Ghaziabad House Fire Tragedy Eye Witness: दिल्ली से सटे गाजियाबाद में लोनी इलाके में कंचन पार्क के पास एक मकान में आग लगने से 4 लोग जिंदा जलकर राख हो गए। वहीं 4 लोग बुरी तरह झुलस गए। हादसे के समय घर में 8 लोग थे, जिनमें से 4 लोगों को अपना बचाव करने का मौका नहीं मिला। मृतकों में एक महिला, उसके 2 बच्चे और भतीजा शामिल है। मारे गए बच्चों की उम्र 7 से 9 साल के बीच थी। मृतकों में 32 वर्षीय गुलबहार पत्नी शाहनवाज, 9 वर्षीय जान पुत्र शाहनवाज, 9 वर्षीय शान पुत्र शाहनवाज और 7 वर्षीय भतीजा जीशान शामिल हैं।
वहीं घायलों के नाम शमशाद, उसकी 30 साल की पत्नी आयशा, बेटा आयान और शाहनवाज है। पुलिस पूछताछ में घर के मालिक 64 साल हाजी फारूक ने अग्निकांड की आंखोंदेखी सुनाई तो उसके आंसू छलक गए। हादसे में उसने अपनी सबसे छोटी बहू और 3 पोतो को खो दिया। अग्निकांड में उन्हें जिंदगीभर न भूल सकने वाला गम दिया है। सारा घर भी जलकर राख हो गया। अब फिर से सिर पर छत बनानी होगी, फिर से वही संघर्ष और मेहनत करनी होगी।
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2 मकानों में रहते थे 5 भाइयों के परिवार
हाजी फारूक ने बताया कि हादसा सुबह करीब 4 बजे हुआ। कंचन पार्क के पास उनका करीब 50 गज में बना 3 मंजिला पुराना मकान है। उसके 5 बेटे नौशाद, दिलशाद, शहजाद, शमशाद, शहनवाज हैं। इकलौती बेटी की शादी हो चुकी है। इस मकान में 2 बेटे शमशाद और शाहनवाज रहते हैं। 3 बेटे अपने परिवार के साथ दूसरे मकान में रहते हैं। जब पुराने घर में आग लगी तो चीखने चिल्लाने की आवाजें दूसरे घर तक पहुंची। नौशाद, दिलशाद और शहजाद दौड़े आए।
उन्होंने भाई, भाभी और भतीजों को बचाने की कोशिश की, लेकिन दूसरी मंजिल पर बने कमरे में इतना धुंआ भर गया कि कुछ नजर नहीं आया। आग की ऊंची-ऊंची लपटें उठ रही थीं। गुलबहार अपने बेटों जान-शान और भतीजे जीशान को गोद में उठाकर बाहर निकलने की कोशिश कर रही थी और शाहनवाज ने उन्हें बाहर निकालने की कोशिश की। पांचों भाई उन्हें बचाने में जुटे थे, लेकिन गुलबहार और बच्चे आग की लपटों से घर चुके थे।
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4 घायलों की हालत अब खतरे से बाहर
हाजी ने बताया कि गुलबहार और बच्चे चीखते चिल्लाते रह गए, लेकिन वह उन्हें बचा नहीं पाए। उन्होंने खिड़की से गुलबहार को आवाजा दी तो वह घबराकर उठी। तब तक उसके कमरे को आग अपनी चपेट में ले चुकी थी। उसने सबसे छोटे जीशान को कंधों पर लादा। किसी तरह अपने दोनों बेटों को गोद में उठाया और अपने साथ उनकी जान बचाने की कोशिश की, लेकिन किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था। वह न खुद बाहर आ सकी और न ही बच्चों को बचा सकी।
यह बताते हुए हाजी फूट-फूट कर रोने लगे। हाजी ने बताया कि शाहनवाज, शमशाद और उसकी पत्नी आयशा भी आग में झुलस गईं। आयशा का 4 साल का बेटा भी घायल हुआ है। चारों को अस्पताल में भर्ती कराया और अब उनकी हालत खतरे से बाहर है, लेकिन शाहनवाज की आंखों से आंसू नहीं रुक रहे। उसने एक झटके में अपने परिवार को खो दिया। अल्लाह यह कैसा दिन दिखाया है। कपड़ों के कारखाने ने पूरे घर को तबाह कर दिया।
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