी। हालांकि जिनके पास पहले से तीन या चार कारें हैं उन पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा। लेकिन आगे से यदि वो नई कार खरीदना चाहते हैं तो वो इलेक्ट्रिक ही होनी चाहिए। इस नई नीति का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि 2027 तक दिल्ली में रजिस्टर्ड 95% नई कारें
इलेक्ट्रिक होंगी। इतना ही नहीं 2030 तक इसे बढ़ाकर 98% तक किया जाएगा। इस ड्राफ्ट के अनुसार अगस्त 2026 से गैर-इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स(स्कूटर-बाइक) के रजिस्ट्रेशन पर भी प्रतिबंध लगाने की भी उम्मीद की जा रही है। अगले साल अगस्त से दिल्ली में पेट्रोल, डीजल या सीएनजी से चलने वाले दोपहिया वाहनों का भी रजिस्ट्रेशन नहीं किया जाएगा। इसके अलावा अगस्त 2025 से दिल्ली में सीएनजी ऑटो के रजिस्ट्रेशन पर भी रोक लगाने की योजना है।
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