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सुनीता-विल्मोर की धरती पर वापसी, खड़े होने, चलने और संतुलन बनाने में होगी परेशानी

लंबे समय से अंतरिक्ष में फंसी सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुच विल्मोर के धरती पर लौटने की तारीख तय हो गई है। नासा द्वारा किए गए ऐलान में बताया गया है कि दोनों अंतरिक्ष यात्री मंगलवार शाम तक धरती पर लौट आएंगे। एक अन्य नासा अंतरिक्ष यात्री और एक रूसी अंतरिक्ष यात्री के साथ सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर जल्द ही स्पेसएक्स क्रू ड्रैगन अंतरिक्ष यान पर सवार होकर धरती पर लौटेंगे।

Author Edited By : Satyadev Kumar Updated: Mar 17, 2025 17:40
Sunita Williams and Butch Wilmore
सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर।

नासा की ओर से अंतरिक्ष में शोध के लिए गईं सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुच विल्मोर 9 महीने से अधिक समय तक अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) में फंसे हुए थे। अब सुनीता विलियम्स और बैरी ‘बुच’ विल्मोर अंतरिक्ष में 9 महीने बिताने के बाद धरती पर लौटने के लिए तैयार हैं। यह मिशन शुरू में केवल एक सप्ताह तक चलने वाला था। लेकिन उन्हें सुरक्षित वापसी की योजना के लिए इंतजार करना पड़ा। इस लंबे विस्तार ने अंतरिक्ष यात्रियों की अनुकूलन क्षमता (एडेप्टेबिलिटी) का परीक्षण किया है। इस बीच उनके शरीर पर अंतरिक्ष में बिताए लंबे समय से उत्पन्न प्रभावों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि धरती पर लौटने के बाद उन्हें कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

महत्वपूर्ण शारीरिक बदलावों का अनुभव

दरअसल, अंतरिक्ष में यात्री लंबे समय तक माइक्रो ग्रेविटी, रेडिएशन और आइसोलेशन के संपर्क में रहने के कारण महत्वपूर्ण शारीरिक बदलावों का अनुभव करते हैं। मांसपेशियों, हड्डियों और यहां तक ​​कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी इसका गंभीर असर हो सकता है। लेकिन जब कोई मिशन अपेक्षा से अधिक समय तक चलता है तो वास्तव में क्या होता है? इंडियन एक्सप्रेस न्यूज ने बेंगलुरु के कावेरी हॉस्पिटल्स के इंस्टीट्यूट ऑफ ऑर्थोपेडिक्स, स्पोर्ट्स मेडिसिन और रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट के निदेशक डॉ. रघु नागराज के हवाले से अंतरिक्ष में 9 महीने बिताने के बाद दोनों अंतरिक्ष यात्रियों के सामने आने वाले हेल्थ रिस्क को लेकर जानकारी साझा की है।

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माइक्रो ग्रेविटी की वजह से मांसपेशियों और हड्डियों का नुकसान

डॉ नागराज ने बताया कि ‘माइक्रो ग्रेविटी में मांसपेशियां विशेष रूप से पीठ के निचले हिस्से, पैरों और कोर (शरीर के आंतरिक हिस्से) में द्रव्यमान (Mass) और शक्ति (Strength) खो देती हैं क्योंकि इनका उपयोग शरीर के वजन को सहारा देने के लिए नहीं किया जा रहा होता है। इसी तरह हड्डियों, विशेष रूप से रीढ़, कूल्हों और पैरों में मिनरल्स की कमी हो जाती है, जिससे फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है। पृथ्वी पर लौटने पर अंतरिक्ष यात्रियों को खड़े होने, चलने और संतुलन बनाने में कठिनाई का अनुभव हो सकता है, क्योंकि उनके मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम ग्रेविटी के अनुसार फिर से एडजस्ट होते हैं।’

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मानसिक स्वास्थ्य और आइसोलेशन से निपटना

सुनीता विलियम्स ने वापसी की तारीख का इंतजार करने की भावनात्मक चुनौती के बारे में बात की है। इसे लेकर डॉ. नागराज कहते हैं कि लंबे समय तक अलगाव और अनिश्चितता तनाव, चिंता और यहां तक ​​कि अवसाद का कारण बन सकती है। उन्होंने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए अंतरिक्ष एजेंसियां ​​स्ट्रक्चर्ड रूटीन, परिवार और मनोवैज्ञानिकों के साथ शेड्यूल कम्युनिकेशन, फिल्में, संगीत और पढ़ने जैसी मनोरंजक गतिविधियों को लागू करती हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, अंतरिक्ष यात्रियों को तनाव को मैनेज करने के लिए लचीलापन-बिल्डिंग टेकनीक में ट्रेंड किया जाता है। एक बार पृथ्वी पर वापस आने के बाद वे सामान्य जीवन में आसानी से फिर से एकीकृत होने के लिए अक्सर उन्हें मनोवैज्ञानिक डीब्रीफिंग और परामर्श से गुजरना पड़ता है।

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कॉस्मिक रेडिएशन का प्रभाव

कॉस्मिक रेडिएशन (ब्रह्मांडीय विकिरण) के लंबे समय तक संपर्क में रहने से इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाती है। डॉ. नागराज कहते हैं, ‘अंतरिक्ष यात्रियों में संक्रमण होने का खतरा ज्यादा होता है और जख्म भरने की प्रक्रिया धीमी होती है। उन्होंने कहा कि हृदय संबंधी बीमारियों और कुछ कैंसर से संबंधित खतरा भी बढ़ जाता है। अंतरिक्ष एजेंसियां मिशन के बाद उनके इम्यून हेल्थ की निगरानी करती हैं और जीवनशैली में बदलाव की सलाह देती हैं।

अन्य स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं

डॉ. नागराज के मुताबिक, धरती पर वापस लौटने वाले अंतरिक्ष यात्रियों को इसके अलावा अन्य चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है। उन्होंने बताया कि वेस्टिबुलर डिसफंक्शन संतुलन को प्रभावित करता है और ऑर्थोस्टेटिक इंटॉलरेंस सर्कुलेशन में बदलाव की वजह से चक्कर आ सकती है। उन्होंने आगे बताया कि स्पेसफ्लाइट-एसोसिएटेड न्यूरो-ऑकुलर सिंड्रोम (SANS) से स्थायी विजन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। हालांकि, रिहैबिलिटेशन के साथ अधिकांश प्रभाव ठीक हो जाते हैं। लेकिन हड्डियों के नुकसान और रेडिएशन जैसे दीर्घकालिक जोखिमों के लिए निरंतर चिकित्सा निगरानी की आवश्यकता होती है।

डिस्क्लेमर:- यह लेख सार्वजनिक डोमेन या बात किए गए विशेषज्ञों से प्राप्त जानकारी पर आधारित है। कोई भी दिनचर्या शुरू करने से पहले हमेशा अपने स्वास्थ्य चिकित्सक से सलाह लें।

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Edited By

Satyadev Kumar

First published on: Mar 17, 2025 04:17 PM

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