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हरतालिका तीज पर जरूर करें इस कथा का पाठ, मिलते हैं शुभ फल

Hartalika Teej Vrat Katha: इस साल हरतालिका तीज व्रत 18 सितंबर 2023 दिन सोमवार को रखा जाएगा। हरतालिक तीज हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहार माना गया है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह पर्व भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। हरतालिका तीज का महत्व बहुत ही खास होता है। […]

Edited By : News24 हिंदी | Updated: Sep 15, 2023 14:28
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Hartalika Teej Vrat Katha
Hartalika Teej Vrat Katha

Hartalika Teej Vrat Katha: इस साल हरतालिका तीज व्रत 18 सितंबर 2023 दिन सोमवार को रखा जाएगा। हरतालिक तीज हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहार माना गया है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह पर्व भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। हरतालिका तीज का महत्व बहुत ही खास होता है। इस दिन सुहागन महिलाओं सोलह श्रृंगार करके निर्जला उपवास रखती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत में गौरी, गणेश और भगवान शंकर की विधिवत पूजा की जाती है। इसके साथ ही रंगारंग कार्यक्रम भी करती है। आज हम आपको बताने वाले हैं, आखिरकार इस व्रत को हरतालिका तीज का नाम क्यों पड़ा। इस व्रत की कथा क्या हैं। आइये इस खबर में विस्तार से जानते हैं।

क्यों पड़ा हरतालिका व्रत का नाम

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कहा जाता है कि पार्वती माता भगवान शिव को अपने पति के रूप में चाहती थी। मान्यताओं के अनुसार, पार्वती जी की सखियां उन्हें हरण कर वन ले गई थी। जहां पर वे भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। सहेलियों द्वारा माता पार्वती को हरण करने के कारण इस व्रत का नाम हरतालिका व्रत पड़ गया।

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हरतालिका व्रत कथा

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कहा जाता है कि पार्वती माता और भगवान शिव के मिलन पर हर साल हरतालिका व्रत मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि जब माता पार्वती को भगवान शिव को पति के रूप में पाना चाहती थी, तो उस समय उन्होंने कठोर तपस्या की थी। माता पार्वती की तपस्या देखकर उनके पिता दुखी हो गए थे। इधर माता पार्वती की कठोर तपस्या से भगवान विष्णु प्रसन्न हो गए। माता पार्वती पर भगवान विष्णु मोहित हो गए। अपनी इच्छा जाहिर करने के लिए उन्होंने नारद जी को बुलाया और विवाह का प्रस्ताव लेकर पार्वती के पिता के पास भेज दिया।

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जब नारद जी राजा हिमालय के पास भगवान विष्णु के प्रस्ताव को रखा तो वे तुरंत स्वीकार कर लिए। उन्होंने इस बात को जब माता पार्वती को बताया तो माता पार्वती दुखी हो गई और वे अपनी सखियों के पास चली गई। वहां जाकर उन्होंने अपने दुख बताया तो उनकी सखियों ने उन्हें हरण कर जंगल की ओर चली गई। जंगल में जाकर उनकी सखियों ने उन्हें कठोर तपस्या करने के लिए कहां। सखियों की बात मानकर माता पार्वती उसी समय भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या करने लगी।

बहुत ही दिनों के बाद माता पार्वती ने भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन हस्त नक्षत्र में भगवान शिव की बालू की प्रतिमा बनाई और उनकी विधि-विधान से पूजा की। इसके साथ ही वह रात भर जग कर भगवान शिव की आराधना की। माता पार्वती की भक्ति और कठोर तपस्या को देखकर भगवान शिव प्रसन्न हो गए और उन्होंने वर मांगने के लिए कहां। तब जाकर माता पार्वती ने उन्हें पति के रूप में पाने के लिए कहां। भगवान शिव ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया। इसके साथ ही उन्होंने कहां कि जो भी सुहागन महिलाएं या कुंवारी कन्याएं हरतालिका तीज का व्रत रखती है, तो उनके पति का उम्र लंबी होगी। साथ ही सारी इच्छाएं भी पूरी हो जाएगी।

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डिस्क्लेमर:यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।

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News24 हिंदी

First published on: Sep 15, 2023 02:28 PM

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