Balendra Shah Nepal: बालेंद्र शाह… नेपाल की केंद्रीय राजनीति में जिस तेजी के साथ ये नाम उभरा है, शायद ही किसी का उभरता होगा। मेयर पद पर बैठे, रैप गाने वाले, युवाओं के बीच Gen-Z की बात करने वाले लोकप्रिय ‘नेता’ पर आज नेपाल की जनता या कहें कि युवा आबादी पूरा भरोसा जता रही है। 35 साल का ये वही युवा है, जो अक्सर अपनी रील्स के जरिए Gen-Z तक पहुंचता है। जो सोशल मीडिया पर रोक का विरोध करता है, भ्रष्टाचार के खिलाफ मुखर है। जो हिंसा के बीच Gen-Z से कहता है- ”देश तुम्हारे हाथ में है, अब घर जाओ।” बालेंद्र शाह को अब नेपाल का नया पीएम बनाने की मांग उठने लगी है। Gen-Z अब उन्हें भावी प्रधानमंत्री के रूप में देखने लगी है। तख्तापलट के बाद तो सवाल ये भी उठने लगे हैं कि अगर बालेंद्र नेपाल के पीएम बने तो भारत के साथ नेपाल के संबंधों का क्या होगा? आखिर बालेंद्र की भारत को लेकर क्या सोच है? बालेंद्र के पीएम बनने से भारत को फायदा होगा या नुकसान? आइए जानते हैं…
भारत को लेकर क्या है बालेंद्र का रुख?
बालेंद्र काठमांडू के मेयर हैं। वह भारत को लेकर अपने बयानों की वजह से सुर्खियों में रहे हैं। ये वही नेता हैं, जिन्होंने करीब 2 साल पहले हिंदी फिल्म ‘आदिपुरुष’ को लेकर अपनी आपत्ति जता दी थी। उनका कहना था कि फिल्म में माता सीता को भारत की बेटी कहना गलत है। इसी के साथ उन्होंने नेपाल में हिंदी फिल्मों को पूरी तरह से बैन करने की भी मांग कर दी थी। नेपाल के युवाओं के लिए ये बात इसलिए भी चौंकाने वाली रही, क्योंकि वहां बॉलीवुड और खासतौर पर हिंदी फिल्मों की जबर्दस्त फैन फॉलोइंग है। बालेंद्र ने काठमांडू में हिंदी फिल्मों को चलाने पर भी सवाल उठा दिए थे। इसी के चलते उन्होंने खूब सुर्खियां बटोरीं।
हालांकि ये पहला मौका नहीं था, जब मेयर बालेंद्र ने भारत को लेकर अपनी नाराजगी जताई थी। वह इसेस पहले भारतीय संसद में लगे अखंड भारत के नक्शे पर भी आपत्ति जता चुके थे। उनका कहना था कि नए संसद भवन में लगे भारत के नक्शे में बांग्लादेश और पाकिस्तान के साथ ही ग्रेटर नेपाल के कई हिस्सों के भी नक्शे थे। इन्हें बिहार, यूपी और हिमाचल का हिस्सा बताया गया था। वह नेपाल की पूर्व सरकार को ‘भारत का दास’ भी बता चुके हैं।
फायदा या नुकसान, किसकी संभावना ज्यादा?
बालेंद्र अक्सर भारत के विरोध में बयान देकर सुर्खियां बटोरते हैं। हालांकि उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर्नाटक की विश्वेश्वरैया टेक्नीकल यूनिवर्सिटी से की है। अब भले ही बालेंद्र शाह ने पढ़ाई भारत से की हो, लेकिन अगर नेपाल की सत्ता में आते हैं तो फायदे और नुकसान दोनों हो सकते हैं। बालेंद्र युवा हैं, वह फ्रीडम और ट्रांसपेरेंसी की बात करने वाले लीडर हैं। भारत को भी कूटनीतिक रूप से एक स्थिर पड़ोसी और बेहतर नेतृत्व की जरूरत है। वह भारत के साथ व्यापार और कूटनीतिक रिश्तों को बेहतर बनाने पर काम कर सकते हैं।
नेपाल में सरकारें स्थिर नहीं रही हैं। यहां 17 साल में 14 बार सरकार बदल चुकी है। अगर बालेंद्र नेपाल को स्थिर नेतृत्व देने में सफल होते हैं तो भारत के लिए भरोसेमंद सरकार के साथ काम करना आसान होगा। बालेंद्र चीन की तरफ झुकने के बजाय संतुलन बनाने की कोशिश करेंगे, तो भारत को रणनीतिक फायदा भी हो सकता है।
अब बात करते हैं बालेंद्र अगर पीएम बनते हैं तो नुकसान क्या होगा?
लोकल मुद्दों पर जोर देने वाले बालेंद्र राष्ट्रवादी तेवरों को लेकर मुखर हो सकते हैं। इससे वह ये नैरेटिव सेट कर सकते हैं कि भारत हमारे किसी मामले में दखल न दे। नेपाल में पहले भी नक्शा विवाद काफी चर्चित रह चुका है। बालेंद्र नक्शा विवाद को बढ़ा सकते हैं। वह पिछले साल फरवरी में यूएस एंबेसडर से भी मिल चुके हैं।
अगर बालेंद्र अमेरिका या चीन परस्ती दिखाते हैं तो भारत को कूटनीतिक झटके के आसार बन सकते हैं। इसी के साथ भारत-नेपाल के बीच कई समझौते हो चुके हैं। जैसे 1950 की संधि। इसके तहत भारत-नेपाल के बीच शांति और मैत्री समझौता हुआ था। जिससे दोनों देशों के बीच संबंध बेहतर बने थे। अगर बालेंद्र शाह इनकी समीक्षा या रद्द करने की कोशिश करें, तो रिश्ते तनावपूर्ण हो सकते हैं। वह अपनी लोकप्रियता के लिए भारत विरोधी नैरेटिव अपनाते हैं तो दोनों देशों के बीच रिश्ते बिगड़ सकते हैं। अगर बालेंद्र शाह पीएम बनते हैं तो भारत को बेहद सावधानी के साथ नेपाल से रिश्ते रखने होंगे। भारत को नेपाल के लिए रणनीतिक तौर पर विशेष नीति बनानी होगी।
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कौन हैं बालेंद्र शाह?
बालेंद्र शाह का जन्म 1990 में नेपाल के काठमांडू के नरदेवी में मैथिल मूल के एक मधेसी परिवार में हुआ था। नेपाल से सिविल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन करने के बाद वह मास्टर डिग्री के लिए भारत भी आए। वह नेपाल के हिपहॉप कल्चर में रैपर और म्यूजिशियन के तौर पर जाने जाते हैं। अपने म्यूजिक में भी वह करप्शन जैसे मुद्दों को उठाते रहे हैं। अपनी पॉपुलैरिटी के बाद बालेंद्र ने राजनीति का रास्ता चुना। उन्होंने 2022 में काठमांडू के मेयर का चुनाव लड़ा और खास बात यह रही कि वह स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़े थे। इस चुनाव के नतीजों ने सभी को चौंका दिया था। उन्होंने दिग्गज उम्मीदवारों को पीछे छोड़ लगभग 61 हजार वोटों से फतह हासिल की।
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क्या हैं नेपाल के मौजूदा हाल?
नेपाल में सेना सड़क पर आ चुकी है और कंट्रोल अपने हाथों में ले लिया है। सेना ने लोगों से शांति बनाने की भी अपील की है। हिंसा में अब तक 19 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 300 से ज्यादा घायल हैं। पीएम केपी शर्मा ओली के साथ ही राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल भी इस्तीफा दे चुके हैं। इसके बावजूद हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही है। बैंक और सरकारी संस्थान लूटे जा रहे हैं। हालांकि Gen-Z का कहना है कि उनका हिंसा से कोई लेना-देना नहीं है। बालेंद्र शाह जैसे नेताओं ने शांति बनाने की अपील की है।