Lakhimpur Kheri Violence Case: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को आशीष मिश्रा को शर्तों के साथ आठ हफ्तों की अंतरिम जमानत दी है। बता दें कि एक हफ्ते पहले सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में लखीमपुर खीरी मामले (Lakhimpur Kheri Case) को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई थी।
Supreme Court grants interim bail for eight weeks to Ashish Mishra in the Lakhimpur Kheri violence case with conditions. pic.twitter.com/I2KnoES8J0
— ANI (@ANI) January 25, 2023
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सुप्रीम कोर्ट ने रखी हैं ये शर्तें
सुप्रीम कोर्ट ने आशीष मिश्रा को अपनी लोकेशन के बारे में संबंधित कोर्ट को सूचित करने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि आशीष मिश्रा या उनके परिवार द्वारा गवाहों को प्रभावित करने और मुकदमे में देरी करने की कोशिश करने पर उनकी जमानत रद्द हो सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने आशीष मिश्रा को इस शर्त पर अंतरिम जमानत दी है कि वह दिल्ली और उत्तर प्रदेश के एनसीटी में नहीं रहेंगे और जमानत पर रिहा होने के एक सप्ताह बाद वह उत्तर प्रदेश छोड़ देंगे।
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प्रदेश सरकार कर रही थी जमानत का विरोध
समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक, उत्तर प्रदेश सरकार लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में अभियुक्त आशीष मिश्रा की जमानत याचिका का विरोध कर रही थी। साथ ही अदालत को चार्जशीट के बारे में जानकारी उपलब्ध कराई थी कि मामले में गवाहों ने कहा है कि आशीष मिश्रा मौके से भाग रहे थे।
प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि कथित अपराध गंभीर प्रकृति के थे। ऐसे मामलों में जमानत देने से समाज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है, इसलिए आशीष मिश्रा को जमानत नहीं मिलनी चाहिए।
3 अक्टूबर को हुई थी लखीमपुर खीरी में हिंसा
जानकारी के मुताबिक पिछले साल 3 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में में हिंसा के दौरान आठ लोगों की मौत हो गई थी। यह घटना उस वक्त हुई थी जब किसान यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के दौरे का विरोध कर रहे थे। मुकदमे के अनुसार चार किसानों को एक एसयूवी कार ने कुचल दिया, जिसमें आशीष मिश्रा बैठे थे।
घटना के बाद गुस्साए किसानों ने चालक और दो पार्टी कार्यकर्ताओं की कथित तौर पर पीट-पीटकर हत्या कर दी। केंद्र सरकार की ओर से उस वक्त लाए गए कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ विपक्षी दलों और किसान समूहों में आक्रोश था। इसी के तहत आंदोलन के दौरान हुई हिंसा में एक पत्रकार की भी मौत हुई थी।
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