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Halloween 2022: क्या है इस भूतिया रात की कहानी, क्यों बुरी आत्माओं के लिए जश्न मनाते हैं इन देशों के लोग?

Halloween 2022:  दक्षिण कोरिया (South Korea) के सियोल में हैलोवीन (Halloween) समारोह में शनिवार को मची भगदड़ में दम घुटने और दिल का दौरा पड़ने से करीब 146 लोगों की मौत हो गई। जबकि 150 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हैं। अब आपके जहन में एक सवाल कौंध रहा होगा कि हैलोवीन आखिर […]

Author Edited By : Naresh Chaudhary Updated: Oct 30, 2022 01:25

Halloween 2022:  दक्षिण कोरिया (South Korea) के सियोल में हैलोवीन (Halloween) समारोह में शनिवार को मची भगदड़ में दम घुटने और दिल का दौरा पड़ने से करीब 146 लोगों की मौत हो गई। जबकि 150 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हैं। अब आपके जहन में एक सवाल कौंध रहा होगा कि हैलोवीन आखिर है क्या? क्या है भूतिया रात की कहानी, जिसे लोग जश्न के रूप में मनाते हैं।

कब सामने आया हैलोवीन शब्द

पहले समझते हैं हैलोवीन शब्द को। बता दें कि हैलोवीन शब्द 19वीं शताब्दी के दशक में अस्तित्व में आया। यूरोप के कई देशों में सेल्टिक लोग रहते थे। उनके पवित्र त्योहार समहेन से इस शब्द की उत्पत्ति हुई। सेल्टिक लोगों का मानना था कि 31 अक्टूबर की रात को जीवित लोगों और आत्माओं की दुनिया के बीच की रेखा धुंधली हो जाती है।

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बुरी आत्माएं पृथ्वी पर आती हैं, इसलिए इन अपवित्र आत्माओं को भगाने के लिए हैलोवीन को मनाना शुरू किया गया था। इस दिन लोग भूतिया कपड़े पहन कर आग के साथ जश्न मनाते थे, ताकि बुरी आत्माएं पृथ्वी से चली जाएं।

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अगले दिन देवताओं के लिए मनाते हैं उत्सव

वहीं कुछ पश्चिमी देशों की मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हैलोवीन के अगले दिन यानी 1 नवंबर को ऑल सेंट डे मनाया जाता है। 8वीं शताब्दी में पोप ग्रेगरी III के मुताबिक पृथ्वी से भूत और बुरी आत्माएं भाग गई थीं, इसलिए देवताओं के आने का उत्सव मनाया जाता था। लिहाजा हैलोवीन को ऑल हैलोज ईव के नाम से भी जाना जाता है।

खासकर इन देशों में मनाया जाता है हैलोवीन

मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि यह त्योहार मुख्य रूप से आयरलैंड गणराज्य, आयरलैंड, संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, प्युर्तोरिको, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया में मनाया जाता था। इसके पीछे मान्यता यह भी है कि इस समय इन देशों में फसलों के पकने का समय होता है। साथ ही सर्दियों की शुरुआत होती है। हालांकि धीरे-धीरे इन देशों में हैलोवीन का मकसद और महत्व बदलता चला गया।

अब सिर्फ शनिवार-रविवार की छुट्टी का मनान है हैलोवीन

द हिस्ट्री चैनल की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि वर्ष 1920 और 30 के दशक तक हैलोवीन अपने अर्थ को खो चुका था। यह अब समुदाय आधारित जश्न में बदल चुका था। रिपोर्ट में कहा गया था कि धार्मिक सिद्धांतों का उल्लंघन हो गया था। वहीं हाल की कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया है कि अब हैलोवीन अब शनिवार-रविवार की छुट्टी मनाने का एक मौका बनकर रह गया है।

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Naresh Chaudhary

First published on: Oct 30, 2022 01:19 AM
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