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मिलिए उस महिला से, जो 100 से ज्यादा यौन पीड़िताओं के लिए UN से लड़ रहीं इंसाफ की जंग

Who is Paula Donovan, who fighting on UN Sexual Exploitation: पेशे से वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ता अमेरिका की पाउला डोनोवन यूनाइटेड नेशन के अफसरों द्वारा अफ्रीकी देश कांगो में किए गए महिलाओं के यौन शोषण के खिलाफ लड़ रही हैं।

Edited By : Balraj Singh | Updated: Nov 15, 2023 12:44
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‘संयुक्त राष्ट्र (United Nation)’। ये वो संस्था है, जिसे दुनियाभर में जबर-जुल्म के खिलाफ न्याय की मांग के लिए सबसे बड़ा मंच जाता है, लेकिन जानकर हैरानी होगी कि इस संस्था की तरफ से दुख-तकलीफ कम करने के लगाई गई टीम भी यौन शोषण जैसे मामले में घिर सकती है। बात हो रही है दक्षिण अफ्रीका में 100 से ज्यादा महिलाओं के यौन शोषण की। इतना ही नहीं, यूएन के इतिहास में अब तक के सबसे बड़े इस यौन शोषण मामले पर खुद विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के द्वारा पर्दा डाले जाने की जानकारी भी सामने आ रही है। इसी के साथ हर कोई उस शख्स का नाम जरूर जानना चाहेगा, जो इन महिलाओं के हक की आवाज उठा रहा है। यह कोई और नहीं, बल्कि एक अमेरिकी सामाजिक कार्यकर्ता हैं, जो एड्स और मानवधिकार पीड़ितों के हक में आवाज बुलंद करती हैं। जानें कौन हैं नारीशक्ति की यह प्रेरणास्रोत…

अमेरिकी की रहने वाली पाउला डोनोवन अंतरराष्ट्रीय अधिवक्ता संगठन The Stephen Lewis Foundation की देखरेख में चल रहे एड्स-फ्री वर्ल्ड की सह कार्यकारी निदेशक के रूप में लोगों के हकों के लिए लड़ रही हैं। इस क्षेत्र में सराहनीय कार्य करने के लिए पाउला डोनोवन 2005 में मानवाधिकार और सामाजिक न्याय के लिए सलेम पुरस्कार और 2007 में फेयरफील्ड विश्वविद्यालय से पूर्व छात्र मानवतावादी पुरस्कार हासिल कर चुकी हैं। महिला अधिकारों की वकालत करतीं डोनोवन ने यूनाइटेड नेशन के द्वारा वित्तीय और राजनैतिक ताकत के रूप में महिलाओं के लिए एक विशेष एजेंसी की मांग की थी।

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90 के दशक से महिलाओं के लिए लड़ रही हैं पाउला डोनोवन 

पाउला डोनोवन के प्रयास रंग लाए और 2010 में यूनाइटेड नेशन की जनरल असेंबली ने यूएन वूमैन के गठन का प्रस्ताव पारित हुआ। इसमें महिलाओं के लिए संयुक्त राष्ट्र विकास कोष, महिलाओं की उन्नति के लिए प्रभाग, लैंगिक मुद्दों पर विशेष सलाहकार के कार्यालय और महिलाओं की उन्नति के लिए संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान और प्रशिक्षण संस्थान (UN-INSTRAW) का विलय कर दिया गया। इससे पहले डोनोवन अफ्रीका में एड्स के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव के विशेष दूत के कार्यालय में वरिष्ठ सलाहकार के रूप में कार्य कर चुकीं हैं। उनके पास अंतरराष्ट्रीय विकास, महिला अधिकारों और एचआईवी/एड्स के 20 साल का अनुभव है। दरअसल, 90 के दशक की शुरुआत में पाउला डोनोवन ने यूनिसेफ में काम करते हुए स्तनपान के पक्ष में वैश्विक अभियान चलाया। बाद में वह यूनिसेफ के उप कार्यकारी निदेशक की मुख्य सहयोगी बन गईं और यूनिसेफ के लिए पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका के क्षेत्रीय एड्स सलाहकार के रूप में केन्या में चार साल बिताए। इन दिनों पाउला डोनोवन यूनाइटेड नेशन के इतिहास में अब तक के सबसे बड़े यौन शोषण मामले को जोर-शोर से उठा रही हैं।

WHO covered up UN sexual exploitation scandal officers exploited 104 women in Congo

2019 में किया गया था 104 महिलाओं के साथ यौन शोषण

जहां तक इस प्रकरण की बात है, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 2018त्र2019 में अफ्रीका महाद्वीप के देश कांगो रिपब्लिकन में इबोला नामक एक वायरस का प्रकाेप फैला था, जो कोरोना वायरस से भी ज्यादा खतरनाक बताया जा रहा था। लोगों को इस संकट से निकालने के लिए भेजे गए संयुक्त राष्ट्र और विश्व स्वास्थ्य संगठन के अधिकारियों ने 104 महिलाओं का यौन शोषण किया। अक्टूबर 2020 में इस तरह की शिकायतें मिलने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एक आयोग का गठन किया, जिसकी जांच में 2019 में कांगो में इबोला संक्रमण काल के दौरान कथित तौर यौन उत्पीड़न के 80 से ज्यादा मामले सामने आए। इनमें डब्ल्यूएचओ के 20 कर्मचारियों के खिलाफ भी यौन उत्पीड़न का आरोप है।

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2021 में WHO ने बनाया था जांच आयोग

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के डायरेक्टर टेड्रोस अधनोम गेब्रेयेसस ने ऐसे कर्मचारियों को तुरंत बर्खास्त करने की बात कही थी। इसके बाद मई 2021 में एपी में प्रकाशित खबर में जानकारी आई कि संगठन के वरिष्ठ अधिकारी डॉ. माइकल याओ को यौन उत्पीड़न संबंधी कई बार लिखित सूचना दी गई। बाद में याओ पदोन्नति हो गए तो कथित तौर पर गर्भवती कर दी गई युवती के लिए डॉक्टर ज्यां पॉल नगान्दु और एजेंसी के दो अन्य अधिकारियों द्वारा जमीन खरीदने के वादे की बात सामने आई। कहा जा रहा था कि नगान्दु ने डब्ल्यूएचओ की प्रतिष्ठा बचाने के लिए ऐसा करने के लिए कहा था।

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किस तरह से डाला गया पर्दा?

अब इस मामले में और भी बड़ा चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। डब्ल्यूएचओ के आंतरिक दस्तावेजों से मिली जानकारी के अनुसार डब्ल्यूएचओ ने सिर्फ 26 हजार डॉलर (20 लाख रुपए) खर्च करके इस मामले पर पर्दा डाल दिया। डॉक्टर गाया गैमहेवेज के नेतृत्व में हर महिला को 250 डॉलर देकर मामले को रफा-दफा कर दिया गया। यूएन के अफसरों के अपराध के खिलाफ कोड ब्लू अभियान चला रही पाउला डोनोवन की मानें तो डब्ल्यूएचओ ने पीड़ित महिलाओं के लिए 20 लाख डॉलर (16 करोड़ रुपए) का एक सर्वाइवर असिस्टेंस फंड बनाया था, लेकिन इस फंड का एक प्रतिशत भी पीड़िताें पर खर्च नहीं किया। ज्ञात पीड़ितों में से लगभग तीसरे हिस्से की पीड़ितों का अब कोई सुराग ही नहीं, वहीं एक दर्जन महिलाओं ने मुआवजा लेने से इनकार कर दिया था। बाकी जितनी महिलाओं को पैसे दिये गए, उन्हें सिर्फ 250-250 डॉलर ही दिए गए। इतना ही नहीं, इस छोटी सी रकम के लिए भी पीड़िताओं से प्रशिक्षण के नाम पर मजदूरी करवाई गई।

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https://youtu.be/WAnEuttGEC0?t=1

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Edited By

Balraj Singh

First published on: Nov 15, 2023 12:44 PM
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