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उत्तर प्रदेश / उत्तराखंड

मुस्लिम–दलित समीकरण साधने में जुटीं मायावती, सपा के पीडीए के तोड़ में निकाला एमडीए, जानें इसके मायने

Mayawati launched MDA Muslim Dalit equation: बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने भाईचारा कमेटी की आपात बैठक बुलाकर मुस्लिम–दलित समीकरण साधने की रणनीति तय की. साथ ही, अखिलेश यादव के पीडीए को चुनौती देने के लिए एमडीए का ऐलान किया. लखनऊ से मानस श्रीवास्तव की रिपोर्ट

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Vijay Jain Updated: Oct 29, 2025 15:50
Mayawati MDA counter Akhilesh Yadav PDA

Mayawati launched MDA Muslim Dalit equation: बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने आज लखनऊ में पार्टी की भाईचारा कमेटी की अहम बैठक बुलाई. बैठक में बसपा के वरिष्ठ नेताओं, मंडल संयोजकों और अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया. मायावती ने संगठन को जाति–धर्म के दायरे से ऊपर उठकर भाईचारे के सिद्धांत पर चलने का संदेश दिया, लेकिन इसके राजनीतिक मायने साफ हैं बसपा मुस्लिम–दलित गठजोड़ एमडीए को मजबूत कर सपा के पीडीए यानी पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक फार्मूले को चुनौती देने की तैयारी में है.

2027 विधानसभा चुनाव की रणनीति का ब्लूप्रिंट

बैठक में मायावती ने आगामी 2027 विधानसभा चुनावों के लिए संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत करने का खाका पेश किया. उन्होंने कहा कि पार्टी अब सिर्फ बयानबाजी नहीं, बल्कि सक्रिय जनसंपर्क अभियान चलाएगी. मायावती ने हर मंडल में एक मुस्लिम और एक दलित संयोजक को संयुक्त रूप से भाईचारा कमेटी की जिम्मेदारी देने का निर्देश दिया. इन कमेटियों को विधानसभा स्तर तक बैठकों का आयोजन कर स्थानीय समुदायों को जोड़ने और ग़लतफहमियों को दूर करने का काम सौंपा गया है. बैठक में मायावती ने कार्यकर्ताओं से कहा कि बसपा हर वर्ग को साथ लेकर चलेगी, लेकिन किसी के दबाव में नहीं. हमारी राजनीति सामाजिक सम्मान और बराबरी पर आधारित है.

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मुस्लिम मतदाताओं पर विशेष फोकस

बैठक के दौरान मायावती ने साफ कहा कि बसपा को अल्पसंख्यक वर्ग के बीच अपनी सक्रियता बढ़ानी होगी. उन्होंने कहा कि मुस्लिम समाज को भ्रमित करने की कोशिश कई दल कर रहे हैं, लेकिन बसपा ही उनका सच्चा राजनीतिक साझीदार बन सकती है. मायावती ने पार्टी कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया कि वे बूथ स्तर तक जाकर मुस्लिम समाज से संवाद बढ़ाएं और उन्हें पार्टी से जोड़े , मायावती की ये रणनीति सपा के पारंपरिक मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश के रूप में देखी जा रही है. बसपा की यह पहल भाजपा के ध्रुवीकरण और सपा के पीडीए समीकरण, दोनों को सीधी चुनौती देती है.

दलित–मुस्लिम गठजोड़ को फिर से मजबूत करने की कवायद

बसपा लंबे समय से जिस दलित–मुस्लिम सामाजिक गठजोड़ के सहारे सत्ता में पहुंचती रही है उसे फिर से मजबूत करने का प्रयास एक बार फिर साफ तौर पर दिखाई दे रहा है. मायावती ने कार्यकर्ताओं से कहा कि भाईचारा कमेटी केवल औपचारिक न रहे, बल्कि दोनों समुदायों के बीच विश्वास और संवाद का सेतु बने. उन्होंने कहा कि पार्टी को हर मंडल में ऐसा वातावरण बनाना होगा जहां दलित और मुस्लिम समाज एक दूसरे के मुद्दों को अपनी लड़ाई समझें.

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सपा और भाजपा पर अप्रत्यक्ष हमला

बैठक के दौरान मायावती ने बिना नाम लिए सपा और भाजपा दोनों पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि एक तरफ कुछ दल भाईचारे की बात सिर्फ चुनाव के समय करते हैं, वहीं दूसरी तरफ कुछ सरकारें समाज को बांटने का काम कर रही हैं. उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि वे इन दोनों से सावधान रहें और बसपा के मिशन पर केंद्रित रहें.

संगठनात्मक सक्रियता की नई योजना

हर मंडल में दो भाईचारा कमेटियां बनाई जाएंगी — एक दलित, एक मुस्लिम संयोजक के साथ. विधानसभा स्तर तक संवाद बैठकों का कार्यक्रम तय किया गया. बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं को घर-घर सदस्यता अभियान की जिम्मेदारी दी गई. सोशल मीडिया पर भाईचारा मिशन अभियान शुरू करने की तैयारी.

भाईचारा सिर्फ नारा नही पार्टी की पहचान बने

बसपा की यह बैठक सिर्फ संगठनात्मक नहीं, बल्कि राजनीतिक संदेश देने वाली रही. मायावती ने यह स्पष्ट किया कि पार्टी फिर से सामाजिक न्याय और सम्मान की राजनीति के एजेंडे पर लौट रही है. यदि बसपा इस रणनीति को ज़मीन पर उतारने में सफल रहती है, तो यह उत्तर प्रदेश की सियासत में इंडिया और एनडीए दोनो गठबंधन से अलग एक तीसरा ध्रुव तैयार हो जाएगा , आज की बैठक ने साफ कर दिया कि मायावती अब पूरी तरह से पार्टी को नए तेवर के साथ खड़ा करने की कोशिश कर रही है जहां भाईचारा केवल नारा नहीं, बल्कि बसपा की संगठनात्मक पहचान बनकर उभरे इस दिशा में काम किया जाए

First published on: Oct 29, 2025 03:49 PM

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