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H-IB Visa Rules: ट्रंप का भारत को झटका, HIB वीजा की फीस बढ़ाई, भारतीयों पर क्या पड़ेगा असर?

H-1B Visa New Fees: अमेरिका ने H-1B वीजा की फीस बढ़ा दी है. राष्ट्रपति ट्रंप ने वीजा प्रोग्राम के नियम बदलने से जुड़े आदेश पर साइन भी कर दिया है. नए आदेश के तहत अब भारतीयों को वीजा लेने के लिए पहले से कहीं ज्यादा फीस देनी होगी.

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Khushbu Goyal Updated: Sep 20, 2025 07:26
Donald Trump | H-1B Visa | US President
टैरिफ विवाद के बीच वीजा प्रोग्राम बदलने से भारतीयों पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा.

HIB Visa New Rules: 50 प्रतिशत टैरिफ विवाद के बीच अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीयों को बड़ा झटका दिया है. ट्रंप सरकार ने H-IB वीजा के नियम बदल दिए हैं और एग्जीक्यूटिव ऑर्डर साइन करके नए नियमों को लागू भी कर दिया गया है. नए नियमों के तहत अब H-IB वीजा के लिए नए आवेदनकर्ताओं को एक लाख डॉलर (88 लाख रुपये) फीस ज्यादा देनी होगी. राष्ट्रपति ट्रंप के इस नए फैसले से भारतीयों पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा, क्योंकि करीब 70 प्रतिशत H-IB वीजा धारक भारतीय हैं.

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने क्यों बढ़ाई है फीस?

व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने बताया कि H-1B वीजा की फीस बढ़ाने का आदेश 21 सितंबर 2025 से लागू होगा. राष्ट्रपति ट्रंप वाइड रेंज इमिग्रेशन क्रैकडाउन स्टार्ट किया है, जिसके तहत इमिग्रेशन को सीमित का फैसला किया गया है. राष्ट्रपति ट्रंप ने H-1B वीजा की फीस बढ़ाने का फैसला इसलिए किया है, ताकि अमेरिका में प्रवासियों की संख्या कम हो. वहीं वीजा की फीस बढ़ाने का कदम कदम H-1B दुरुपयोग रोकने और अमेरिकी नौकरियां अमेरिकियों के लिए सुरक्षित करने के लिए उठाया गया है.

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ट्रंप के फैसले से कौन-कौन प्रभावित होगा?

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के H-1B वीजा पर अतिरिक्त फीस लगाने के फैसले से सबसे ज्यादा अमेरिका की टेक इंडस्ट्री प्रभावित होगी, क्योंकि अमेजोन, माइक्रोसॉफ्टब, एप्पल और गूगल जैसी कंपनियां H-1B वीजा धारकों पर सबसे ज्यादा निर्भर रही हैं. ऐसे में अब इन कंपनियों को H-1B वीजा धारकों पर पैसा खर्च करने की बजाय अमेरिका में ही पेशेवर तलाशने होंगे. हालांकि ट्रंप के फैसले का बड़ी टेक कंपनियों पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा, लेकिन छोटी टेक फर्म और स्टार्टअप के लिए मुश्किल खड़ी हो जाएगी, क्योंकि उनका खर्च बढ़ जाएगा.

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फीस बढ़ाने के फैसले से यह होगा फायदा

H-1B वीजा की फीस बढ़ने से नॉन-इमिग्रेट वर्कर्स अब अमेरिका में एंट्री नहीं कर पाएंगे. अमेरिका में प्रवासियों और अवैध प्रवासियों की संख्या कम होगी. बड़ी टेक कंपनियां अब H-1B वीजा धारकों को हायर करने से हिचकिचाएंगी, क्योंकि उन्हें ट्रंप सरकार को एक लाख डॉलर फीस देनी होगी. ऐसे में वे एक कर्मचारी के लिए इतनी फीस देने से बेहतर अमेरिका के प्रोफेशनल्स को नौकरी देने का विकल्प चुनना पसंद करेंगी. क्योंकि एक H-1B वीजा धारक पर वे जितना खर्च करेंगी, उतने में कई प्रोफेशनल्स हायर कर पाएंगी.

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फैसले से भारतीयों पर क्या असर पड़ेगा?

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के H-1B वीजा पर अतिरिक्त फीस लगाने के फैसले का सबसे ज्यादा असर भारतीयों पर पड़ेगा, क्योंकि कुल H-1B वीजा धारकों में से लगभग 70% भारतीय हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के H-1B वीजा पर अतिरिक्त फीस लगाने के फैसले का सबसे ज्यादा असर भारतीयों पर पड़ेगा, क्योंकि कुल H-1B वीजा धारकों में से लगभग 70% भारतीय हैं. ऐसे में फीस बढ़ने से भारत के मध्यम वर्गीय लोग वीजा की इतनी फीस वहन नहीं कर पाएंगे.

कई भारतीय IT कंपनियां और US कंपनियां वीजा की फीस देती हैं, लेकिन छोटी कंपनियां या स्टार्ट-अप्स ऐसा नहीं करते, जिससे भारतीय आवेदकों पर आर्थिक दबाव बढ़ेगा. जो भारतीय छात्र अमेरिका में F-1 वीजा पर पढ़ाई के बाद H-1B वीजा के लिए आवेदन करते हैं, वे फीस बढ़ने से ज्यादा प्रभावित होंगे. भारतीयों को अमेरिका में रहकर पढ़ाई करते-करते नौकरी ढूंढना पहले से ज्यादा मुश्किल हो जाएगा. क्योंकि H-1B फीस बढ़ने कपंनियों भारतीयों को हायर करने से बचेंगी.

इस वजह से भारतीय छात्रों को ग्रीन कार्ड या कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में नौकरी के विकल्प तलाशने पड़ सकते हैं. भारतीय IT कंपनियां TCS, इन्फोसिस हजारों H-1B वीजा स्पॉन्सर करती हैं, लेकिन फीस बढ़ने से उनकी लागत बढ़ेगी, जिसे वे क्लाइंट्स पर खर्च डाल सकती हैं या कर्मचारियों की संख्या घटा सकती हैं. वीजा फीस बढ़ने से कंपनियां भारत में ही काम करा सकती हैं, जिससे अमेरिका में नौकरियां कम हो सकती हैं.

First published on: Sep 20, 2025 06:17 AM

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