Iran Court Verdict On The Viral Girl: अंडरगारमेंट्स पहनकर तेहरान यूनिवर्सिटी की सड़कों पर घूमने वाली ईरानी लड़की पर कोर्ट का फैसला आ गया है। कोर्ट ने उसे रिहा कर दिया है। उसके खिलाफ न कोई आरोप लगाया गया है और न ही केस दर्ज किया गया। लड़की को मानसिक रूप से बीमार मानकर उसे उसके परिजनों के हवाले कर दिया गया है। साथ ही कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि ड्रेस कोड के विरोध में कपड़े उतारने वाले किसी भी छात्र पर कानूनी कार्रवाई नहीं की जाएगी।
कोर्ट के प्रवक्ता असगर जहांगीर ने इस फैसले की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि मेडिकल टेस्ट में लड़की मानसिक रूप से बीमार मिली। उसके परिजनों, रिश्तेदारों और दोस्तों ने भी उसके मेंटली डिस्टर्ब होने की बात कही थी। इसलिए हिजाब पहनने के लिए कहने पर वह चिढ़ गई और उसने अपने कपड़े उतार दिए। उसकी इस हरकत के लिए परिजनों ने कोर्ट से माफी भी मांगी।
एक तरुणी विवस्त्र होऊन जेव्हा व्यवस्थेला नागडं करते…
---विज्ञापन---स्त्रियांच्या स्वातंत्र्याविषयी तळमळ असणाऱ्या प्रत्येकाने दखल घ्यावी अशी अंगावर शहारे आणणारी घटना-
हिजाब नीट परिधान केला नाही म्हणून ahoo Daryaei या तरुणीला धमकावण्यात आलं. याचा विरोध म्हणून इराणच्या तेहराण मधील इस्लामिक… pic.twitter.com/yKh1sueheo
— Saurabh Koratkar (@saurabhkoratkar) November 3, 2024
नवंबर में वायरल हुए थे फोटो और वीडियो
मीडिया रिपार्ट के अनुसार, नवंबर महीने की शुरुआत में ईरान की एक लड़की अहौ दारयाई का वीडियो वायरल हुआ था। इस वीउियो में वह तेहरान के इस्लामिक आजाद विश्वविद्यालय में बैठी नजर आई। उसे सड़कों पर चलते हुए भी देखा गया, लेकिन इस वीडियो में अलग बात यह थी कि अहो ने सिर्फ अंडरगारमेंट्स पहने हुए थे। लोगों ने उसे घर जाने को कहा, लेकिन उसने कहा कि उसे हिजाब पहनने के लिए मजबूर किया गया।
अगर वह इसके खिलाफ आवाज उठाकर बुरी बनती है या उसे मार दिया जाता है तो वह उसे मंजूर होगा। मिसाल न सही कम से काम आग तो सुलगेगी। अहो के इस कदम की दुनियाभर में चर्चा हुई। 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद ईरान में महिलाओं के लिए गर्दन-सिर ढंकना तथा शालीन कपड़े पहनना अनिवार्य कर दिया गया था, लेकिन अहो ने इसका विरोध किया तो ईरान की मोरल पुलिस उसे पकड़कर थाने ले गई और उसे जेल भेज दिया गया था।
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ईरान की मंत्री ने की थी ‘वेश्यावृत्ति’ से तुलना
ईरान के विज्ञान मंत्री होसैन सिमाई ने अहो की हरकता को अनैतिक और अप्रचलित बताया था और कहा था कि उसे विश्वविद्यालय से निष्कासित नहीं किया गया है। जिन लोगों ने अहो के वीडियो को वायरल किया, उन्होंने वेश्यावृत्ति को बढ़ावा दिया, जबकि ऐसी घटनाओं को प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि वे न तो नैतिक रूप से और न ही धार्मिक रूप से उचित हैं।
लंदन स्थित मानवाधिकार समूह एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा कि महिला को सुरक्षा अधिकारियों द्वारा अनिवार्य बुर्का पहनने के दुरुपयोग के विरोध में अपने कपड़े उतारने के बाद हिंसक तरीके से गिरफ्तार किया गया था। वहीं ईरानी सरकार की प्रवक्ता फतेमेह मोहजेरानी ने अहो की गिरफ्तारी और घटना का इस्लामी ड्रेस कोड से किसी भी तरह का संबंध होने से इनकार किया। उन्होंने कहा, वास्तव में मुद्दा कुछ और था। फिर चाहे कुछ भी हो, इस स्तर की नग्नता कहीं भी स्वीकार्य नहीं है।
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