जब भी हम फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) की बात करते हैं, तो सबसे पहले हमारे दिमाग में बैंकों का नाम आता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बैंक के अलावा भी एफडी में निवेश करने का एक और तरीका है, जिसे कॉरपोरेट एफडी कहा जाता है। यह एफडी कंपनियां देती हैं और इसमें बैंक एफडी के मुकाबले ज्यादा ब्याज मिलता है। आइए समझते हैं कि बैंक और कॉरपोरेट एफडी में क्या फर्क है और आपके लिए कौन-सी बेहतर है।
कॉरपोरेट एफडी क्या होती है?
कॉरपोरेट एफडी, जिसे कंपनी एफडी भी कहा जाता है, एक ऐसी फिक्स्ड डिपॉजिट होती है जिसे नॉन-बैंकिंग कंपनियां या फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस लोगों से फंड जुटाने के लिए जारी करती हैं। इन एफडी पर ब्याज दरें आमतौर पर बैंक एफडी से 1% से 1.5% ज्यादा होती हैं। इन एफडी की रेटिंग ICRA, CRISIL और CARE जैसी एजेंसियां करती हैं, ताकि निवेशक कंपनी की क्रेडिट क्वालिटी को समझ सकें।
बैंक एफडी क्या है?
बैंक एफडी एक पारंपरिक और सुरक्षित निवेश विकल्प है। इसमें आप किसी बैंक में एक निश्चित समय के लिए पैसे जमा करते हैं और उस पर तय ब्याज मिलता है। यह ब्याज रेट समय और बैंक के हिसाब से अलग-अलग हो सकता है। बैंक एफडी में आपका निवेश सुरक्षित रहता है।
कॉरपोरेट एफडी में जोखिम क्यों होता है?
कॉरपोरेट एफडी पर सरकार की ओर से कोई बीमा नहीं मिलता। अगर कंपनी दिवालिया हो जाती है या नुकसान में चली जाती है, तो आपको नुकसान भी हो सकता है। इसलिए इसमें जोखिम ज्यादा होता है। हालांकि, अगर आप अच्छी रेटिंग वाली कंपनियों की एफडी चुनते हैं, तो रिस्क तक कम हो जाता है।
बैंक एफडी या कॉरपोरेट एफडी – क्या है बेहतर?
अगर आप एक सुरक्षित और गारंटीड रिटर्न चाहते हैं और रिस्क नहीं लेना चाहते, तो बैंक एफडी आपके लिए बेहतर है। वहीं, अगर आप थोड़ा रिस्क लेकर ज्यादा ब्याज कमाना चाहते हैं, और कंपनी की पोजीशन अच्छे से समझ सकते हैं, तो आप कॉरपोरेट एफडी में भी निवेश कर सकते हैं।