Uttarakhand News: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में अप्रैल और मई में हो रही बेमौसम बारिश और भारी बर्फबारी ने सेब किसानों की चिंताएं बढ़ा दी हैं, क्योंकि ठंड के मौसम ने सेब की फसलों के परागण और फसल प्रक्रिया को प्रभावित कर दिया है। इससे किसानों को आशंका है कि इस साल फल उत्पादन कम हो सकता है।
44 हजार मीट्रिक टन होता है उत्पादन
जानकारों के अनुसार सेब की फसल की खेती जिले की हर्षिल घाटी, मोरी और नौगांव क्षेत्र में होती है, जिसका औसत उत्पादन 44,000 मीट्रिक टन प्रति वर्ष है। हालांकि, इस साल अधिकांश पहाड़ी जिलों में मौसम के मिजाज में बदलाव देखा जा रहा है, जिससे किसान वित्तीय नुकसान के कगार पर पहुंच गए हैं।
फसलों को हुआ बड़ा नुकसान
टीओआई की एक रिपोर्ट में के अनुसार, कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ बागवानी विशेषज्ञ पंकज नौटियाल ने कहा कि इस साल हमने मौसम में भारी बदलाव देखा है। ओलावृष्टि और बर्फबारी के कारण सेब, आड़ू, बेर, खुबानी और नाशपाती की फसलों का नुकसान हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप इन फसलों का उत्पादन कम हुआ है।
पहले कम बारिश और अब बेमौसम बर्फबारी
सुक्की गांव के एक सेब किसान मोहन सिंह राणा ने मीडिया को बताया कि इससे पहले दिसंबर और जनवरी में हर्षिल घाटी में औसत से कम बर्फबारी हुई थी, जिससे सेब के पेड़ों की नमी और न्यूनतम ठंडे तापमान की जरूरत प्रभावित हुई थी। इसके बाद अब अप्रैल और मई में लगातार बारिश-बर्फबारी हो रही है। इससे ज्यादातर पेड़ों के फूल झड़ गए हैं।