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ट्रंप-पुतिन को चीन का बड़ा झटका, परमाणु कार्यक्रम पर अमेरिका-रूस के साथ बातचीत से किया इनकार

Trump Putin Xi Jinping Meeting: परमाणु अप्रसार पर चीन ने अमेरिका और रूस के साथ वार्ता करने से इनकार कर दिया है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस बारे में एक बयान जारी किया, जिसमें साफ-साफ कहा गया है कि चीन ने अमेरिका और रूस के साथ त्रिपक्षीय वार्ता का प्रस्ताव खारिज कर दिया है।

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Khushbu Goyal Updated: Aug 28, 2025 11:04
Donald Trump | Vladimir Putin | Xi Jinping
चीन, अमेरिका और रूस में परमाणु अप्रसार पर वार्ता होती रही है, लेकिन अब नहीं होगी।

Russia America China Talk Update: भारत के साथ टैरिफ विवाद के बीच अमेरिका को चीन ने बड़ा झटका दिया है। चीन ने परमाणु अप्रसार पर वार्ता के लिए अमेरिका और रूस के साथ एक टेबल पर बैठने से इनकार कर दिया है। चीन ने कहा है कि वह अमेरिका और रूस के साथ परमाणु निरस्त्रीकरण वार्ता में शामिल नहीं होगा।

परमाणु अप्रसार संधि के तहत होने वाली परमाणु अप्रसार पर त्रिपक्षीय वार्ता के आह्वान को चीन खारिज करता है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने कहा कि चीन से त्रिपक्षीय वार्ता में भाग लेने की उम्मीद करना न तो तर्कसंगत है और न ही व्यावहारिक, क्योंकि तीनों देशों की परमाणु क्षमताएं असमान हैं।

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साल 1968 में हुई थी तीनों देशों में संधि

बता दें कि अमेरिका, चीन और रूस के बीच परमाणु अप्रसार संधि वर्ष 1968 में हुई थी। परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने, परमाणु हथियारों के निरस्त्रीकरण को बढ़ावा देने और परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण इस्तेमाल को प्रोत्साहित करने के लिए यह संधि की गई थी। इस संधि के तहत हर 5 साल में तीनों देशों के बीच रिव्यू कॉन्फ्रेंस होती है, जो साल 2025 में होनी संभावित थी, लेकिन अब कॉन्फ्रेंस होने की अटकलों पर विराम लग गया है, क्योंकि चीन ने कॉन्फ्रेंस के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है।

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इन वजहों से बढ़ा तीनों देशों में तनाव

बता दें कि रूस और अमेरिका के बीच तनाव का माहौल बना हुआ है। 5 अगस्त 2025 को रूस ने एक घोषणा करके साल 1987 से चल रही इंटरमीडिएट रेंज न्यूक्लियर फोर्सेज (INF) संधि खुद को अलग कर लिया। इस संधि के तहत 500 से 5500 किलोमीटर रेंज वाली मिसाइलें बॉर्डर एरिया में तैनात करने पर रोक लगी हुई थी। अमेरिका ने जब रूस पर टैरिफ लगाया और आर्थिक प्रतिबंध बढ़ाए तो रूस ने संधि से अलग होने का फैसला लिया।

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चीन का परमाणु विस्तार करना भी तीनों देशों में तनाव का कारण है। साल 2024 में स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की रिपोर्ट आई थी, जिसमें चीन के परमाणु हथियारों के बारे में बताया गया था। रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी 2023 में चीन के पास 410 परमाणु हथियार थे, जिनकी संख्या साल 2024 में बढ़कर 500 हो गई। चीन ने इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलें (ICBMs) बनाने पर भी फोकस बढ़ा दिया है।

अमेरिका का रणनीति बदलना भी कारण

अमेरिका की बदलती रणनीति ने भी तनाव को बढ़ाया है। अमेरिका ने साल 2024 में न्यूक्लियर एंप्लॉयमेंट गाइडेंस में बदलाव किया था। इसके तहत रूस, चीन और नॉर्थ कोरिया के साथ संभावित परमाणु युद्ध पर विशेष निर्देश दिए गए और युद्ध की तैयारी करने को भी कहा गया था। चीन के बढ़ते परमाणु कार्यक्रम से अमेरिका चिंतित है। ऐसे में अगर चीन पर अमेरिका ने दबाव डाला तो तनाव बढ़ने से युद्ध के आसार बन सकते हैं।

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चीन और रूस की बढ़ती साझेदारी भी अमेरिका को खटक रही है। पिछले कुछ सालों में चीन और रूस ने अपनी सैन्य और रणनीतिक साझेदारी को मजबूत किया है। जुलाई 2025 में जापान के सागर में तीनों देशों की जॉइंट नेवी प्रैक्टिस भी हुई थी, जिसने अमेरिका की चिंता बढ़ाई। अभ्यास। यह अमेरिका के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि दोनों देश परमाणु नीतियों में सहयोग बढ़ा सकते हैं।

First published on: Aug 28, 2025 10:30 AM

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