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आखिर ‘प्राण प्रतिष्ठा’ क्या है? राम लला की मूर्ति के साथ ऐसा ना होने पर क्या होगा?

Pran Pratishtha Importance: इस साल 22 जनवरी को अयोध्या में भगवान राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। प्राण प्रतिष्ठा क्या है? जानिए।

Edited By : Dipesh Thakur | Updated: Jan 3, 2024 11:50
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Pran Pratishtha Importance

What is Prana Pratishtha Pran Pratishtha Meaning Importance in Hindi: प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्या में 22 जनवरी 2024 को मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम रखा गया है। गर्भगृह में श्रीराम की जिस मूर्ति को प्रतिष्ठित (स्थापित) किया जाएगा, उसकी ऊंचाई 51 इंच यानी 129.54 सेंटीमीटर होगी। किसी भी मूर्ति की ‘प्राण प्रतिष्ठा’ बेहद खास अनुष्ठान (कार्यक्रम) होता है। जिसमें वैदिक मंत्रों के द्वारा ऐसा किया जाता है। जिसकी प्रक्रिया लंबी होती है। बहरहाल,  प्रत्येक राम भक्तों के मन में ऐसे सवाल उठ रहे हैं कि आखिर प्राण प्रतिष्ठा क्या है? इस दौरान होता क्या है? साथ ही अगर मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा ना की जाए तो फिर क्या होगा? आगे इस बारे में जानिए।

प्राण प्रतिष्ठा किसे कहते हैं?

देवी-देवताओं की मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा की परंपरा वैदिक काल से चली आ रही है। प्राण के बिना किसी भी चीज का अस्तित्व नहीं है। दूसरे अर्थों में इसे ऐसा समझा जा सकता है मनुष्य शरीर का अस्तित्व भी तभी है, जब तक की उसमें प्राण है। पेड़-पौधे ही तभी तक हरे-भरे नजर आते हैं, जब तक उसमें प्राण है। किसी भी मूर्ति में जब वैदिक मत्रों के उच्चारण और खास विधि द्वारा उसमें प्राण को प्रतिष्ठित (स्थापित) किया जाता है तो उसे ‘प्राण प्रतिष्ठा’ कहते हैं। कहा जाता है कि अगर किसी मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा नहीं होगी तब तक उसका अस्तित्व नहीं है। यानी जब विधिवत मूर्ति में प्रतिष्ठा की जाती है तभी उसकी पूजा से लाभ प्राप्त होता है। यही वजह है कि मंदिरों में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जाता है।

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मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा नहीं होने पर क्या होगा?

पुरी के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज ने इस संबंध में अपने विचार व्यक्त किए हैं। उनके मुताबिक, मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा ना होने पर उसमें भूत, प्रेत, पिशाच इत्यादि नकारात्मक शक्तियों का वास हो जाएगा। ऐसे में पत्थर की मूर्ति की पूजा करने से कुछ भी प्राप्त नहीं किया जा सकता है। इसे एक उदाहरण से समझा जा सकता है कि घर में एक बल्व टंगा है और वह तब तक प्रकाश नहीं देता जब तक कि इसमें विद्युत रूपी प्राण को ना डाला जाए।

प्राण प्रतिष्ठा के लिए जरूरी बातें

मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा शुभ नक्षत्र-ग्रह, तिथि, वार, समय, मंत्र, पुरोहित (पंडित), यजमान इत्यादि को ध्यान में रखकर किया जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि शुभ समय में किए गए कार्यों का फल भी शुभ ही प्राप्त होता है। यही वजह है कि सनातन परंपरा में किसी भी कार्य को करने के लिए शुभता का ध्यान रखा जाता है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।

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Written By

Dipesh Thakur

First published on: Jan 03, 2024 11:50 AM

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