Nobel Peace Prize 2025: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप शांति के नोबेल अवार्ड के लिए दावेदारों की सूची में शामिल हैं. वे नोबेल पीस प्राइज लेना चाहते हैं और खुद को इसका हकदार मानते हैं. वे प्राइज के लिए लॉबिंग कर रहे हैं और पुरस्कार की घोषणा करने वाली कमेटी के सदस्यों से बातचीत भी कर चुके हैं, लेकिन नोबेल पीस प्राइज के लिए आवेदन करने में चूकने और गाजा शांति योजना के अभी अस्थायी होने के कारण उनकी दावेदारी कमजोर पड़ गई. ऐसे में उन्हें नोबेल पीस प्राइज 2025 मिलने के चांस बेहद कम हैं.
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लेकिन जिस शिद्दत से नोबेल पीस प्राइज पाने के लिए राष्ट्रपति ट्रंप प्रयास कर रहे हैं, अगर वे फेल हो गए और उन्हें प्राइज नहीं मिल तो वे क्या करेंगे? उनकी प्रतिक्रिया क्या होगी? इस पर सियासी गलियारों में चर्चा शुरू हो गई है, आइए जानते हैं…
अमेरिका का अपमान समझेंगे
दरअसल, राष्ट्रपति ट्रंप अब तक कई सार्वजनिक मंचों से नोबेल पीस प्राइज का हकदार होने का दावा कर चुके हैं. वे अकसर कहते सुने गए कि 9 महीने में 8 युद्ध रुकवाने के लिए उन्हें पीस प्राइज मिलना चाहिए, लेकिन अगर राष्ट्रपति ट्रंप को पुरस्कार नहीं मिला तो वे इसे अमेरिका का अपमान मान सकते हैं. राष्ट्रवादी भावनाओं से जोड़कर घटनाक्रम को दुनिया के सामने पेश करके सहानुभूति बटोर सकते हैं.
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नॉर्वे से बिगड़ सकते हैं रिश्ते
बता दें अगर राष्ट्रपति ट्रंप को नोबेल पीस प्राइज नहीं मिल तो नॉर्वे के साथ रिश्ते बिगड़ सकते हैं. नॉर्वे के सांसद किर्स्टी बर्गस्टो कह चुके हैं कि राष्ट्रपति ट्रंप कब क्या करें, कोई नहीं जानता, इसलिए दुनिया को उनके किसी भी फैसले के लिए तैयार रहना चाहिए. ट्रंप यूक्रेन के लिए रूस और सबसे करीबी दोस्त भारत को धमकी दे चुके हैं, ऐसे में अगर उन्हें नोबेल पीस प्राइज नहीं मिला तो वे नॉर्वे के खिलाफ कोई कूटनीतिक फैसला ले सकते हैं.
नोबेल कमेटी सदस्य होंगे टारगेट
अगर राष्ट्रपति ट्रंप को पुरस्कार नहीं मिला तो वे नोबेल प्राइज की घोषणा करने वाली समिति को निशाने पर ले सकते हैं. कमेटी के पांचों सदस्यों जॉर्गन फ्रिडनेस, असले टोजे, ऐन एंगर, क्रिस्टिन क्लेमेट और ग्राय लार्सन के खिलाफ बयानबाजी कर सकते हैं. क्योंकब क्लेमेट ने ट्रंप के खिलाफ बोला था कि वे अमेरिका को कमजोर कर रहे हैं, वहीं लार्सन ने राष्ट्रपति ट्रंप की आलोचना महिलाओं और मानवाधिकारों पर दिए गए उनके बयानों को लेकर की थी. फ्रिडनेस ने कहा था कि ट्रंप का दबाव निरर्थक है, क्योंकि कमेटी किसी दबाव में आकर फैसला नहीं लेगी.
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लगा सकते हैं साजिश का आरोप
अगर राष्ट्रपति ट्रंप को नोबेल पीस प्राइज नहीं मिला तो वे उनके खिलाफ साजिश रचे जाने का आरोप लगा सकते हैं. साल 2020 के चुनाव में भी उन्होंने ऐसा ही किया था और चुनाव हार जाने पर सिस्टम को रिग्ड बताते हुए साजिश के आरोप लगाए थे.
नॉर्वे को कह सकते हैं लेफ्टिस्ट
राष्ट्रपति ट्रंप से हार बर्दाश्त नहीं होता, इसका उदाहरण वे साल 2020 के चुनाव में दे सकते हैं. अब अगर उन्हें नोबेल पीस प्राइज नहीं मिला तो वे नॉर्वे को लेफ्टिस्ट करार दे सकते हैं. लिबरल एजेंडे वाला देश कह सकते हैं. नोबेल प्राइज की घोषणा करने वाली कमेटी को पक्षपाती और राजनीतिक रूप से प्रेरित होकर फैसले लेने वाली संस्था कहा सकते हैं.