Saharanpur Lok Sabha Seat 2024: देशभर में जहां बीजेपी अपने जीते हुए सांसदों के टिकट काट रही है, वहीं, यूपी की सबसे पुरानी सीट में से एक सहारनपुर पर पार्टी ने पिछले दिनों चौंकाने वाला फैसला लिया। दरअसल, इस सीट से 2019 की मोदी लहर में बीजेपी के टिकट से हारने वाले राघव लखनपाल शर्मा को पार्टी ने फिर से अपना उम्मीदवार बनाया है। हालांकि वह 2014 में इस सीट से पार्टी की टिकट से जीते थे।
NDA इसलिए करेगा 400 पार…
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-केन्द्रीय…
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दलित और मुस्लिम निर्णायक वोट बैंक
जानकारों की मानें तो इस सीट पर दलित और मुस्लिम निर्णायक वोट बैंक हैं। यहां इस्लामिक शिक्षा का केंद्र देवबंद है। आंकड़ों पर नजर डालें तो इस सीट पर 70 फीसदी से अधिक मुस्लिम वोट हैं और 15 फीसदी दलितों मतदाता हैं। साल 2011 की जनगणना के अनुसार इस लोकसभा सीट पर कुल 34 लाख 66 हजार 382 की आबादी है। इस सीट पर सात विधानसभा पड़ती हैं।
पहले ये जानें
साल 1952 में परिसीमन के बाद इस सीट पर पहली बार लोकसभा चुनाव हुआ। 1952 से 1977 तक इस सीट पर लगातार कांग्रेस का उम्मीदवार जीता। इसके बाद 1977 में इस सीट पर जनता पार्टी और फिर साल 1984 में कांग्रेस का प्रत्याशी चुनाव में विजयी रहा। इसके बाद जनता पार्टी, बसपा, बीजेपी अब तक अलग-अलग पार्टी के प्रत्याशी चुनाव जीत चुके हैं। इस सीट में आने वाली सात में से पांच विधानसभाओं पर बीजेपी पार्टी का विधायक है।
प्रत्याशियों को जानें
बहुजन समाज पार्टी
पार्टी ने यहां से माजिद अली को अपना उम्मीदवार बनाया है। 2017 में माजिद ने बसपा की टिकट पर देवबंद विधानसभा से चुनाव लड़ा था, लेकिन वह चुनाव हार गए थे। वर्तमान में माजिद देवबंद क्षेत्र से जिला पंचायत सदस्य हैं। वह कपड़े का व्यवसाय करते हैं। बता दें माजिद की पत्नी तसमीम बानो 2016 में जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी हैं।
ज़िला बिजनौर में नजीबाबाद के मुखत्यारपुर गाँव में सामंती तत्वों द्वारा दलित परिवारों पर प्राणघातक हमले में अनेक लोगों के घायल होने की घटना गंभीर व अति-दुःखद। सरकार एससी/एसटी एक्ट के तहत दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे ताकि चुनावी माहौल न बिगड़े। चुनाव आयोग भी इसका संज्ञान ले।
— Mayawati (@Mayawati) March 26, 2024
भारतीय जनता पार्टी
बीजेपी ने इस सीट से राघव लखनपाल शर्मा को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। राघव साल 2014 में इस लोकसभा सीट से चुनाव जीत थे। इसके बाद 2019 में पार्टी ने फिर उन पर भरोसा जताया, लेकिन मोदी लहर के बीच उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। इस बार तीसरी बार पार्टी ने उन पर भरोसा जताया है। बता दें वह पहली बार सरसावा विधानसभा सीट से उपचुनाव जीते थे। 2002 में वह विधानसभा चुनाव हार गए थे। इसके बाद 2007 और 2012 में वह सहारनपुर शहर सीट से विधायक रहे थे।
कांग्रेस
पार्टी ने इमरान मसूद को यहां से अपना उम्मीदवार बनाया है। 26 मार्च को उन्होंने अपना नामांकन भी भर दिया। वह मुजफ्फराबाद विधानसभा सीट से कांग्रेस के पूर्व विधायक हैं।
क्या कहते हैं आंकड़ें
साल 2019 में सहारनपुर लोकसभा सीट से बसपा के हाजी फजलुर्रहमान ने चुनाव जीता था, उन्हें 514139 वोट प्राप्त हुए थे। दूसरे नंबर पर बीजेपी के राघव लखनपाल रहे थे उन्हें 491722 मत मिले। तीसरे नंबर पर इमरान मसूद रहे थे, उन्हें कुल 207068 वोट मिले थे। इसी तरह साल 2014 के नतीजों पर नजर डालें तो बीजेपी के राघव लखनपाल शर्मा ने 472999 मत प्राप्त कर जीत हासिल की थी।