FATF Warning to Pakistan: द फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने आतंकवाद और आतंकवादियों को लेकर कड़ी चेतावनी दी है. संस्था ने दोटूक शब्दों में चेतावनी दी है कि बेशक पाकिस्तान को अक्टूबर 2020 में ग्रे लिस्ट से बाहर कर दिया गया था, लेकिन इसका मतलब यह नहीं पाकिस्तान आतंकवाद और आतंकियों को फंडिंग करता रहेगा.
FATF ने क्यों दी है चेतावनी?
FATF की अध्यक्ष एलिसा डी एंडा माद्राजो ने यह चेतावनी दी है और उनकी यह टिप्पणी जैश-ए-मोहम्मद (JeM) द्वारा फंडिंग के सोर्स को छिपाने और आतंकी शिविरों को फिर से खड़ा करने के लिए डिजिटल वॉलेट का इस्तेमाल करने की खबरों के बीच आई है. क्योंकि पाकिस्तान पर लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद को फंडिंग के आरोप लगे हैं, इसलिए चेताया गया है.
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FATF का सभी देशों को अलर्ट
FATF अध्यक्ष एलिसा डी एंडा माद्राजो ने साफ-साफ शब्दों में कहा कि न सिर्फ पाकिस्तान, बल्कि सभी देशों को अपराधों को रोकने के लिए किए जा रहे उपायों को लागू रखना चाहिए. जो देश ग्रे लिस्ट में है या नहीं हैं, वह भी अपराधियों, मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादियों के खिलाफ कानून बनाकर लागू करें. ग्रे लिस्ट से बाहर होने का मतलब बुलेटप्रूफ जैकेट मिलना नहीं है.
2022 में निकला था ग्रे-लिस्ट से
FATF की अध्यक्ष ने कहा कि पाकिस्तान को अक्टूबर 2022 में ‘ग्रे लिस्ट’ से हटा दिया गया था और अब उस पर निगरानी रखी जा रही है कि वह आतंकवाद विरोध कानून लागू कर रहा है या नहीं. लेकिन पिछले दिनों चर्चा छिड़ी कि पाकिस्तान ने भारत के ऑपरेशन सिंदूर में तबाह हुए आतंकियों के ठिकानों को फिर से खड़ा करने में आतंकी संगठनों की मदद की है.
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भारत ने किया पाक को बेनकाब
भारत की ओर से इंटरनेशनल लेवल पर पाकिस्तान, आतंकवाद और आतंकियों को बेनकाब किया गया. दुनियाभर को पाकिस्तान का असली चेहरा सबूतों के साथ दिखाया गया. इसी आधार पर FATF ने पाकिस्तान को चेतावनी दी है. बता दें कि द फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) आतंकी फंडिंग एवं मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ काम करती है.
ब्लैक लिस्ट में रहेंगे ये 3 देश
संस्था ने हाल ही में अपनी लिस्ट अपडटे की और अपनी ब्लैक लिस्ट में उत्तर कोरिया, ईरान और म्यांमार को नहीं हटाया, क्योंकि इन देशों ने FATF एक्शन प्लान को पूरा नहीं किया, जबकि एक्शन प्लान को पूरा करने की समयावधि 2018 में खत्म हो गई थी. ऐसी ही स्थिति उत्तर कोरिया और म्यांमार की है, जहां आज भी कई आतंकी संगठन सरकार की नाक नीचे एक्टिव हैं.










