Budh Stotra: हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य करने से पहले गणपति की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान गणेश की पूजा के लिए शुभ दिन बुधवार का दिन माना गया है। मान्यता है कि यदि किसी जातक की कुंडली में बुध कमजोर होता है, तो बुधवार के दिन भगवान गणेश की उपासना विस्तार जरूर करना चाहिए। शास्त्र के अनुसार, जो जातक बुधवार के दिन गणपति और बुध देव की उपासना करते हैं, उनकी स्मरण शक्ति तेज हो जाती है। साथ ही जातक जीवन में उच्च पद की प्राप्ति कर पाते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति बुधवार के दिन बुध स्तोत्र का पाठ करता है, तो उसकी कुंडली में बुध ग्रह की स्थिति मजबूत होता है साथ ही जातक अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में कामयाब भी होता है। तो आइए इस खबर में बुध स्तोत्र और बुध कवच का पाठ के बारे में विस्तार से जानते हैं।
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बुध स्तोत्र
पीताम्बर: पीतवपु किरीटी, चतुर्भुजो देवदु:खापहर्ता ।
धर्मस्य धृक सोमसुत: सदा मे, सिंहाधिरुढ़ो वरदो बुधश्च ।।
प्रियंगुकनकश्यामं रूपेणाप्रतिमं बुधम् ।
सौम्यं सौम्यगुणोपेतं नमामि शशिनन्दनम् ।।
सोमसुनुर्बुधश्चैव सौम्य: सौम्यगुणान्वित: ।
सदा शान्त: सदा क्षेमो नमामि शशिनन्दनम् ।।
उत्पातरूपी जगतां चन्द्रपुत्रो महाद्युति: ।
सूर्यप्रियकरोविद्वान पीड़ां हरतु मे बुधं ।।
शिरीषपुष्पसंकाशं कपिलीशो युवा पुन: ।
सोमपुत्रो बुधश्चैव सदा शान्तिं प्रयच्छतु ।।
श्याम: शिरालश्चकलाविधिज्ञ:, कौतूहली कोमलवाग्विलासी ।
रोधिको मध्यमरूपधृक स्या-दाताम्रनेत्रो द्विजराजपुत्र:।।
अहो चन्द्रासुत श्रीमन मागधर्मासमुदभव: ।
अत्रिगोत्रश्चतुर्बाहु: खड्गखेटकधारक: ।।
गदाधरो नृसिंहस्थ: स्वर्णनाभसमन्वित: ।
केतकीद्रुमपत्राभ: इन्द्रविष्णुप्रपूजित: ।।
ज्ञेयो बुध: पण्डितश्च रोहिणेयश्च सोमज: ।
कुमारो राजपुत्रश्च शैशवे शशिनन्दन: ।।
गुरुपुत्रश्च तारेयो विबुधो बोधनस्तथा ।
सौम्य: सौम्यगुणोपेतो रत्नदानफलप्रद: ।।
एतानि बुधनामानि प्रात: काले पठेन्नर: ।
बुद्धिर्विवृद्धितां याति बुधपीडा न जायते ।
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बुध ग्रह कवच
बुधस्तु पुस्तकधरः कुंकुमस्य समद्दुतिः ।
पितांबरधरः पातु पितमाल्यानुलेपनः ।।
कटिं च पातु मे सौम्यः शिरोदेशं बुधस्तथा ।
नेत्रे ज्ञानमयः पातु श्रोत्रे पातु निशाप्रियः ।।
घ्राणं गंधप्रियः पातु जिह्वां विद्याप्रदो मम ।
कंठं पातु विधोः पुत्रो भुजा पुस्तकभूषणः।।
वक्षः पातु वरांगश्च हृदयं रोहिणीसुतः ।
नाभिं पातु सुराराध्यो मध्यं पातु खगेश्वरः ।।
जानुनी रौहिणेयश्च पातु जंघे खिलप्रदः ।
पादौ मे बोधनः पातु पातु सौम्यो खिलं वपु ।।
एतद्धि कवचं दिव्यं सर्वपापप्रणाशनम् ।
सर्व रोगप्रशमनं सर्व दुःखनिवारणम् ।।
आयुरारोग्यधनदं पुत्रपौत्रप्रवर्धनम् ।
यः पठेत् श्रुणुयाद्वापि सर्वत्र विजयी भवेत् ।।
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