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New Study: 24 घंटे से कम हो सकती है 1 दिन की लंबाई! धरती के Inner Core में आ रहा बड़ा बदलाव

Earth Inner Core Rotation Speed Slowdown: धरती की प्रकृति में बदलाव आने की बात सामने आई है। नई स्टडी में जो बातें पता लगी हैं, उससे मानव जीवन प्रभावित हो सकता है। हालांकि बड़े बदलाव से वैज्ञानिकों ने इनकार किया है। आखिर ये बदलाव क्या है? जिसको लेकर अब वैज्ञानिकों ने दावा किया है।

Edited By : Parmod chaudhary | Updated: Jun 15, 2024 17:39
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धरती की आंतरिक कोर की स्पीड में कमी। फोटो-आईस्टॉक

Earth Inner Core: धरती की आंतरिक गति के घूमने की स्पीड कम होने का दावा एक स्टडी में किया गया है। फिलहाल पृथ्वी अपनी धुरी पर 1000 मील प्रति घंटे की रफ्तार से घूमती है। जिसको अपना एक चक्कर पूरा करने में 23 घंटे, 56 मिनट और 4.1 सेकेंड लगते हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक इसी वजह से धरती के एक भाग में रात और दूसरे में दिन होता है। धरती घूमने का हमें जरा सा अहसास नहीं होता। अगर धरती न घूमे, तो क्या होगा? अगर धरती की चाल में कुछ बदलाव आ जाए, तो हमारे जीवन पर कितना असर होगा? इन सबके बीच अब वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि धरती की चाल में बदलाव आ रहा है। धरती की आंतरिक कोर के घूमने की गति में अब कमी दर्ज की गई है। लगातार वैज्ञानिकों ने इस पर शोध किया, जिसके बाद अब एक राय बन पाई है। पृथ्वी की आंतरिक कोर लोहे और निकल से बनी है, जो ठोस मानी जाती है।

अभी भी जारी है घूर्णन की रफ्तार में कमी

यही नहीं, यहां का तापमान हमेशा 5500 डिग्री सेल्सियस रहता है। यानी सबसे अधिक और गर्म हिस्सा यही है। आंतरिक कोर हूबहू चंद्रमा के आकार जैसी है। जो सतह यानी बिल्कुल ऊपरी सिरे से 3000 मील नीचे स्थित है। अभी तक इस हिस्से तक कोई नहीं जा पाया है। लेकिन शोधकर्ता भूकंपीय तरंगों का विश्लेषण करके धरती की कोर के बारे में जान पाते हैं। फिलहाल आतंरिक कोर के घूमने की गति में जो कमी दर्ज की गई है, वह 10 साल से अधिक समय से है। जो अभी भी जारी है। इसका असर ब्रह्मांड पर दिखेगा। यानी ये ट्रेंड पूरे ग्रह के घूमने की रफ्तार पर असर डाल सकता है। जिससे दिनों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

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एक रिपोर्ट के अनुसार अब दक्षिणी कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि धरती की आंतरिक कोर लगातार पीछे की ओर जा रही है। मुख्य तौर पर ये दावा यूएससी डोर्नसाइफ कॉलेज ऑफ लेटर्स, आर्ट्स एंड साइंसेज में अर्थ साइंस के डीन की जिम्मेदारी निभा रहे प्रो. जॉन विडेल ने किया है। उन्होंने कहा कि पहली बार सिस्मोग्राम में दिखने वाले संकेत बदलाव का इशारा कर रहे थे। जिसके बाद मैं हैरान रह गया। उन्होंने चिंता जताई कि अगर आगे ऐसा ही होता रहा, तो दिनों की संख्या में इजाफा हो सकता है। पूरे ग्रह की चाल पर इसका प्रभाव देखने को मिल सकता है। आंतरिक कोर की बैकट्रैकिंग के कारण अब दिन की लंबाई एक सेकेंड तक कम हो सकती है।

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Edited By

Parmod chaudhary

First published on: Jun 15, 2024 05:39 PM

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