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Marriage Rituals: विवाह के दौरान पत्नी द्वारा लिए गए 7 वचनों का क्या होता है अर्थ, जानें यहां

Marriage Rituals: हिंदू धर्म में विवाह को पति-पत्नी के बिच पवित्र बंधन माना गया है। विवाह में कन्या पति से 7 वचन मांगती है। क्या आपको पता है उन 7 वचनों के अर्थ के बारे में। यदि नहीं तो आइए आज इस खबर में जानेंगे शादी में लिए जाने वाले 7 वचनों का अर्थ क्या होता है।

Edited By : Raghvendra Tiwari | Updated: Dec 3, 2023 12:58
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Marriage Rituals
Marriage Rituals

Marriage Rituals:  सनातन धर्म में 16 संस्कार में से है एक है विवाह संस्कार। विवाह संस्कार में कई तरह की रस्में और रीति-रिवाज होते हैं। उन्हीं रीति-रिवाजों और रस्मों में 7 वचन लेने की रिवाज सदियों से चली आ रही हैं। इसमें पति-पत्नी एक दूसरे से 7 जन्मों तक साथ रहने का वचन लेते हैं। साथ ही अग्नि को साक्षी मानकर वैवाहिक जीवन को खुशहाल बनाए रखने के लिए वादा भी करते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस रिवाज में देवी-देवता नवविवाहित जोड़े को स्वयं आशीर्वाद देते हैं। लेकिन क्या आपको पता है शादी में लिए जाने वाले 7 वचनों का अर्थ क्या होता है। आइए इस खबर में विस्तार से जानते हैं।

पहला वचन

तीर्थव्रतोद्यापन यज्ञकर्म मया सहैव प्रियवयं कुर्या:
वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति वाक्यं प्रथमं कुमारी

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ज्योतिष  शास्त्र के अनुसार, पत्नी द्वारा पति से शादी में लिए जाने वाला पहला वचन मांगती है कि यदि आप किसी तीर्थ यात्रा पर जाते हैं, तो अकेले नहीं जाएंगे बल्कि पत्नी को भी साथ ले चलेंगे। इसके साथ ही यदि कोई धार्मिक कार्य या उपवास करते हैं, तो दोनों साथ करेंगे।

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दूसरा वचन

पुज्यौ यथा स्वौ पितरौ ममापि तथेशभक्तो निजकर्म कुर्या:
वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं द्वितीयम

दूसरे वचन में कन्या कहती है कि जिस तरह आप अपने माता-पिता का आदर सत्कार करते हैं, ठीक उसी प्रकार शादी के बाद आप मेरे परिवार को भी सम्मान देंगे।

तीसरा वचन

जीवनम अवस्थात्रये मम पालनां कुर्यात,
वामांगंयामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं तृतीयं

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, तीसरे वचन में पति-पत्नी एक दूसरे से वादा करते हैं कि जीवन की हर परिस्थिति में पति-पत्नी का साथ देगा। तभी कन्या वर के जीवन में पहला कदम रखेगी।

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चौथा वचन

कुटुम्बसंपालनसर्वकार्य कर्तु प्रतिज्ञां यदि कातं कुर्या:
वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं चतुर्थं

चौथा वचन में पत्नी कहती है कि शादी के बंधन में बंधते हुए पति भविष्य में परिवार की सभी आवश्यक्ताओं की पूर्ति करेगा। साथ ही अपने सारे कर्तव्यों का भी पालन करेगा।

पाचवां वचन

स्वसद्यकार्ये व्यवहारकर्मण्ये व्यये मामापि मन्त्रयेथा
वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रूते वच: पंचमत्र कन्या

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पांचवे वचन में कन्या कहती है कि मेरी सम्मति को जानते हुए और बिना राय लिए कोई भी घर के कार्य या लेन-देन के कार्य नहीं करेंगे, बल्कि सभी में सहमती होनी चाहिए।

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छठा वचन

न मेपमानमं सविधे सखीनां द्यूतं न वा दुर्व्यसनं भंजश्चेत
वामाम्गमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं च षष्ठम

छठे वचन में कहा जाता है कि पति अपने मित्र या पत्नी की सहेलियों के सामने पत्नी का अपमान नहीं करेगा। साथ ही जुए और मदिरा जैसे बुरी आदतों से दूर रहेगा। यदि यह वचन निभाने के लइए तैयार है, तभी वधु वर को स्वीकार करेगी।

सातवां वचन

न मेपमानमं सविधे सखीनां द्यूतं न वा दुर्व्यसनं भंजश्चेत
वामाम्गमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं च षष्ठम

सातवें वचन में वधु वर से वर वचन मांगती है कि वह किसी भी पराई स्त्री को मां या बहन के समान देखेगा और समझेगा। इसके साथ ही पति-पत्नी के प्रेम के बीच किसी तीसरे को कभी नहीं आने देगा। अगर यह सातों वचन पति को स्वीकार है तो वधु उसकी पत्नी बनने के लिए तैयार है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।

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Edited By

Raghvendra Tiwari

First published on: Dec 03, 2023 11:23 AM

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