China Increased Defence Budget: अमेरिका के बाद चीन दुनियाभर के देशों के लिए बड़ा खतरा बन सकता है, क्योंकि चीन ने बड़ा चौंकाने वाला फैसला लिया है, जिससे चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के मास्टरप्लान का खुलासा हो गया है। दरअसल, चीन ने साल 2032 तक दुनिया की सबसे ताकतवर सेना बनाने का संकल्प लिया है। इसके लिए चीन ने अपना रक्षा बजट बढ़ा दिया है।
बीते दिन बीजिंग में घोषणा की गई कि साल 2025 के लिए चीन का रक्षा बजट 7.2 प्रतिशत बढ़ाया जाएगा। इस बढ़ोतरी के बाद चीन का रक्षा बजट 1.78 ट्रिलियन युआन (लगभग 249 बिलियन डॉलर) हो गया है, जो साल 2025 के लिए अमेरिका के रक्षा बजट 850 बिलियन डॉलर के एक तिहाई से भी कम है। वहीं चीन का बजट भारत के रक्षा बजट से 3 गुना ज्यादा है।
बढ़ोतरी के साथ ही चीन का रक्षा बजट अमेरिका के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सैन्य बजट है। बता दें कि चीन ने रक्षा बजट बढ़ाने का फैसला तब लिया है, जब LAC पर भारत और चीन दोनों सेनाओं की मौजूदगी बढ़ गई है, ऐसे में चीन का नया फैसला भारत के लिए भी चुनौती बन सकता है, लेकिन भारत की ओर से चीन के फैसले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
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भारत का रक्षा बजट कितना?
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, चीन का रक्षा बजट बढ़ाने का फैसला भारत के लिए बड़ी चुनौती हो सकती है। भारत ने अपना रक्षा बजट 79 मिलियन डॉलर रखा है, लेकिन देश के कुछ सैन्य विश्लेषकों को यह बजट नाकाफी लगता है और उनका सुझाव है कि भारत सरकार को अपना बजट कम से कम ढाई फीसदी बढ़ाना चाहिए, जबकि यह अभी 1.9 प्रतिशत है। भारत का रक्षा बजट बढ़ जाए तो दुश्मनों के खिलाफ तैयारी पुख्ता हो सके।
देश की सैन्य क्षमताओं की खामियों को भी तेजी से दूर किया जा सकेगा, लेकिन भारत के लिए रक्षा बजट बढ़ाना मुश्किल है, क्योंकि सैलरी, पेंशन और अन्य खर्च करने के बाद भारत सरकार के पास सेना को पावरफुल बनाने के लिए बजट सिर्फ 25 प्रतिशत बचता है। वहीं कम बजट का खामियाजा भारतीय वायुसेना को उठाना पड़ता है। कम बजट के कारण भारत को तेजस विमान बनाने में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
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कई देशों के लिए खतरा बना चीन
विशेषज्ञों का कहना है कि चीन जिस तरह से पिछले कुछ सालों से अपनी सैन्य क्षमता बढ़ा रहा है, उसने अमेरिका के साथ-साथ जापान, भारत और फिलीपींस जैसे पड़ोसी देशों में भी संदेह पैदा कर दिया है। चीन पूर्वी चीन सागर में जापान के साथ क्षेत्रीय विवाद में उलझा हुआ है, जबकि उसने दक्षिण चीन सागर पर कब्जा कर लिया है। ऐसा करके वह फिलीपींस, इंडोनेशिया, ब्रुनेई और मलेशिया जैसे पड़ोसी देशों के अधिकारों को पूरी तरह से रौंद रहा है। दक्षिण चीन सागर पर एकमात्र अधिकार का दावा करने वाला बीजिंग लगातार इस क्षेत्र में अपनी समुद्री ताकत का प्रदर्शन करता आ रहा है।
इस सागर में चीन ने कई आर्टिफिशियल द्वीप बना लिए हैं। चीन के बढ़ते सैन्य खर्च ने उसके पड़ोसी देशों, विशेषकर ताइवान में खतरे की घंटी बजा दी है, जिन्हें डर है कि चीन जल्द ही उन पर आक्रमण कर सकता है, क्योंकि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ताइवान को चीन में मिलाना चाहते हैं और इसके लिए वे बल के प्रयोग करने की बात करते आए हैं। वहीं चीन ने अपने सैन्य बजट को रक्षात्मक व्यय करार दिया और दावा किया है कि सैन्य खर्च बढ़ाने का एकमात्र उद्देश्य अपनी संप्रभुता की रक्षा करना है।
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