18 सितंबर 2022 की रात ऋषिकेश के वनतंत्रा रिसॉर्ट में 19 वर्षीय रिसेप्शनिस्ट अंकिता भंडारी की हत्या कर दी गई थी। इस मामले का मुख्य आरोपी पुलकित आर्य, पूर्व भाजपा नेता विनोद आर्य का बेटा है। पुलकित सहित तीन आरोपियों को 30 मई 2025 को उत्तराखंड के पौड़ी जिले की एक अदालत ने दोषी करार देते हुए आजीवन कठोर कारावास की सजा सुनाई है।
वीडियो में दिखा आरोपी का बेहूदा व्यवहार
सजा सुनाए जाने के बाद का एक वीडियो सामने आया है, जिसे समाचार एजेंसी ANI ने साझा किया है। वीडियो में पुलकित आर्य हंसता हुआ और लोगों को हाथ हिलाते हुए नजर आ रहा है। उसका यह व्यवहार बताता है कि उसे अपने किए पर कोई पछतावा नहीं है। वह बेशर्मी से लोगों की ओर हाथ हिला रहा था, मानो कोई प्रशंसा पाने वाला कार्य किया हो।
क्या है पूरा मामला?
पुलिस के अनुसार, अंकिता भंडारी ने रिसॉर्ट में आने वाले कुछ मेहमानों को “अतिरिक्त सेवाएं” देने से इनकार कर दिया था। इस पर पुलकित आर्य और उसके दो साथियों — सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता ने उसकी हत्या कर दी। तीनों आरोपियों ने अपराध स्वीकार किया था। 24 सितंबर 2022 को अंकिता का शव चिल्ला नहर से बरामद किया गया था।
आया अदालत का फैसला
30 मई को पुलकित आर्य को आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 201 (साक्ष्य छिपाना), 354 ए (महिला के साथ छेड़छाड़ और उसकी गरिमा को ठेस पहुंचाना) और अनैतिक तस्करी अधिनियम के तहत दोषी पाया गया। पुलकित के अलावा अन्य आरोपियों सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता पर हत्या, साक्ष्य छिपाने और अनैतिक तस्करी अधिनियम के तहत आरोप लगाए गए और अदालत ने इस मामले में उन्हें दोषी पाया।
#WATCH | Pauri Garhwal, Uttarakhand | The three accused in the Ankita Bhandari murder case, Pulkit Arya, Saurabh Bhaskar and Ankit Gupta, are being taken to jail after the Kotdwar Court sentenced the three accused to rigorous life imprisonment pic.twitter.com/u2L7S9Jsxf
— ANI (@ANI) May 30, 2025
पुलिस पर भी उठे थे सवाल
मामला उजागर होने के बाद पूरे देश में आक्रोश फैल गया था। आरोपी के सत्ताधारी दल से संबंधों के कारण मामला और भी विवादास्पद हो गया। भारी दबाव के बाद पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार किया। इसके बाद जिला प्रशासन ने रिसॉर्ट के एक हिस्से को गिरा दिया।
हालांकि, पुलिस पर आरोप लगे कि उन्होंने सबूतों को नष्ट करने की कोशिश की। उल्लेखनीय है कि पुलकित आर्य के पिता विनोद आर्य को उस समय की भाजपा सरकार में राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त था। विवाद बढ़ने के बाद भाजपा ने विनोद आर्य और उनके बेटे को पार्टी से निष्कासित कर दिया।