Vinod Upadhyay killed in UP STF encounter: अपराधियों और माफियाओं के खिलाफ यूपी पुलिस का शिकंजा लगातार कसता जा रहा है। इस वजह से प्रदेश के क्रिमिनल्स में खौफ का माहौल है। इस बीच यूपी एसटीएफ ने मुठभेड़ में माफिया विनोद उपाध्याय को मार गिराया है। उसपर एक लाख रुपये का इनाम घोषित किया गया था। वह उत्तर प्रदेश पुलिस के माफियाओं की लिस्ट में शामिल था। विनोद उपाध्याय पर अलग-अलग जिलों में 35 मुकदमे दर्ज थे। इसमें हत्या और हत्या के प्रयास समेत गंभीर केस भी थे। किसी भी मामले में उसे सजा नहीं हो पाई थी।
पुलिस की गोली लगने से वह गंभीर रूप से घायल हो गया था और अस्पताल में उसकी मौत हो गई। काफी समय से वह एसटीएफ के निशाने पर था। यह मुठभेड़ शुक्रवार बीती रात हुई। जिसमें शार्प शूटर विनोद को पुलिस की गोली लग गई। जब पुलिस ने उसे पकड़ने की कोशिश की तो उसने पुलिस पर फायरिंग कर दी। जवाबी कार्रवाई में वह मारा गया। एसटीएफ मुख्यालय के डिप्टी एसपी दीपक कुमार सिंह के नेतृत्व में उसका एनकाउंटर हुआ।
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कौन था गैंगस्टर विनोद उपाध्याय
विनोद कुमार उपाध्याय अयोध्या के महराजगंज के मया बाजार का रहने वाला था। उसकी पहचान गोरखपुर छात्रसंघ चुनाव से बनी। पुलिस पिछले 7 महीने से उसकी तलाश कर रही थी। उसका गिरोह गई जिलों में संगठित अपराधों में शामिल था, जो यूपी के कई जिलों में आपराधिक घटनाओं को अंजाम दे चुका था।
बसपा के टिकट पर लड़ा है चुनाव
विनोद उपाध्याय ने साल 2004 में गोरखपुर जेल में बंद चल रहे अपराधी जीतनारायण मिश्र को थप्पड़ मार दिया था। इसके बाद साल 2005 में जब जीतनारायण जेल से बाहर निकला तो विनोद ने उसे मौत के घाट उतार दिया। संतकबीरनगर जिले में की गई जीतनारायण की हत्या के बाद विनोद उपाध्याय चर्चा में आया। विनोद 2007 में बसपा के टिकट पर विधायकी का चुनाव भी लड़ चुका है जिसमें उसे हार मिली थी।
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