Paro Bhutan Airport Landing: दुनियाभर में कई ऐसे एयरपोर्ट हैं, जिन्हें काफी रिस्की माना जाता है। इन एयरपोर्ट पर प्लेन लैंड करते वक्त पायलट की सांसें फूल जाती हैं। भूटान का पारो इंटरनेशनल उनमें से एक है। इस एयरपोर्ट को प्लेन की लैंडिंग के लिए तकनीकी रूप से सबसे मुश्किल माना जाता है। इस एयरपोर्ट पर पायलट को दो 18000 फुट की चोटियों के बीच बने छोटे से रनवे पर उड़ान भरने के लिए पूरा दम दिखाना होना होता है। इसके लिए टेक्निकल नॉलेज के साथ-साथ दृढ़ निश्चयी होना बेहद जरूरी है।
पायलट के स्किल की परीक्षा
एयरपोर्ट की चुनौतीपूर्ण परिस्थितियां भूटान की यात्रा को रहस्यमयी बना रही हैं। खास बात यह है कि इस एयरपोर्ट पर जंबो जेट विमानों का इस्तेमाल नहीं किया जाता क्योंकि यहां की अनोखी परिस्थितियां कभी भी जान जोखिम में डाल सकती हैं। हालांकि कई लोग इसे रोमांचक यात्रा के तौर पर देखते हैं। भूटान की नेशनल एयरलाइन ड्रुक एयर में 25 साल से काम कर कैप्टन चिमी दोरजी ने सीएनएन से कहा- पारो पर उड़ान भरना कठिन है, लेकिन खतरनाक नहीं है। इस एयरपोर्ट पर पायलट के स्किल की परीक्षा होती है। दोरजी ने आगे कहा- अगर यह खतरनाक होता, तो मैं उड़ान नहीं भर पाता।
Watch this skilled pilot maneuver between mountains to land the Airbus A319-100 at one of the most dangerous airports in the world, Paro Airport, Bhutan. pic.twitter.com/JjqeDFpFTH
— Planesanity (@planesanity) June 4, 2024
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स्पेशल ट्रेनिंग की जरूरत
पारो सी-कैटेगरी का एयरपोर्ट है। इस कैटेगरी के एयरपोर्ट पर पायलट्स को उड़ान भरने के लिए विशेष ट्रेनिंग की जरूरत होती है। उन्हें रडार के बिना, मैनुअल रूप से खुद ही लैंडिंग करनी होती है। दोरजी का कहना है कि पायलट्स को हवाई अड्डे के आसपास के परिदृश्य को जानना महत्वपूर्ण है। इसमें एक इंच का भी अंतर होने पर आप किसी के घर के ऊपर उतर सकते हैं।
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दोपहर से पहले लैंड कराना आसान
बता दें कि चीन और भारत के बीच स्थित भूटान का 97% हिस्सा पहाड़ों से बना है। इसकी राजधानी थिम्पू समुद्र तल से 7,710 फीट (2,350 मीटर) ऊपर है। पारो एयरपोर्ट इससे थोड़ा नीचे है, जिसकी ऊंचाई 7,382 फीट है। दोरजी के मुताबिक, ऊंचे स्थानों पर हवा पतली होने की वजह से प्लेन को हवा में तेजी से उड़ाना पड़ता है। नई दिल्ली, बैंकॉक या काठमांडू से अपनी उड़ान के लिए हमें बहुत जल्दी उठना पड़ता है क्योंकि हवाई अड्डे के अधिकारी तेज हवा की वजह से सभी प्लेन को दोपहर से पहले लैंड कराते हैं।
Cockpit view of A320 doing amazing landing at paro Airport in Bhutan pic.twitter.com/DdhHJoTow6
— Aviationdaily✈️الطيران يوميآ (@Aviationdailyy) December 13, 2018
रनवे महज 7431 फीट लंबा
दोरजी के अनुसार, हम दोपहर के बाद फ्लाइट्स से बचने की कोशिश करते हैं क्योंकि तब तापमान बढ़ता है और आपको बहुत ज्यादा हवाओं का सामना करना पड़ता है। इसके विपरीत सुबह बेहद शांत होती हैं। हालांकि किसी भी मौसम में रडार की कमी के कारण पारो में रात को उड़ानें नहीं होतीं। पारो का रनवे महज 7,431 फीट लंबा है और इसके दोनों ओर दो ऊंचे पहाड़ हैं। नतीजतन, पायलट रनवे को हवा से तभी देख पाते हैं जब वे उस पर उतरने वाले होते हैं। दोरजी का कहना है कि भूटान में सिर्फ 50 प्रतिशत ही पायलट्स को लाइसेंस मिला है। हालांकि अगले कुछ साल में ये संख्या दोगुनी हो सकती है।
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