---विज्ञापन---

ज्योतिष

देश में एक तीर्थ स्थल, जहां एक बार पिंडदान कर लिया तो हर साल श्राद्ध करने की जरूरत नहीं पड़ती

Bihar Bodh Gaya Importance For Pitru Shradh: श्राद्ध चल रहे हैं। देशभर के लोग इन दिनों पिंडदान करने के लिए तीर्थस्थलों पर जाते हैं। अपने पितरों की शांति के पूजा पाठ कराते हैं। देशभर में पिंडदान और श्राद्ध कर्म करने के लिए 55 तीर्थ स्थल मान्य हैं, लेकिन क्या आप देश में ही बने उस […]

Author Edited By : Khushbu Goyal Updated: Oct 5, 2023 14:12
Pitru Paksha Shradh
Pitru Paksha Shradh

Bihar Bodh Gaya Importance For Pitru Shradh: श्राद्ध चल रहे हैं। देशभर के लोग इन दिनों पिंडदान करने के लिए तीर्थस्थलों पर जाते हैं। अपने पितरों की शांति के पूजा पाठ कराते हैं। देशभर में पिंडदान और श्राद्ध कर्म करने के लिए 55 तीर्थ स्थल मान्य हैं, लेकिन क्या आप देश में ही बने उस तीर्थ स्थल के बारे में जानते हैं, जहां एक बार पितरों का पिंडदान कर दो तो जिंदगी में दोबारा श्राद्ध करने की जरूरत नहीं पड़ती। जी हां, ऐसी एक जगह है, जहां हर साल लाखों लोग पिंडदान करने के लिए जाते हैं। वहां सालभर पिंड किया जाता है।

यह भी पढ़ें: Pitru Paksha 2023: कौन होते हैं पितर, सपने में दिखाई दें तो जानें इसका क्या मतलब

---विज्ञापन---

गया में श्राद्ध से 7 पीढ़ियों का उद्धार होता

बात हो रही बिहार जिले में स्थित गया तीर्थ स्थल की, जिसे भगवान बुद्ध की नगरी भी कहते हैं। इसके बारे में मान्यता है कि इस तीर्थ स्थल पर पिंडदान करने से 108 कुलों और 7 पीढ़ियों का उद्धार हो जाता है। पितरों को एक ही बार में मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। यहां पिंडदान करने के बाद जिंदगी में कभी दोबारा उन पितरों का श्राद्ध करने की जरूरत नहीं होगी। बता दें कि साल में एक ही बार श्राद्ध किए जाते हैं और हर साल भादो के महीने में पूर्णिमा से पितृ शुरू होते हैं, जो अश्विन महीने की अमावस्या तक चलते हैं।

यह भी पढ़ें: पितृपक्ष में क्यों जरूरी है श्राद्ध और तर्पण के लिए अन्न-जल, जानें पितरों को भोग लगाने का सही समय

---विज्ञापन---

राजा दशरथ का पिंडदान यहां हुआ था

बिहार के गया में पिंडदान करने के पीछे पौराणिक कथा है। इसका वर्णन गरुड़ पुराण के आधारकांड में भी किया गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, गया में भगवान श्रीराम और माता सीता ने पिता राजा दशरथ का पिंडदान किया था। इसके बाद उन्हें सीधे स्वर्ग की प्राप्ति हो गई थी। इसलिए मान्यता है कि यहां पिंडदान करने से पितरों को सीधे मोक्ष मिलता है और वे स्वर्ग की ओर प्रस्थान करते हैं। एक धार्मिक मान्यता भी है कि भगवान नारायण यहां पर फल्गु नदी के किनारे पितृ देवता के रूप में मौजूद रहते हैं।

यह भी पढ़ें: पितृ दोष की वजह से तबाह हो जाता है इंसान, पितृपक्ष में काम आएंगे ये 10 टिप्स

गया जी तीर्थ स्थल तक कैसे पहुंचे?

बिहार के गया जी तक पहुंचने के 3 रास्ते हैं। तीर्थ स्थल एयरपोर्ट से 14 किलोमीटर दूर है। यहां नजदीकी एयरपोर्ट कोलकाता है, जो 485 किलोमीटर दूर है। गया रेलवे स्टेशन से तीर्थ स्थल 15 किलोमीटर दूर है। वहीं सड़क के रास्ते भी गया तक पहुंचा जा सकता है। देश के कई राज्यों से गया के लिए बस सेवा है। बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम भी टूरिस्टों को बस सर्विस उपलब्ध कराता है। निगम की 2 डीलक्स बसें गया तक जाने के लिए चलती हैं। इसके अलावा लोग अपने वाहन से भी तीर्थ स्थल तक पहुंच सकते हैं।

First published on: Oct 01, 2023 06:54 AM

संबंधित खबरें