Samajwadi Party Akhilesh Yadav: उत्तर प्रदेश के इटावा में कथावाचकों की पिटाई के बाद अखिलेश यादव ने सभी को लखनऊ बुलाकर सम्मानित किया है। अखिलेश यादव ने कथावाचक समेत उनकी टीम में शामिल तीन लोगों को ऑफिस बुलाया, मीडिया के सामने सभी को सम्मानित किया और उनकी कथा भी सुनी। इसके बाद उन्होंने कथा सुनी और 21-21 हजार रुपये भी दिए।
इटावा में जाति पूछकर कथावाचकों की पिटाई की गई थी, उनके साथ अभद्रता भी हुई थी। कथावाचक और एक अन्य की चोटी काटी गई और सिर भी मुंडवा दिया गया। मामले का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसके बाद हड़कंप मच गया था। पुलिस ने चार आरोपियों के गिरफ्तारी की बात कही।
अखिलेश यादव ने सुनी कथा, दिए उपहार
वीडियो शेयर कर पहले अखिलेश यादव ने जोरदार हमला बोला था और अब उन्होंने सभी को पार्टी ऑफिस बुलवाया और सम्मानित किया है। जानकारी के मुताबिक, अखिलेश यादव ने उन्हें ढोलक गिफ्ट की, कथा कहलवाई। इसके बाद कथावाचक और उनके साथियो को मंच पर बुलाकर 21-21 हजार रुपए लिफाफे दिए और 51-51 हजार रुपए देने का ऐलान किया है।
माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव जी की प्रेस वार्ता – 24/06/2025 https://t.co/8Mm6fnWNVB
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कथावाचक ने लगाये थे आरोप
कथावाचक का आरोप था कि पहले उन्हें कथा करने के लिए बुलाया गया और फिर रात में अचानक कुछ लोगों ने हमसे जाति पूछी, हमने बताया कि हम यादव हैं तो हमारे साथ मारपीट की और कहा कि ब्राह्मणों के गांव में आकर कथा करने की हिम्मत कैसे हुई ? इसके बाद हमारे सामान रख लिए, जिसमें ढोल, हारमोनियम शामिल था। इसके साथ गाड़ी की हवा निकाल दी।
“भागवत कथा सबके लिए है, जब सब सुन सकते हैं तो सब बोल क्यों नहीं सकते।”
– माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव जी pic.twitter.com/aZl7hrT7Qb
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उन्होंने आरोप लगाया था कि हमसे वहां मौजूद सभी लोगों के पैर छूने के लिए मजबूर किया गया। इसके बाद हम वहां से किसी तरह निकले। पुलिस ने कार्रवाई का आश्वासन दिया है। हालांकि अब अखिलेश यादव ने कथावाचक और उनके सहयोगियों को सम्मानित किया है।
अखिलेश यादव ने भाजपा पर बोला हमला
वहीं अखिलेश यादव ने कहा कि अगर भाजपा को लगता है कि कथा कहने पर एक वर्ग विशेष का ही अधिकार है तो वो इसके लिए भी कानून बनाकर दिखा दें, जिस दिन पीडीए समाज ने अपनी कथा अलग से कहना शुरू कर दी, उस दिन इन परम्परागत शक्तियों का साम्राज्य ढह जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा राज में PDA समाज को हेय दृष्टि से देखा जाता है। देश के राष्ट्रपति भी हेय दृष्टि का सामना कर चुके हैं। सच तो यह है जैसे-जैसे PDA समाज पर चेतना और जागरूकता बढती जा रही है, वैसे वैसे मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने के लिए PDA समाज पर अत्याचार बढ़ता जा रहा है।