Third World War Possibilities: इजरायल और ईरान के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है और दोनों देशों की आपसी नफरत पश्चिम एशिया में बड़े युद्ध की सुगबुगाहट है, जो तीसरे विश्व युद्ध को दस्तक दे सकती है। क्योंकि दोनों देशों में छिड़ी जंग में तीसरा पक्ष अमेरिका है। अमेरिका इजरायल के समर्थन में है और रूस ईरान के समर्थन में आया है। ईरान-इजरायल के कारण दुनिया के 2 सबसे बड़े देश आमने-सामने हो सकते हैं। अगर अमेरिका और रूस आमने-सामने हुए तो दुनियाभर के देशों को इनका साथ देना होगा।
इस तरह पूरी दुनिया में जंग छिड़ने के आसार बन सकते हैं। इजरायल और ईरान से पहले ही कई देशों में युद्ध चल रहा है। भारत और पाकिस्तान भी युद्ध की कगार तक पहुंचकर वापस आ चुके हैं, लेकिन कभी भी युद्धक्षेत्र में खड़े हो सकते हैं। फ्रांस के मशहूर भविष्यवक्ता ‘माइकल दि नास्त्रेदमस’ पहले ही भविष्यवाणी कर चुके हैं कि साल 2025 में दुनिया तीसरे विश्व युद्ध के बीच सांसें लेगी। आइए इजरायल-ईरान की जंग में अमेरिका के कूदने के बाद तीसरा विश्व युद्ध छिड़ने की संभावनाओं पर News24 के एंकर सचिन अरोड़ा की विशेष रिपोर्ट…
ईरान का जिद्दी रवैया बनेगा तीसरे विश्व युद्ध की वजह
बता दें कि इजरायल और ईरान के बीच विवाद ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को लेकर है। अमेरिका और इजरायल नहीं चाहते कि ईरान परमाणु हथियार बनाए। इजरायल ने ईरान के परमाणु ठिकानों को टारगेट करते हुए हमला किया। इजरायल ने हमला किया तो ईरान ने अमेरिका को इजरायल का मददगार कहते हुए परमाणु समझौते पर बात करने से इनकार कर दिया। ईरान का रवैया देख अमेरिका भड़क गया।
अमेरिका ने ईरान को बिना शर्त के आत्मसमर्पण करने को कहा और इजरायल ने ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई का खात्मा करने का ऐलान किया तो ईरान भड़क गया। ईरान ने आत्मसमर्पण नहीं करने की घोषणा करते हुए जंग का ऐलान कर दिया। साथ ही खामेनेई ने अमेरिका को चेतावनी दे दी कि अगर अमेरिका युद्ध का हिस्सा बना तो नुकसान उठाना पड़ेगा। अमेरिका ईरान पर हमला करने की तैयारी कर चुका है। पश्चिम एशिया में अपने लड़ाकू विमान और युद्धपोत पहले ही भेज चुका है।
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जंग में इजरायल का साथ देने को अमेरिका तैयार
ईरान के प्रति अमेरिका ने जिस तरह का सख्त रवैया अपनाया हुआ है, उससे एक सवाल यह खड़ा होता है कि आखिर इजरायल का साथ देने में अमेरिका का क्या फायदा होगा? क्योंकि अमेरिका इजरायल न केवल समर्थन कर रहा है, बल्कि ऐसे व्यवहार कर रहा है, जो ईरान ने अमेरिका पर हमला किया हो। ताकत की बात करें तो ईरान के पास इजरायल से ज्यादा ताकत है, लेकिन फिर भी इजरायल ने ईरान पर पहले हमला किया और अमेरिका भी इजरायल को अपना सबकुछ देने को तैयार है।
जबकि अमेरिका को अच्छे से पता है कि अगर वह युद्ध में कूदा तो कई देश आपस में टकराएंगे और विश्व स्तर पर युद़्ध के बाद मंडरा सकते हैं, बावजूद इसके वह ईरान पर हमला करने की तैयारी कर चुका है। सियासी गलियारों में ईरान के खिलाफ इजरायल और अमेरिका की दोस्ती की चर्चा है और कहा जा रहा है कि इजरायल का साथ देने से अमेरिका को कई फायदे होंगे। ईरान के खिलाफ इजरायल के साथ जंग में अमेरिका के उतरने के पीछे 4 बड़े कारण हो सकते हैं।
इन कारणों से इजरायल का साथ देगा अमेरिका
इजरायल और अमेरिका की दोस्ती की एक वजह दोनों देशों के बीच स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप और रणनीतिक साझेदारी है, जो कमाल की है। दोनों देश एक-दूसरे की जरूरतों और इरादों को समझते हैं। अमेरिका को पता है कि मध्य पूर्व में उसका सबसे विश्वसनीय सहयोगी इजरायल है। अगर अमेरिका को पूरे मिडिल ईस्ट पर अपना वर्चस्व और प्रभुत्व कायम करना है तो इजरायल इसमें मददगार होगा। दूसरी वजह यह है कि अमेरिका मध्य पूर्व की परमाणु नीतियों का संचालन अपने हाथ में रखना चाहता है और मध्य पूर्व में अपनी परमाणु नीति का विस्तार करता है तो इसके लिए इजरायल की जमीन बढ़िया रहेगी।
ईरान को कंट्रोल करना है तो इजरायल बढ़िया पार्टनर है, क्योंकि इनकी दुश्मनी पुरानी है। तीसरा कारण आर्थिक और तकनीकी सहयोग है। इंडस्ट्रीज के साथ-साथ इजरायल साइबर सिक्योरिटी के सेक्टर में काफी उन्नत है। अमेरिका के साथ व्यापार करने का सबसे बड़ा फायदा इजरायल को यह हुआ कि जहां मध्य पूर्व में इजरायल का बॉयकॉट होता था, वहां आज इजरायल बड़ी शक्ति बनकर उभर रहा है। चौथी और सबसे अहम वजह अमेरिका के चुनाव में फंडिंग करने वाली लॉबी, जिसका प्रभाव वहां की राजनीति पर हमेशा पड़ता है। इसलिए अमेरिका इजरायल का साथ दे रहा है। ईरान को खत्म करने की इजरायल की मंशा और मध्य पूर्व को कंट्रोल करने की अमेरिका की मंशा तीसरे विश्व युद्ध का कारण बन सकती है।