Greater Noida News: यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) ने अपने सेक्टरों में तेजी से बसावट सुनिश्चित करने के लिए एक बार फिर कमर कस ली है। प्राधिकरण के सीईओ राकेश कुमार सिंह ने सोमवार को नियोजन विभाग के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक कर निर्माण कार्यों में तेजी लाने और स्वीकृति प्रक्रियाओं को समयबद्ध ढंग से पूरा करने के निर्देश दिए।
शहरी विकास हो रहा प्रभावित
बैठक में सीईओ ने स्पष्ट कहा कि खाली भूखंडों पर निर्माण न होने से न केवल शहरी विकास प्रभावित हो रहा है बल्कि करोड़ों रुपये की लागत से बने सीवर, सड़कें और जलापूर्ति प्रणाली होने की तरफ है। ऐसे में सभी संबंधित अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि मानचित्र स्वीकृति और पूर्णता प्रमाण पत्र (सीसी) जारी करने में 15 दिन की तय समय-सीमा का पूरी ईमानदारी से पालन किया जाए।
एक ही बार में दर्ज हो आपत्तियां
सीईओ ने इस बात पर नाराजगी जताई कि आवंटियों को बार-बार आपत्तियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि एक ही बार में सभी आपत्तियां दर्ज की जाएं ताकि उनका समाधान समय पर किया जा सके। इससे न केवल आवंटियों की परेशानी कम होगी, बल्कि निर्माण कार्यों में भी गति आएगी।
आवंटियों से मांगी निर्माण योजना
प्राधिकरण ने उन भूखंड आवंटियों को नोटिस भेजने शुरू कर दिए हैं जिन्होंने अब तक निर्माण कार्य शुरू नहीं किया है। उनसे निर्माण कार्य की स्पष्ट योजना और समय-सीमा मांगी गई है। प्राधिकरण का कहना है कि जिन भूखंडों पर लंबे समय से निर्माण नहीं हुआ, वहां की समीक्षा कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
कितनी स्वीकृति मिली?
यीडा की जांच में अब तक विभिन्न श्रेणियों में 1,962 मानचित्र स्वीकृति के आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 1,710 को स्वीकृति दी जा चुकी है। आवासीय श्रेणी में 1,521 में से 1,383 आवेदन स्वीकृत हुए है। औद्योगिक श्रेणी में 379 में से 288 को स्वीकृति दी गई है। इसी प्रकार पूर्णता प्रमाण पत्र के लिए कुल 1,077 आवेदन प्राप्त हुए है, जिनमें से 916 को मंजूरी मिल चुकी है। आवासीय श्रेणी में 1,036 में से 899 को पूर्णता प्रमाण पत्र मिला है।
वर्षों बाद भी वीरान हैं सेक्टर
यीडा ने 2009 से अब तक औद्योगिक, आवासीय, संस्थागत, ग्रुप हाउसिंग और वाणिज्यिक श्रेणियों में हजारों भूखंडों का आवंटन किया है। इसके बावजूद अधिकतर सेक्टर आज भी सुनसान हैं। आवंटन के बावजूद निर्माण नहीं होने के कारण न तो आबादी बढ़ी और न ही शहर का माहौल बना।
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