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उत्तर प्रदेश / उत्तराखंड

उत्तराखंड विधानसभा ने रचा इतिहास, CM धामी के नेतृत्व में पास हुआ UCC Bill

UCC Bill: उत्तराखंड विधानसभा ने बुधवार को इतिहास रच दिया। सीएम धामी के नेतृत्व में विधानसभा में यूसीसी विधेयक पारित हो गया। इस पर दो दिन तक लंबी चर्चा हुई।

Author Edited By : Achyut Kumar Updated: Feb 7, 2024 19:49
ucc bill passed in uttarakhand
उत्तराखंड विधानसभा में यूसीसी विधेयक पारित

UCC Bill passed in Uttarakhand Assembly: उत्तराखंड विधानसभा ने बुधवार को इतिहास रच दिया। समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक उत्तराखंड 2024 बुधवार को विधानसभा में पारित हो गया। इस विधेयक पर दो दिनों तक लंबी चर्चा की गई। सभी विधायकों ने विधेयक के प्रावधानों को लेकर अपने-अपने सुझाव दिए। इस प्रकार उत्तराखंड विधानसभा देश को आजादी मिलने के बाद यूसीसी विधेयक पारित करने वाली पहली विधानसभा बन गई।

यूसीसी लागू करने वाला का पहला राज्य बनेगा उत्तराखंड

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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को समान नागरिक संहिता विधेयक उत्तराखंड 2024 को विधानसभा में पेश किया। बुधवार को सदन में चर्चा के बाद इसे पास कर दिया गया। जल्द ही यूसीसी लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बनेगा। यूसीसी विधेयक में सभी धर्म-समुदायों में विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता और विरासत के लिए एक कानून का प्रावधान है। इसके साथ ही, महिला-पुरुषों को समान अधिकारों की सिफारिश की गई है। हालांकि, अनुसूचित जनजातियों को यूसीसी कानून से बाहर रखा गया है।

रिटायर जज की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी का गठन

बता दें कि मुख्यमंत्री धामी ने वायदे के अनुसार पहली कैबिनेट बैठक में ही यूसीसी का ड्रॉफ्ट तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति गठित करने का फैसला किया। सुप्रीम कोर्ट की रिटायर जज जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी गठित की गई। समिति ने लोगों से चर्चा  और हर पहलू का गहन अध्ययन करने के बाद यूसीसी के ड्रॉफ्ट को अंतिम रूप दिया। इसके लिए पूरे प्रदेश में 43 जनसंवाद कार्यक्रम और 72 बैठकों के साथ ही प्रवासी उत्तराखण्डियों से भी चर्चा की गई।

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कुप्रथाओं पर लगेगी रोक

यूसीसी विधेयक के कानून बनने पर बाल विवाह, बहु विवाह और तलाक जैसी सामाजिक कुरीतियों और कुप्रथाओं पर रोक लगेगी। साथ ही, बाल और महिला अधिकारों की सुरक्षा होगी। किसी भी धर्म की संस्कृति, मान्यता और रीति-रिवाज इस कानून से प्रभावित नहीं होंगे। बाल और महिला अधिकारों की यह कानून सुरक्षा करेगा।

यूसीसी के अन्य जरूरी प्रावधान

  •  विवाह का पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है। पंजीकरण नहीं होने पर सरकारी सुविधाओं से वंचित होना पड़ सकता है।
  • पति या पत्नी के जिंदा रहने के बावजूद दूसरी शादी करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
  • सभी धर्मों में विवाह की न्यूनतम उम्र लड़कों के लिए 21 साल और लड़कियों के लिए 18 साल निर्धारित की गई है।
  • वैवाहिक दंपत्ति में से यदि कोई एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति की बिना सहमति के अपना धर्म परिवर्तन करता है तो दूसरे व्यक्ति को उस व्यक्ति से तलाक और गुजारा भत्ता लेने का पूरा अधिकार होगा।
  • पति या पत्नी के तलाक या घरेलू झगड़े के समय 5 साल तक के बच्चे की कस्टडी उसकी माता के पास ही रहेगी।
  • सभी धर्मों में पति-पत्नी को तलाक लेने का समान अधिकार दिया गया है।
  • सभी धर्म-समुदायों में बेटी को संपत्ति में समान अधिकार मिलेगा।
  • मुस्लिम समुदाय में प्रचलित हलाला और इद्दत की प्रथा पर रोक लगेगी।
  • संपत्ति में अधिकार के लिए जायज और नाजायज बच्चों में कोई भेद नहीं किया जाएगा। नाजायज बच्चों को भी दंपति की जैविक संतान माना जाएगा।
  • किसी व्यक्ति की मौत के बाद उसकी संपत्ति में उसकी पत्नी और बच्चों को समान अधिकार दिया गया है। उसके माता-पिता का भी उसकी संपत्ति में समान अधिकार होगा। किसी महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे के संपत्ति में अधिकार को संरक्षित किया गया ।
  • लिव-इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है। पंजीकरण कराने वाले युगल की सूचना रजिस्ट्रार को उनके माता-पिता या अभिभावक को देनी होगी।
  • लिव-इन के दौरान पैदा हुए बच्चों को उस युगल का जायज बच्चा ही माना जाएगा।  उस बच्चे को जैविक संतान के समस्त अधिकार प्राप्त होंगे।

ऐतिहासिक गलतियों को सुधारने के रास्ते पर है भारत

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत देश तीन तलाक और धारा-370 जैसी ऐतिहासिक गलतियों को सुधारने के पथ पर है। समान नागरिक संहिता का विधेयक प्रधानमंत्री द्वारा देश को विकसित, संगठित, समरस और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने के लिए किए जा रहे महान यज्ञ में हमारे प्रदेश द्वारा अर्पित की गई एक आहुति मात्र है। यूसीसी के इस विधेयक में जाति, धर्म, क्षेत्र व लिंग के आधार पर भेद करने वाले व्यक्तिगत नागरिक मामलों से संबंधित सभी कानूनों में एकरूपता लाने का प्रयास किया गया है।

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First published on: Feb 07, 2024 07:45 PM

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