लल्लनटाॅप की एक रिपोर्ट के अनुसार झूसी में भगदड़ वाली जगह से कपड़े, जूते और बोतलों के ढेर को ट्रैक्टरों द्वारा वहां से हटाया जा रहा था। वहां मौजूद लोगों ने बताया कि कई लोग भगदड़ की चपेट में आए थे। झूसी के हल्दीराम कियोस्क की नेहा ओझा ने बताया कि भगदड़ के समय वहां पुलिस की ओर से कोई नजर नहीं आया। बाद में पुलिस पहुंची और लोगों को वीडियो बनाने से रोक दिया। एक अन्य प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि उसने कई लोगों को भीड़ द्वारा कुचलते हुए देखा गया। उसने कहा कि वहां कोई भी मदद करने वाला नहीं था।
हालांकि इस घटना पर प्रशासन काफी बाद में सक्रिय हुआ। महाकुंभ के डीआईजी वैभव कृष्ण सामने आएं उन्होंने कहा झूसी में किसी प्रकार की घटना नहीं है। भगदड़ पर केवल संगम नोज पर हुआ। उन्होंने झूसी की घटना से इंकार कर दिया।
झूंसी में जो दूसरी घटना हुई उसपर मेले के DIG ने 2 अलग-अलग बयान दिए हैं, इसे कैसे समझा जाए?
---विज्ञापन---सवाल नंबर 1: क्या झूंसी में भगदड़ मची?
DIG: पुलिस के पास ऐसी कोई जानकारी नहीं है.
सवाल नंबर 2: प्रत्यक्षदर्शी बता रहे है झूंसी में प्रशासन नहीं पहुंचा?
DIG: ऐसा नहीं हैं, प्रशासन हर जगह… pic.twitter.com/7LR0jYiFQ8
— Lalit Yadav (@lalityadav901) January 30, 2025
लोगों ने बैरिकेड्स तोड़े
बता दें कि संगम पहुंचने के लिए झूसी से होकर जाना पड़ता है। संगम नोज के पास हुई भगदड़ के कुछ घंटों बाद ही झूसी पर भी भगदड़ हुई थी। प्रयागराज के रहने वाले एक युवक ने बताया कि भीड़ इतनी ज्यादा थी कि वह पूरी तरह नियंत्रण से बाहर हो गई। लोगों ने बैरिककेड्स तोड़ना शुरू कर दिया था। चारों ओर से श्रद्धालु आ रहे थे, सड़कें ब्लाॅक थीं और पैदल चलने के लिए जगह नहीं थी।
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15-20 लोगों ने फैलाई अराजकता
लल्लनटाॅप की रिपोर्ट के अनुसार एक साधु ने बताया कि एक बस यहां आकर रुकी। करीब 15-20 युवक बस से उतरे और जानबूझकर अराजकता फैलाई, जिससे भगदड़ मच गई। उन्होंने बैरियर तोड़ दिया और धक्का मुक्की शुरू कर दी। बैरियर के गिरते ही भीड़ भी बेकाबू हो गई और लोग एक-दूसरे को कुचलते हुए आगे बढ़ गए।
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