Uttarakhand News: यूपी के बहराइच, सीतापुर जिले में भेड़ियों ने आंतक मचा रखा है। जिससे हर कोई सहमा हुआ है। 8 बच्चों समेत 9 लोगों को भेड़िये मौत के घाट उतार चुके हैं। उधर, लखीमपुर खीरी में अब एक बाघ का आतंक सामने आया है। पहले भी ऐसे मामले सामने आते रहे हैं। आजादी से पहले 1907 में नेपाल से आई एक बाघिन की कहानी आपको बताते हैं। उत्तराखंड के चंपावत जिले में इस बाघिन की वजह से लोगों ने एक गांव ही खाली कर दिया था। नेपाल सीमा से सटे इलाकों में बाघिन का खौफ था। कहा जाता है कि नेपाल में बाघिन आदमखोर हो गई थी। जिसके बाद नेपाल सरकार ने इसे भारत की ओर खदेड़ दिया था।
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बताया जाता है कि इस खतरनाक बाघिन ने नेपाल और भारत में 436 इंसानों को मार डाला। रात तो क्या? लोग दिन के समय भी घर से बाहर नहीं निकलते थे। लोग रात-रात भर जागकर पहरा लगाते थे। घरों के दरवाजों पर आग लगाई जाती थी। बच्चों के खेलने पर रोक लगा दी गई थी। बताया जाता है कि ये बाघिन इतनी बेखौफ थी कि रात के बजाय दिन के समय शिकार करती थी।
Forest Officials in Uttar Pradesh capture four wolves responsible for seven deaths and 45 injuries. ‘Operation Bhediya’ continues as teams track the remaining wolves with drones and thermal cameras.
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— PB-SHABD (@PBSHABD) August 29, 2024
जिम कॉर्बेट ने किया था आतंक का खात्मा
इस आदमखोर बाघिन को 1907 में मशहूर शिकारी जिम कॉर्बेट ने मार गिराया था। कॉर्बेट को कई प्रयासों के बाद इस खतरनाक बाघिन को मारने में सफलता हाथ लगी थी। इसे ही दुनिया की सबसे खतरनाक बाघिन माना जाता है। बिजनौर में भी 20वीं सदी में एक और बाघिन ने आतंक मचाया था। इस बाघिन के हमले में 15 लोग मारे गए थे। वहीं, जो लोग जिंदा बचे, वे पूरी तरह दिव्यांग हो गए थे।
1930 :: Hunter Jim Corbett Posing With Dead Tiger of Powalgarh pic.twitter.com/IlM1x6clsq
— indianhistorypics (@IndiaHistorypic) April 18, 2021
ये बाघिन दिन के समय ही लोगों को उठा ले जाती थी। 2014 में आदमखोर बाघिन को पकड़ने के लिए विभाग ने काफी प्रयास किए थे। लेकिन आदमखोर की झलक भी नहीं दिखी। शिकार के बाद ये बाघिन इंसान की लाश को काफी दूर ले जाती थी। बाद में इस बाघिन को कई टीमों ने ट्रैक कर मौत के घाट उतारा था।
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