South Koreans Against Tipping Trend: दुनिया के कई देशों में होटलों, शोरूम में या व्यापारिक प्रतिष्ठानों में टिप देने का ट्रेंड है, लेकिन एक देश ऐसा भी है, जहां के वर्कर्स टिप लेने से साफ इनकार कर देते हैं। उस देश के लोग टिप लेने और देने में विश्वास नहीं रखते है। अगर कोई ग्राहक टिप देना भी चाहे तो उसे भी साफ-साफ शब्दों में मना कर दिया जाता है और इसके पीछे कोई एक नहीं, कई वजह हैं।
बात हो रही है साउथ कोरिया की, जहां टिप लेने देने का ट्रेंड नहीं, क्योंकि यहां के लोग कहते हैं कि उन्हें काफी सैलरी मिलती है। इस सैलरी से वे संतुष्ट हैं। उन्हें किसी से दान की जरूरत नहीं है। टिप लेना और देना अपमानजनक लगता है। इसलिए वे टिप लेना-देना पसंद नहीं करते। टिप लेने से लोगों को यह भ्रम हो जाता है कि कम सैलरी मिलती है तो टिप देनी चाहिए।
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कई देशों में अतिरिक्त आय के लिए टिप पर निर्भर करते लोग
बता दें कि अमेरिका समेत कई देशों में चतुर्थ श्रेणी के लोगों को उनकी आय का 20% हिस्सा टिप से मिलता है। यूरोप में कई कैफे और रेस्टोंरट में काम करने वाले वर्कर्स अतिरिक्त आय के लिए टिप पर ही निर्भर करते हैं, लेकिन साउथ कोरिया के लोगों की विचारधार इससे काफी अलग है। वे कहते हैं कि उन्हें अतिरिक्त आय की जरूरत नहीं है, इलिए वे टिप लेने से इनकार करते हैं।
दरअसल, साउथ कोरिया में सियोल बैगेल में एक दुकानदार का वीडियो वायरल हुआ। ग्राहक ने उसे कैश काउंटर पर टिप जार रखने को कहा। उसने कहा कि वह टिप देना चाहता है, इसके लिए जार दे दीजिए। जवाब में दुकानदार ने कहा कि टिप की जरूरत नहीं है। हमारे देश में कोई टिप नहीं लेता है। ग्राहक के जवाब में दुकानदार ने टिप के प्रति नकारात्मक रवैया दिखाया।
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ग्राहकों से टिप देने की कंपनी की अपील का विरोध हुआ
द कोरिया हेराल्ड की रिपोर्ट के अनुसार, वीडियो को 3 दिन में 3.3 मिलियन बार देखा गया और करीब 15 हजार शेयर मिले। वहीं दूसरी ओर एक कंपनी ने काकाओ टी टैक्सी हेलिंग ऐप ने यात्रियों से अनुरोध किया कि वे उनके ड्राइवर को 1,000 वॉन (€0.70) और 2,000 वॉन (€1.40) के बीच टिप दें, अगर उन्हें कंपनी की टैक्सी सर्विस पसंद आए।
हालांकि कंपनी के कई ड्राइवरों ने भी इस फैसले पर आपत्ति जताई। उनका कहना था कि हम अपने वेतन से संतुष्ट हैं, लेकिन कंपनी ने फैसले के पीछे तर्क दिया कि टिप देना ग्राहक पर निर्भर करेगा। वहीं टिप मिलने से ड्राइवरों को भी अपनी सर्विस में सुधार करने का प्रोत्साहन मिलेगा, लेकिन लोगों का कहना है कि इससे देश में ‘टिपफ्लेशन’ को बढ़ावा मिलेगा।