उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के एक गांव में गौतस्कर पहुंच गए. ग्रामीणों ने देख लिया, शोर मचाया तो सभी ने उन्हें खदेड़ लिया. इस दौरान उनकी एक गाड़ी फंस गई लेकिन गौतस्कर अपने साथ 19 साल के एक छात्र को जबरन उठा ले गए. चलती गाड़ी से उसे नीचे फेंक दिया और उसकी मौत हो गई. इस घटना के बाद लोगों में प्रशासन के खिलाफ आक्रोश देखने को मिला. पुलिस और ग्रामीणों के बीच कहासुनी और धक्कामुक्की भी हुई लेकिन अब इस मामले में बड़ा एक्शन हुआ है.
प्रशासन ने जंगल धूषण चौकी के सभी पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया है. चौकी प्रभारी समेत पूरी चौकी सस्पेंड हो गई है. इसके साथ ही सभी पुलिसकर्मियों के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश भी दे दिए गए हैं.
क्या है पूरी घटना?
घटना को लेकर कहा जा रहा था कि पशु तस्करों ने गोली मारकर 19 साल के दीपक की जान ले ली लेकिन पुलिस का कहना है कि गोली चलने का कोई सबूत अभी तक नहीं मिला है. घटना को लेकर एसएसपी गोरखपुर राज करण नैय्यर ने बताया कि पिपराइच थाना क्षेत्र में सुबह 3 बजे एक गांव में पशु तस्कर 2 गाड़ियों में आए थे जिनमें से एक गाड़ी गांव में फंस गई थी जिससे तस्कर भाग निकले. दूसरी गाड़ी का गांव के एक युवक के द्वारा पीछा किया गया. युवक के सिर पर चोट आई और उसकी मौत हो गई. सुसंगत धाराओं में मामला दर्ज करके पोस्टमार्टम कराया जा रहा है.
अखिलेश यादव ने बोला हमला
गोरखपुर में हुई इस घटना को लेकर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर लिखा कि गोरखपुर में शासनिक-प्रशासनिक मिलीभगत से सत्ता संरक्षित पशु तस्करों के खिलाफ जनता का जो गुस्सा फूटा है, उसकी जिम्मेदार भाजपा सरकार खुद है. जिन पशु तस्करों ने युवक की जान ले ली है उनको बचाने के लिए पुलिस आएगी तो तस्करी के इस कुकृत्य में सत्ताधारियों की सांठगांठ का भंडाफोड़ होगा ही और जनता आक्रोशित भी होगी.
उन्होंने कहा कि अगर उप्र के ‘मुख्यनगर’ में ऐसा हो रहा है तो इसका मतलब है कि इस गोरखधंधे में किसी की मुख्य साझेदारी है या उसके हाथ से ये नगर भी निकल गया है और पूरे उप्र की तरह यहां भी अपराध चरम पर है और यहां भी अपराधियों का ही सिक्का चल रहा है. दोनों हालातों में ये ‘मुख्य नाकामी’ है। मृतक के पीड़ित परिजनों को न्याय मिले. भाजपा जाए तो इंसाफ आए.