यूपी के गाजियाबाद में फेक दूतावास चलाने के मामले में गिरफ्तार आरोपी हर्षवर्धन के बारे में पुलिस नए-नए खुलासे कर रही है। इस बीच पूछताछ के बाद धोखाधड़ी के महाठग हर्षवर्धन ने कई बड़े खुलासे किए हैं। पूछताछ के बाद 2 ऐसे नामों की कुंडली खंगालने में STF की टीमें जुट गई हैं, जिनके तार दुबई में फैले हैं। पुलिस दुबई कनेक्शन का पता लगाने की कोशिश कर रही है। क्योंकि हर्षवर्धन जैन ने अपनी जालसाजी की शुरुआत दुबई से की थी। यूपी एसटीएफ को फर्जी एंबेसी मामले में कई ऐसे दस्तावेज हाथ लगे हैं, जिनकी मदद से करोड़ों की धोखाधड़ी में शामिल दुबई के कुछ नए नामों की कुंडली खंगालने में जुटी है।
विदेशों में काम दिलाने के नाम पर शुरू की दलाली
दरअसल, हर्षवर्धन जैन 2006 में अपने चचेरे भाई के पास दुबई चला गया था। दुबई में उसके भाई ने उमालकुइन नाम के शहर में इसकी रहने की व्यवस्था कर दी। आरोपी को वहां पर कई भारतीय लोग मिले, जिनमें पहले शफीक नाम के शख्स से उसकी मुलाकात हुई, जो हैदराबाद का रहने वाला था। वहीं, दूसरा शफीक इब्राहिम अली बिन मिला, जो दुबई का ही रहने वाला था। इन तीनों ने मिलकर कई कंपनियां बनाकर उन लोगों से कांटेक्ट करते थे, जिन्हें विदेशों में नौकरियों की चाहत होती है। इन्होंने विदेशों में काम दिलाने के नाम पर दलाली शुरू कर दी।
दलाली से कमाया बहुत पैसा
शफीक और इब्राहिम का दुबई में अच्छा नेटवर्क था और हर्षवर्धन को इनकी मदद से काफी पैसा हासिल होने लगा। जिसके बाद हर्षवर्धन जैन गल्फ और अफ्रीकी देशों में जाने लगा। ताकि ये अपना नेटवर्क उन देशों में स्थापित कर सके। वहां पर भी इसने दलाली के काम से बहुत पैसा कमाया। साल 2011 में हर्षवर्धन जैन वापस भारत आ गया।
इन कंपनियों के नाम पर फैलाया धोखाधड़ी का नेटवर्क
भारत आने से पहले इसने कुछ साजिश ऐसी बनाई कि ये 2012 में SEBORGA नामक एक माइक्रोनेशन देश का एडवाइजर बना बैठा, जिसके बाद कई देशों के बड़े नामों के साथ जुड़ने पर ये 2016 में वेस्ट आर्कटिका का अवैतनिक राजदूत बना बैठा और फिर POULBIA LODONIA माईक्रोनेशन से भी इसने एम्बेसडर का पद लिया था। कई कंपनियों और नौकरी देने के नाम पर पोसा लेकर जालसाजी करने लगा। इन सभी पदों का इस्तेमाल कर कंपनियों और प्राइवेट लोगों को काम दिलाने के नाम पर दलाली और धोखाधड़ी करने लगा। अब STF इसके इर्द-गिर्द बने धोखाधड़ी के नेटवर्क का पता लगाने के लिए 5 दिन की कस्टडी में पूछताछ करेगी। पुलिस आरोपी को गाजियाबाद में बनाई फर्जी एंबेसी में भी ले जा सकती है।
ये भी पढ़ें- गाजियाबाद के डीएम बने रविन्द्र मंदर, दीपक मीणा को गोरखपुर का बनाया गया जिलाधिकारी