Nanda Devi Mountain Reopening Benefits: उत्तराखंड में टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए नंदा देवी पर्वत को पर्वतारोहण के लिए खोलने की तैयारी चल रही है। नंदा देवी पर्वत और इसके आस-पास का एरिया वर्ष 1983 से बंद है। नंदा देवी पर्वत पर पर्वतारोहण तो पहले से बंद है, लेकिन 1983 से इस पर्वत के आस-पास जाना भी प्रतिबंधित है। ऐसे में अब अगर नंदा देवी पर्वत को पर्वतारोहण के लिए खोल दिया जाता है तो उत्तराखंड के पर्यटन क्षेत्र को विकास के पंख लग जाएंगे, क्योंकि नंदा देवी पर्वत के आस-पास कई ऐसे टूरिस्ट प्लेस हैं, जिनकी खूबसूरती निहारने के लिए टूरिस्ट आने को बेताब हैं। आइए जानते हैं कि नंदा देवी के आस-पास कौन-से टूरिस्ट प्लेस हैं?
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नंदा देवी पर्वत और आसपास की चोटियां
नंदा देवी पर्वत की ऊंचाई 7816 मीटर है, जो भारत की दूसरी सबसे ऊंची चोटी है। यह चोटी अपने आप में आकर्षण का केंद्र है। नंदा देवी तक पहुंचने के बाद टूरिस्ट न केवल नंदा देवी, बल्कि दुनागिरी (7066 मीटर), चंगबंग (6864 मीटर), त्रिशूल (7120 मीटर), नंदा देवी ईस्ट (7434 मीटर), मैक्तोली (6803 मीटर) पर्वतों को भी निहार सकेंगे। यह सभी चोटियां नंदा देवी सैंक्चुअरी को नेचुरल एम्फीथिएटर बनाती हैं। जोशीमठ या नजदीकी गांवों से इन चोटियों का विहंगम दृश्य देखा जा सकता है।
फूलों की घाटी (वैली ऑफ फ्लावर्स)
फूलों की घाटी, नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व का हिस्सा है, जिसमें रंग-बिरंगी अल्पाइन फूलों की प्रजातियां देखने को मिलेंगी। यहां ब्लू पॉपी, मेपल, ब्रह्म कमल, ऑर्किड, प्रिमुला और मैरीगोल्ड फूलों के पौधे देखे जा सकते हैं। जून से अक्टूबर के बीच घाटी फूलों से ढक जाती है। उस समय घाटी परियों की दुनिया जैसी दिखती है। वैली ऑफ फ्लावर्स ट्रैक जोशीमठ से शुरू होकर 3-6 किलोमीटर लंबा रास्ता है।
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नंदा देवी नेशनल पार्क
नंदा देवी नेशनल पार्क जैव विविधता और वन्यजीवों का संरक्षक है। दुर्लभ और संकटग्रस्त प्रजातियों का घर है। नेशनल पार्क में टूरिस्ट हिम तेंदुआ, हिमालयी कस्तूरी मृग, हिमालयी ब्राउन भालू, ब्लू शिप, हिमालयी तहर, हिमालयी मोनाल और 114 से अधिक पक्षियों की प्रजातियां देखने को मिलेंगी। यह पार्क अपनी जैव विविधता के लिए मशहूर है। वन्यजीव फोटोग्राफी के शौकीनों के लिए यह सबसे अच्छी जगह है।
ग्लेशियर और नदियां
नंदा देवी पर्वत खुलने के बाद टूरिस्ट आस-पास के ग्लेशियर और नदियों की खूबसूरती निहार सकेंगे। उत्तरी और दक्षिणी नंदा देवी ग्लेशियर, उत्तरी और दक्षिणी ऋषि ग्लेशियर, त्रिशूल ग्लेशियर, रमानी ग्लेशियर की खूबसूरती भी निहारने लायक है। यह ग्लेशियर और नदियां नंदा देवी के प्राकृतिक दृश्य को और भव्य बनाती हैं। पर्यटक इनके पास ट्रैकिंग करके शानदार नजारों का लुत्फ उठा सकते हैं।
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4 बड़े ट्रैकिंग रूट
नंदा देवी बेस कैंप ट्रैकिंग रूट पर्यटकों का सबसे पसंदीदा ट्रैकिंग रूट रहा है। इस रूट पर जोशीमठ से लाता गांव तक मोटर कार के जरिए जाते हैं और फिर 13 किलोमीटर की पैदल ट्रैकिंग है, जो 4250 मीटर की ऊंचाई तक ले जाती है। वैली ऑफ फ्लावर्स ट्रैकिंग रूट जोशीमठ से शुरू होकर घांघरिया तक और फिर फूलों की घाटी तक जाता है।
हेमकुंड साहिब ट्रैकिंग रूट सिखों के पवित्र तीर्थस्थल हेमकुंड साहिब (4329 मीटर) तक जाता है, जो बेहद खूबसूरत हाई-एल्टिट्यूड झील के किनारे बना तीर्थ स्थल है। रूपकुंड ट्रैकिंग रूट रहस्यमयी कंकाल झील के लिए प्रसिद्ध है। यह चारों ट्रैकिंग रूट घने जंगलों और हिमालयी चोटियों के दर्शन कराते हैं, लेकिन ट्रैकिंग के लिए परमिट जरूरी है और अधिकतम 5 लोगों का ग्रुप गाइड के साथ ट्रैकिंग पर जा सकता है।
सांस्कृतिक और धार्मिक स्थल
जोशीमठ और अल्मोड़ा में नंदा देवी का मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र हैं। नंदा देवी को उत्तराखंड की कुलदेवी माना जाता है। हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा सिखों का पवित्र तीर्थस्थल, जो नंदा देवी क्षेत्र के पास है। बद्रीनाथ मंदिर नंदा देवी नेशनल पार्क के नजदीक है और यह हिंदुओं का पवित्र तीर्थस्थल है। जोशीमठ नंदा देवी पर्वत का प्रवेश द्वार है, जहां आदि बद्री मंदिर, नरसिंह मंदिर और शंकराचार्य मठ जैसे धार्मिक स्थल हैं।