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उत्तर प्रदेश / उत्तराखंड

अखिलेश यादव का Facebook अकाउंट Suspend, सपा नेता ने कहा- सभी हदें पार

समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव का फेसबुक अकाउंट अचानक सस्पेंड कर दिया गया है. बताया जा रहा है कि फेसबुक ने बिना किसी चेतावनी या नोटिस के यह कदम उठाया. इस कार्रवाई के बाद सपा नेताओं में आक्रोश है. पार्टी नेता पवन पांडेय ने फेसबुक पर पोस्ट कर कहा कि यह लोकतंत्र की आवाज को दबाने का प्रयास है.

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Avinash Tiwari Updated: Oct 11, 2025 00:06
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का फेसबुक अकाउंट सस्पेंड

समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव का फेसबुक अकाउंट सस्पेंड कर दिया गया है. फेसबुक ने उनके अकाउंट को बंद कर दिया है. दावा किया जा रहा है कि फेसबुक की तरफ से कोई चेतावनी भी नहीं दी गई और सीधे अकाउंट को बैन कर दिया गया. अखिलेश यादव का अकाउंट सस्पेंड होने के बाद सपा नेताओं में आक्रोश देखने को मिल रहा है.

समाजवादी पार्टी के नेता पवन पांडेय ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि फेसबुक ने आज अपनी सभी हदें पार करने की हिम्मत की है, बिना किसी चेतावनी या नोटिस के अखिलेश यादव के ऑफिसियल पेज को निलंबित कर दिया है. ये कोई साधारण खाता नहीं है, उसने भारतीय लोकतंत्र और करोड़ो लोगो की आवाज अखिलेश यादव जी की आवाज को दबाने का कुत्सित प्रयास किया है.

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उन्होंने आगे लिखा कि फेसबुक को अपनी सीमाओं को याद रखना चाहिए, वह लोकतंत्र को चुप नहीं करा सकता. समाजवादियों फेसबुक को होश में लाने का समय आ गया है! ऐसा अहंकार बर्दास्त नहीं किया जाएगा.

बता दें कि सपा मुखिया अखिलेश यादव सोशल मीडिया पर बेहद एक्टिव रहते हैं. फेसबुक पर 8 मिलियन से अधिक फॉलोवर थे. हालांकि उनका यह अकाउंट अब सस्पेंड कर दिया गया है. अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि उनका अकाउंट क्यों सस्पेंड किया गया है. सपा प्रवक्ता फखरुल हसन चांद ने कहा कि देश की तीसरी सबसे ज्यादा लोकसभा सीट जीतने वाली पार्टी के मुखिया का फेसबुक अकाउंट सस्पेंड करना लोकतंत्र के लिए घातक है.

यह भी पढ़ें: ‘कांशीराम को सांसद बनाने में सपा का सहयोग’, मायावती के बयान के बाद अखिलेश यादव ने किया बड़ा दावा

सपा नेता राजीव राय ने कहा कि FACEBOOK द्वारा देश पार्लियामेंट में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी के नेता, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का अकाउंट ब्लॉक करना ना सिर्फ निंदनीय हैं बल्कि भारत के लोकतांत्रिक व्यवस्था पर भी चोट है. अगर ये देश की सत्ता पक्ष के इशारे पर हुआ है तो ये कायरता की निशानी हैं. समाजवादियों की आवाज दबाने की कोशिश करना भूल हैं.

First published on: Oct 10, 2025 10:42 PM

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