नोबेल शांति पुरस्कार 2025 के विजेता का ऐलान हो गया है। इस बार वेनेजुएला की मारिया कोरिना मचाडो को मिला है। मारिया को यह पुरस्कार वेनेजुएला के लोगों के लिए लोकतांत्रिक अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए उनके अथक कार्य और तानाशाही से लोकतंत्र में न्यायपूर्ण और शांतिपूर्ण संक्रमण प्राप्त करने के उनके संघर्ष के लिए दिया गया है। मारिया कोरिना मचाडो पेरिस्का वेनेज़ुएला की राजनीतिज्ञ और औद्योगिक इंजीनियर हैं। साथ ही वह वर्तमान में वेनेजुएला में विपक्ष की नेता हैं।
मारिया कोरिना मचाडो पेरिस्का का जन्म 7 अक्टूबर 1967 को हुआ था। 2011 से 2014 तक वेनेजुएला की राष्ट्रीय सभा की निर्वाचित सदस्य के रूप में कार्य किया। साल 2024 के चुनाव से पहले मचाडो विपक्ष की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार थीं। लेकिन सरकार उनकी उम्मीदवारी रोक दी। इसके बाद मचाडो ने चुनाव में एक अलग पार्टी के प्रतिनिधि, एडमंडो गोंजालेज उरुतिया का समर्थन किया। उस दौरान राजनीतिक विभाजनों से ऊपर उठकर लाखों वालंटियर जुटे थे। पारदर्शी और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव पर्यवेक्षकों के रूप में ट्रेनिंग दी गई थी। वालंयियर पर उत्पीड़न, गिरफ्तारी और यातना हुई। लेकिन बावजूद इसके देश भर के नागरिकों ने मतदान केंद्रों पर नजर रखी।
2002 में शुरू की राजनीतिक यात्रा
नोबेल शांति विजेता मचाडो ने साल 2002 अपना राजनीति सफर शुरू किया था। वोट-मॉनिटरिंग समूह सुमाते शुरू किया और उसके संस्थापक बनीं। मचाडो ने वेंटे वेनेजुएला राजनीतिक पार्टी बनाकर एलेजांद्रो प्लाज राष्ट्रीय समन्वयक बनाया था। साल 2018 में मचाडो को बीबीसी की 100 महिलाओं में से एक के रूप में शामिल किया है। 2025 में, टाइम पत्रिका ने मचाडो को दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों में माना था। वेनेजुएला में निकोलस मादुरो सरकार ने मचाडो को वेनेजुएला छोड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया है।
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क्या बोली नोबेल कमेटी?
नोबेल पीस पुरस्कार देने वाली कमेटी ने बताया कि मारिया कोरिना मचाडो ने दिखाया है कि लोकतंत्र के साधन शांति के साधन भी हैं। कोरिना एक अलग भविष्य की आशा की प्रतिमूर्ति हैं, जहां नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा होगी और उनकी आवाज सुनी जाएगी। कहा कि इस भविष्य में, लोग अंततः शांति से जीने के लिए स्वतंत्र होंगे।