इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है. यहां एक सात मंजिला बिल्डिंग में भीषण आग लगने से अब तक 20 लोगों की मौत हो चुकी है. आग पर काबू पाने के लिए मौके पर फायर ब्रिगेड की गाड़ियां मौजूद हैं, बिल्डिंग में फंसे लोगों को बाहर निकालने का काम तेजी से किया जा रहा है. घटना, जकार्ता के केमायोरन इलाके की है जहां सात मंजिला दफ्तर में अचानक लगी भयंकर आग ने पूरे इलाके में अफरा-तफरी मचा दी. कुछ ही मिनटों में लपटों ने पूरी इमारत को आग की भट्टी में बदल दिया. मृतकों में 5 पुरुष, 15 महिलाएं और एक गर्भवती महिला भी शामिल बताई जा रही है.
कैसे लगी इमारत में आग?
बिल्डिंग में लगी आग से उठता काला धुआं दूर-दूर तक दिखाई दे रहा था. पास-पड़ोस के दफ्तरों में काम कर रहे कर्मचारी और स्थानीय लोग दहशत में सड़कों पर निकल आए. दमकल विभाग की करीब 28 फायर ब्रिगेड गाड़ियां और 100 से ज्यादा फायरफाइटर्स आग बुझाने में जुटे. जकार्ता मेट्रो पुलिस के सीनियर कमांडर सुसात्यो पुर्नोमो कोंड्रो के अनुसार, आग का स्रोत पहली मंजिल पर रखा लिथियम-आयन ड्रोन बैटरी स्टॉक था. उसी में ब्लास्ट के बाद आग फैल गई.
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बिल्डिंग फ्लोर को बनाया बैटरियों का छोटा गोदाम
अधिकारी ने आगे बताया, ‘इमारत की पहली मंजिल पर इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और बैटरियों का छोटा गोदाम था. एक बैटरी के फटने से आग भड़की और कुछ सेकंड में ही ऊपरी मंजिलों तक फैल गई.’ जिस फ्लोर पर आग लगी वहां, ड्रोन सर्विस कंपनी ‘टेरा ड्रोन इंडोनेशिया’ का ऑफिस था, जो खनन, कृषि और इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्रों में हवाई सर्वेक्षण करने वाली एक प्रमुख कंपनी है. जापानी फंडिंग वाली यह फर्म बैटरी-आधारित ड्रोन टेक्नोलॉजी पर काम करती है.
फायर सेफ्टी सिस्टम बना सबसे बड़ी लापरवाही
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, बैटरी चार्जिंग के दौरान शॉर्ट सर्किट या ओवरहीटिंग इस हादसे की मुख्य वजह हो सकती है. स्थानीय प्रशासन की शुरुआती जांच में यह बात सामने आई कि इमारत में फायर स्प्रिंकलर सिस्टम नहीं था, और आपातकालीन निकास (एग्जिट पॉइंट्स) बेहद सीमित थे. इससे ऊपरी मंजिलों पर फंसे लोगों के लिए बाहर निकलना लगभग असंभव हो गया.










