नई दिल्ली: दुनिया की दूसरी महाशक्ति रूस की चांद पर जाने की हसरत फिर अधूरी रह गई। रूस मिशन मून उस वक्त फेल हो गया, जब चांद पर भेजा गया लूना-25 चांद पर उतरने से पहले ही क्रैश हो गया। इस बारे में रूसी स्पेस एजेंसी रोस्कॉस्मॉस ने एक दिन पहले ही इसमें तकनीकी खराबी आ जाने की जानकारी दी थी और अब यह नष्ट हो गया। इससे रूस को लगभग 16 अरब रुपए (भारतीय मुद्रा) का नुकसान हुआ है। दूसरी ओर, भारत का चंद्रयान-3 चांद के काफी करीब पहुंच चुका है।
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47 साल के लंबे अंतराल के बाद पहली बार रूस ने 10 अगस्त को अंतरिक्ष में भेजा था अपना लूना-25 यान
बता दें कि 1976 में जब रूस सोवियत संघ रूस (USSR) का हिस्सा था तो लूना-24 के रूप में चांद पर जाने का अब तक आखिरी अभियान रहा। लगभग 170 ग्राम लूनर सैंपल के साथ लूना-24 धरती पर वापस लौटा था। अब 47 साल के लंबे अंतराल के बाद पहली बार रूस ने 10 अगस्त को अंतरिक्ष यान लूना-25 को अंतरिक्ष में भेजा था।
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रविवार 13 अगस्त को लूना-25 ने कुछ तस्वीरें ली, जिन्हें स्पेस एजेंसी की तरफ से 14 अगस्त को जारी किया गया। इसके 21 या 22 अगस्त को सॉफ्ट लैंडिंग की उम्मीद जताई जा रही थी। पेलोड हल्का होने और ईंधन भंडारण क्षमता अधिक होने के चलते कहा जा रहा था कि लूना-25 ने चंद्रमा पर पहुंचने के लिए अधिक सीधा रास्ता अपनाया है और यह लगातार बढ़ रहा है। इसी बीच शनिवार को रूस के अंतरिक्ष यान लूना-25 में लैंडिंग से ठीक पहले उस वक्त तकनीकी गड़बड़ी आ गई, जब इसे ऑर्बिट चेंज करना था।
टाइम कैल्कुलेशन में रही कमी
अचानक आई इस दिक्कत का हल निकालने में स्पेशलिस्ट कामयाब नहीं हो सके। इस बारे में रूसी स्पेस एजेंसी रोस्कोस्मोस ने बताया कि मैनुवर के समय वास्तविक और अनुमानित गणना में फर्क आने की वजह से लूना 25 एक अनपेक्षित कक्षा में चला गया। इसके बाद यह चांद के साथ यह टकराया और क्रैश हो गया।
स्पेस एजेंसी की तरफ से एक बयान में कहा गया है, ’19 अगस्त को, लूना-25 उड़ान कार्यक्रम के अनुसार, इसकी प्री-लैंडिंग अण्डाकार कक्षा बनाने के लिए इसे गति प्रदान की गई थी। स्थानीय समयानुसार दोपहर करीब दो बजकर 57 मिनट पर लूना-25 का कम्युनिकेशन सिस्टम ब्लॉक हो गया था। इस वजह से कोई भी संपर्क कायम नहीं हो पाया।
चंद्रयान-3 से वजन में आधा था लूना-25
रूस के मिशन मून की खासियत यह थी कि लगभग 200 मिलियन डॉलर यानि 16 अरब 63 करोड़ और 14 लाख रुपए (भारतीय मुद्रा में) के बजट वाले इस प्रोजेक्ट में स्पेसक्राफ्ट को डेवलप करना, लॉन्च ऑपरेशन, मिशन कंट्रोल और चांद से मिली जानकारी का वैज्ञानिक विश्लेषण शामिल था। 3,800 किलोग्राम चंद्रयान-3 के मुकाबले आधे भार यानि 1,750 किलोग्राम वाले लूना-25 में स्पेक्ट्रोमीटर और कैमरों सहित अत्याधुनिक वैज्ञानिक उपकरण थे।
स्पेस एजेंसी को पहले ही थी जोखिम की आशंका
रूस के मिशन मून को लेकर एक बात और यह भी उल्लेखनीय है कि स्पेस एजेंसी रोस्कोस्मोस हेड यूरी बोरिसोव ने इसकी शुरुआत में ही नाकामी की आशंका जता दी थी। उन्होंने जून में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से कहा था कि चांद पर पहुंचने के मिशन में जोखिम बहुत होता है। ऐसे 70 प्रतिशत के करीब मिशन ही कामयाब हो पाते हैं।