अमेरिका के व्हाइट हाउस द्वारा 19 सितंबर को एच-1बी वीजा आवेदनों पर 100000 अमेरिकी डॉलर (80 लाख रुपये) सालाना शुल्क की घोषणा की गई है. अमेरिका के इस फैसले का असर सबसे अधिक भारतीयों पर पड़ने की संभावना है. माना जा रहा है कि H-1B वीजा का सबसे अधिक लाभ भारतीय ही उठा रहे हैं और वह भी टेक फील्ड में काम करने वाले लोग.
जानकारों का कहना है कि अमेरिका का यह फैसला सभी H-1B वीजा धारकों के लिए एक बड़ा झटका है, न केवल नए आवेदकों के लिए, बल्कि उन लोगों के लिए भी जो पहले से ही H-1B वीजा के लिए आवेदन कर चुके हैं. उन्हें सालाना $100,000, यानी भारत में लगभग 88 लाख रुपये का भुगतान करना होगा. यह उन भारतीयों के लिए नुकसानदायक है, जो हाल ही में अमेरिकी विश्वविद्यालयों से स्नातक हुए हैं या अपना करियर शुरू कर रहे हैं.
कुछ दिन के अंदर ही इतनी बड़ी रकम जमा करना आसान नहीं होने वाला है. रिपोर्ट्स के अनुसार, लगभग 71% H-1B वीजा पाने वाले भारतीय हैं और ये अमेरिका में टेक फील्ड में काम करते हैं. जानकारों का मानना है कि इसका असर भारतीयों पर तो पड़ेगा ही, लेकिन अमेरिका को भी इससे परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.
अमेरिकी प्रशासन का कहना है कि इसका उद्देश्य मूल रूप से अस्थायी आधार पर शीर्ष-स्तरीय वैश्विक प्रतिभाओं को लाने के लिए डिजाइन किया गया था. उनका तर्क है कि एच-1बी प्रणाली को आउटसोर्सिंग कंपनियों ने अमेरिकी कर्मचारियों को बेदखल करने, वेतन कम करने और यहां तक कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने के लिए हाईजैक कर लिया है.
बढ़ी कंपनियों की टेंशन
वैसे ट्रंप द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि कंपनियों को ये राशि प्रत्येक वीजा के लिए जमा करनी है. ऐसे में अब कंपनियों की चिंता बढ़ गई है. H-1B वीजा की फीस बढ़ने के बाद माइक्रोसॉफ्ट ने अपने H-1B वीजा और H-4 वीजा धारकों को अल्टीमेटम दे दिया है कि वे 21 सितंबर 2025 तक वापस अमेरिका लौट आएं. वहीं भारतीय आईटी उद्योग निकाय नैसकॉम ने एच-1बी वीजा आवेदनों पर 100,000 अमेरिकी डॉलर के नए वार्षिक शुल्क की घोषणा के बाद चिंता व्यक्त की है और कहा है कि यह कदम वैश्विक व्यापार निरंतरता और संयुक्त राज्य अमेरिका के टेक्नोलॉजी फील्ड के लिए ठीक नहीं है.
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आदेश के अनुसार, यह नियम उन लोगों पर लागू होने वाला है, जो नए H-1B वीजा के लिए आवेदन करने वाले हैं या जिनका वीजा प्रोसेस में है. यह नियम उन लोगों पर भी लागू होगा जो इस वीजा के तहत अमेरिका में हैं और फिलहाल अमेरिका से बाहर हैं. ऐसे में उन लोगों को सलाह दी गई है कि वे सभी तय समयसीमा में अमेरिका वापस पहुंच जाएं.
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जब अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुत्निक से पूछा गया कि क्या नया शुल्क देश में पहले से मौजूद एच-1बी वीजा धारकों, उनके रिन्यू या विदेश से पहली बार आवेदन करने वालों पर लागू होगा, तो उन्होंने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया. उनका कहना था कि पहली बार रिन्यू के बारे में कंपनी को फैसला करना होगा. क्या वह व्यक्ति इतना मूल्यवान है कि वह सरकार को सालाना 1,00,000 अमेरिकी डॉलर दे या उन्हें किसी अमेरिकी को नौकरी पर रख लेना चाहिए?
भारत की प्रतिक्रिया
अमेरिकी H1B वीजा पर प्रस्तावित पाबंदियों की रिपोर्टों पर सरकार ने कहा है कि इसके असर का अध्ययन किया जा रहा है. भारतीय इंडस्ट्री ने शुरुआती विश्लेषण पेश कर H1B पर कुछ धारणाओं को स्पष्ट किया है. India-US उद्योग जगत इनोवेशन और क्रिएटिविटी में साझेदार है और आगे की राह पर दोनों के बीच परामर्श अपेक्षित है. स्किल्ड टैलेंट की आवाजाही से दोनों देशों में टेक्नोलॉजी, इनोवेशन और आर्थिक विकास को बड़ा सहयोग मिला है. पॉलिसी मेकर्स हालिया कदमों की समीक्षा आपसी लाभ व मजबूत संबंधों को ध्यान में रखकर करेंगे. सरकार ने कहा कि यह कदम परिवारों के लिए मानवीय असर डाल सकता है और उम्मीद जताई कि US प्रशासन इन व्यवधानों को दूर करेगा.