Why America not in war with Iran deaths of soldiers in Iraq Jordan: ईराक और सीरिया में ईरानी ठिकानों पर अमेरिका ने बमबारी शुरू कर दी है। ईरान से जुड़े 85 से ज्यादा ठिकानों को निशाना बनाया गया है और 125 मिसाइल दागी गई हैं। अमेरिका का कहना है कि अभी आगे और भी ऐसे हमले होते रहेंगे। अब सवाल है कि अपने सैनिकों की मौत का बदला लेने के लिए अमेरिका ने सीधे ईरान पर हमला क्यों नहीं किया, जबकि परमाणु युद्ध का डर भी नहीं था क्योंकि ईरान परमाणु शक्ति संपन्न देश नहीं है। यह हमला तब किया गया है जब जॉर्डन में अमेरिका के आउटपोस्ट पर हमले में 3 अमेरिकी सैनिकों की मौत हो गई थी और 40 से अधिक घायल हो गए थे।
अपने सैनिकों की हत्या का सीधा आरोप अमेरिका ने ईरान पर लगाया था। बावजूद इसके उसने ईरान पर सीधी कार्रवाई नहीं की। इसकी एक वजह तो यह भी है कि ईरान से हमला किसी और बड़े युद्ध की शुरुआत हो सकती है। अमेरिका की तुलना में ईरान की ताकत कुछ भी नहीं है फिर भी यह युद्ध अगर एकबार शुरू हो गया तो अफगानिस्तान की तरह लंबा चल सकता है। अमेरिका अभी किसी बड़े युद्ध में नहीं उतरना चाहता। पिछले युद्धों से भी उसने सबक सीखा है।
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बड़े युद्ध से बच रहे दोनों देश
अमेरिका का कहना है कि वह ईरान के साथ सीधी जंग नहीं चाहता है बल्कि दूसरे देशों में इराक और जॉर्डन में काम कर रहे ईरान के प्रोक्सीज पर हमला करेगा। हालांकि अमेरिका ने बदला लेने की बात कही थी। अमेरिका और ईरान दोनों सीधी जंग से बच रहे हैं। अगर ऐसा हुआ तो मिडिल ईस्ट युद्ध की आग में और भी भयानक तरीके से जल सकता है।
CENTCOM Statement on U.S. Strikes in Iraq and Syria
At 4:00 p.m. (EST) Feb. 02, U.S. Central Command (CENTCOM) forces conducted airstrikes in Iraq and Syria against Iran’s Islamic Revolutionary Guards Corps (IRGC) Quds Force and affiliated militia groups. U.S. military forces… pic.twitter.com/HeLMFDx9zY
— U.S. Central Command (@CENTCOM) February 2, 2024
वाशिंगटन और तेहरान दोनों किसी बड़े युद्ध से बचने की कोशिश कर रहे हैं। यही वजह है कि अमेरिका ईरानी क्षेत्र में घुसकर हमले नहीं कर रहा है। बता दें कि ईराक ने अमेरिका के हमलों की निंदा करते हुए इसे अपनी संप्रभुता का उल्लंघन बताया है। उसका कहना है कि यह इस क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता के लिए सही नहीं है।
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