UP News: गुरुग्राम, हैदराबाद और बंगलुरु के बाद उत्तर प्रदेश (UP News) का नोएडा एक बड़ा आईटी हब है। यहां कई बड़ी फर्मों के कॉल सेंटर हैं। ऐसे में नोएडा के अंदर फर्जी कॉल सेंटर भी कुकरमुत्तों की तरह उगने लगे हैं। आसान शब्दों में कहें तो नोएडा जामताड़ा बनता जा रहा है। आंकड़ों की बात करें तो पिछले 5 वर्षों में पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों ने 250 से ज्यादा फर्जी कॉल सेंटर और टेलीफोन एक्सचेंज का पर्दाफाश किया है।
इन कॉलसेंटर में मिलते हैं लड़के-लड़की
जानकारी के मुताबिक पैसे के लालच में साइबर ठग देश की सुरक्षा को खतरे में डाल रहे हैं। यहां पकड़े गए फर्जी कॉल सेंटरों के मालिक युवाओं को इस काम की ट्रेनिंग दे रहे हैं। जांच में सामने आता है कि बहुत कम वेतन देकर इन लोगों को काम पर रखा जाता है और उनसे धोखाधड़ी करा कर मोटा मुनाफा कमाते हैं। छापेमारी में अधिकारियों को अक्सर इन फर्जी कॉल सेंटरों में काम करने वाले युवक-युवतियां ही मिलते हैं, जबकि मास्टरमाइंड फरार हो जाते हैं।
छोटे-बड़े 250 कॉल सेंटर पकड़े गए
जानकारी की मानें तो इस तरह की साइबर धोखाधड़ी से भारत की सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है, क्योंकि कई बार विदेशी भी इन कॉल सेंटरों में काम करते हुए मिलते हैं। पिछले 5 वर्षों में नोएडा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट में छोटे-बड़े मिलाकर 250 से ज्यादा फर्जी कॉल सेंटर और टेलीफोन एक्सचेंज चलते हुए मिले हैं। ये लोग ठगी के लिए नौकरी, बीमा और साइबर मदद जैसी सुविधाओं का हवाला देते हैं। कुछ फर्जी कॉल सेंटरों को विदेशी तक चलाते मिले हैं।
इन तरीकों से करते हैं ठगी
जांच में सामने आता है कि फर्जी कॉल सेंटर आमतौर पर बेरोजगार लोगों को निशाना बनाते हैं। नौकरी दिलाने का वादा कर उन्हें आसानी से अपनी बातों में फंसा लेते हैं। इसके अलावा सस्ता कर्ज, बीमा पॉलिसी रिन्युअल के नाम पर लोगों को अपने जाल में फंसाने के लिए हथकंडा अपनाया जाता है। इतना ही नहीं पिछले कुछ मामलों में यह भी देखा गया है कि इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में वायरस को ठीक करने, लकी ड्रॉ में गिफ्ट, विदेशियों से बात करने के लिए नकली टेलीफोन एक्सचेंज, चाइल्ड पोर्नोग्राफी और ‘कौन बनेगा करोड़पति’ में सिलेक्ट का भी प्रलोभन दिया जाता है।
ये इलाके हैं ठगों के अड्डे
साइबर विशेषज्ञ अमित दुबे ने एक न्यूज एजेंसी को बताया कि मेवात, जामताड़ा, नूंह, अलवर, मथुरा और नोएडा जैसे अंतरराज्यीय सीमावर्ती क्षेत्र साइबर ठगों के अड्डे हैं। उन्होंने बताया कि साइबर अपराधी अलग जगह काम करते हैं, अलग जगह रहते हैं और अलग जगह अपराध करते हैं। अगर उन्हें पकड़े जाने की आशंका होती है तो वे तत्काल दूसरे राज्यों में चले जाते हैं। उन्होंने बताया कि ये लोग हमेशा अपनी फर्जी पहचान बना कर रखते हैं और लगातार अपने ठिकाने बदलते रहते हैं।
विदेशियों को इन मामले में बनाते हैं शिकार
उन्होंने कहा कि नोएडा में सभी सुविधाओं के साथ एक छोटे से नोटिस पर आसानी से कॉल सेंटर स्थापित किया जा सकता है। इन कॉल सेंटर्स में विदेशी लोग सबसे ज्यादा ठगे जाते हैं, क्योंकि इससे विदेशों में बैठे पीड़ितों की ओर से शिकायत के बाद भी पकड़े जाने का खतरा काफी कम होता है। वे विदेशियों को पासपोर्ट सत्यापित करने का झांसा देकर उनके साथ धोखाधड़ी करते हैं। विदेशियों से कम से कम 5,000-10,000 रुपये की ठगी करते हैं।
साइबर ठगों से ऐसे बचें
दुबे ने कहा कि जीरो-ट्रस्ट मॉडल (किसी पर भरोसा नहीं करना) अपनाना ही ऐसे ठगों से बचने का सबसे अच्छा तरीका है। उन्होंने सलाह दी कि किसी को भी अनजान शख्स पर तुरंत विश्वास नहीं करना चाहिए। खुलकर बात करने या संवेदनशील विवरण देने से पहले अच्छी तरह से सोच लेना चाहिए। उन्होंने बताया कि फोन पर कोई भी आपसे पैसे मांगे तो तुरंत समझ लीजिए कि वो धोखाधड़ी कर रहा है, क्योंकि कोई भी सरकारी कर्मचारी या अधिकारी फोन पर पैसे की मांग नहीं करता है।