Iran Nuclear Programme Sanctions: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के द्वारा ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर लगाए गए कठोर आर्थिक प्रतिबंध जारी रहेंगे. ईरान पर प्रतिबंध जारी रखने के UNSC के प्रस्ताव के समर्थन में सुरक्षा परिषद के स्थायी और अस्थायी सदस्यों को मिलाकर 9 देशों ने वोट दिया है, लेकिन रूस, चीन, पाकिस्तान और अल्जीरिया ने प्रस्ताव का विरोध किया है. प्रतिबंध 28 सितंबर 2025 से प्रभावी हो जाएंगे. ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी ने कहा है कि ईरान ने JCPOA के वादों का उल्लंघन किया है. वहीं ईरान ने प्रतिबंध के फैसले को अवैध और राजनीतिक करार दिया है.
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परमाणु कार्यक्रम पर प्रतिबंध
बता दें कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम दुनियाभर के कई देशों के लिए चिंता का विषय है. इजरायल ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को बंद करने के लिए ही हमला किया था और ईरान के परमाणु ठिकानों को ध्वस्त कर दिया था, लेकिन ईरान ने अपने परमाणु ठिकानों को मरम्मत करके फिर से शुरू किया है और ऐलान किया है कि ईरान परमाणु हथियार बनाएगा, जिसने भी ऐसा करने से रोका, उसे कड़ा जवाब दिया जाएगा. न सिर्फ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UN) ने बल्कि अमेरिका, यूरोपीय संघ (EU) और अन्य देशों ने ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम पर कड़े आर्थिक, वित्तीय और तकनीकी प्रतिबंध लगाए हुए हैं.
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क्या है ईरान की प्रतिक्रिया?
ईरान के विदेश मंत्री सैयद अब्बास अराघची ने UNSC के प्रतिबंध जारी रखने के फैसले को अवैध, अन्यायपूर्ण और राजनीतिक साजिश बताया. उन्होंने कहा है कि इस फैसले का जवाब दिया जाएगा. इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) के साथ मिलकर ईरान अब काम नहीं करेगा और न ही एजेंसी को कोई सहयोग करेगा. वहीं रूस, चीन और अरब देशों के साथ सहयोग बढ़ाया जाएगा.
क्या है डोनाल्ड टंप का रुख?
ईरान के परमाणु कार्यक्रम का अमेरिका विरोध करता रहा है. राष्ट्रपति ट्रंप ने ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम के खिलाफ जंग में इजरायल को समर्थन देते हुए ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला भी किया किया. अमेरिका का कहना है कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम वैश्विक स्थिरता को खतरे में डाल देगा. अगर ईरान ने किसी भी देश के खिलाफ परमाणु हथियार इस्तेमाल किए तो वैश्विक जंग छिड़ सकती है.
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प्रतिबंधों से क्या होगा नुकसान?
बता दें कि ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम पर प्रतिबंध जारी रहने से देश की अर्थव्यवस्था को झटका लगेगा. तेल निर्यात में 50% कमी आएगा. मुद्रास्फीति बढ़ने से महंगाई बढ़ेगी और GDP पर 5-7% का असर पड़ेगा. परमाणु कार्यक्रम बाधित होने से अरबों डॉलर का आर्थिक नुकसान होगा, लेकिन ईरान ने स्टॉकपाइल बढ़ा लिया है, जिससे 10 परमाणु बम बनाए जा सकते हैं.
जनता पर आर्थिक बोझ पड़ने से बेरोजगारी और गरीबी बढ़ेगी. इंटरनेशनल लेवल पर क्रूड ऑयल महंगा होने से कई देशों में पेट्रोल-डीजल महंगा हो सकता है. रूस और चीन के साथ ईरान के संबंध मजबूत होने से खतरा पैदा हो सकता है. मध्य पूर्व के देशों में तनाव फैल सकता है, क्योंकि इजरायल ने सीरिया के जरिए ईरान पर हवाई हमला करने की योजना बना रखी है.