Pervez Musharraf Last Rites: पाकिस्तान के पूर्व सैन्य शासक जनरल परवेज मुशर्रफ आज कराची में सुपुर्द-ए-खाक किए जाएंगे उन्हें कराची के ओल्ड आर्मी कब्रिस्तान में आज दफनाया जाएगा। इससे पहले अंतिम संस्कार की नमाज मलिर कैंट के गुलमोहर पोलो ग्राउंड में होगी। जहां सभी व्यवस्थाएं पूरी कर ली गई हैं। परवेज मुशर्रफ का पार्थिव शरीर सोमवार को दुबई से चार्टर्ड विमान के जरिए कराची लाया गया।
आपको बता दें कि 1999 में कारगिल युद्ध के सूत्रधार और पाकिस्तान के अंतिम सैन्य शासक मुशर्रफ का लंबी बीमारी के बाद रविवार को दुबई में निधन हो गया था। मई 2016 में पाकिस्तान की एक अदालत ने उन पर देशद्रोह के आरोप लगाए थे। इसके बाद वो देश छोड़कर दुबई चले गए थे।
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State Protocol to the mortal remains of former Military Dictator Pervez Musharraf pic.twitter.com/DYpx4v98zS
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79 साल के परवेज मुशर्रफ और लंबे वक्त से बिमार चल रहे थे। मुशर्रफ को दुबई के अस्पताल में उनका इलाज किया जा रहा था। मुशर्रफ कई महीने से अस्पताल में भर्ती थे। उनके परिवार ने ट्विटर पर जानकारी देते हुए कहा था कि वे अमाइलॉइडोसिस नाम की बीमारी से जूझ रहे हैं, जिसके चलते उनके सभी अंगों ने काम करना बंद कर दिया। इसके बाद रविवार 5 फरवरी को दुबई में उनका निधन हो गया। वो 2016 से संयुक्त अरब अमीरात में थे। उनका दुबई में एमाइलॉयडोसिस का इलाज चल रहा था।
दिल्ली के दरियागंज में हुआ जन्म
परवेज मुशर्रफ का जन्म में 11 अगस्त 1943 में दिल्ली के दरियागंज में हुआ था। विभाजन के समय उनका परिवार पाकिस्तान चला गया। उनके पिता सईद पाकिस्तान सरकार में काम करते थे। कॉलेज की पढ़ाई खत्म करने के बाद 21 साल की उम्र परवेज मुशर्रफ ने बतौर जूनियर अफसर पाकिस्तानी आर्मी जॉइन कर ली। उन्होंने 1965 के युद्ध में भारत के खिलाफ लड़ाई लड़ी। 1971 के युद्ध में भी मुशर्रफ की महत्वपूर्ण भूमिका रही। जिसे देखते हुए सरकार ने उन्हें कई बार प्रमोट किया। 1998 में परवेज मुशर्रफ जनरल बने।
मिली थी फांसी की सजा
मुशर्रफ ने जनरल बनते ही नवाज शरीफ की सरकार गिरा दी और पाकिस्तान के तानाशाह बन गए। आपको बता दें कि परवेज मुशर्रफ वह शख्स हैं जिन्हें कि पाकिस्तान में फांसी की सजा सुनाई गई थी. पाकिस्तान में 3 नवंबर, 2007 को इमरजेंसी लगाने और और दिसंबर 2007 के मध्य तक संविधान को निलंबित करने के जुर्म में परवेज मुशर्रफ पर मुकदामा चला और मुशर्रफ को 31 मार्च, 2014 को दोषी ठहराया गया था