Rajasthan Politics: राजस्थान में इन दिनों मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच सियासी बयानों की जंग तेज हो गई है। पूर्व सीएम गहलोत जहां रोजाना तीन-चार ट्वीट कर बीजेपी सरकार और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को घेरने में लगे हैं, वहीं सीएम शर्मा ने अब खुला चैलेंज किया है कि गहलोत अगर चाहें तो सार्वजनिक मंच पर बहस कर ले सकते हैं, ताकि यह स्पष्ट हो जाए कि पिछले डेढ़ साल में बीजेपी सरकार का कामकाज कांग्रेस के पांच साल के शासन से कहीं बेहतर रहा है।
जनता को बरगलाने का काम ना करें- सीएम
सीएम भजन लाल शर्मा ने कहा कि वह (गहलोत) कह रहे हैं कि बिजली नहीं आ रही है। मैं पूछता हूं कि कहां नहीं आ रही। आपका रिकॉर्ड भी उठा कर देख लीजिए, हमारा भी देख लीजिए। उन्होंने 5 साल में कितनी बिजली उत्पादन की है और हमने डेढ़ साल में कितना बनाकर कनेक्शन देना शुरू कर दिया है। जरा आंकड़े तो मंगा लीजिए। आप ट्वीट करते हैं। मैं आपसे स्पष्ट करना चाहता हूं जनता को बरगलाने का काम ना करें। मैं उनसे कहना चाहता हूं कि खुले मंच पर आ जाइए। 5 साल का हिसाब और डेढ़ साल का हिसाब यदि 5 साल से ऊपर नहीं जाए तो बता दीजिएगा।
बीजेपी के मंत्रियों के पास छापे मारने का अधिकार?- अशोक गहलोत
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर मंत्रियों के सीधे जाकर छापे मारने की कोई परंपरा है, तो सभी मंत्रियों और स्वयं मुख्यमंत्री को भी ऐसा ही करना चाहिए था। ऐसा नहीं होता, क्योंकि जब भी कोई शिकायत आती है तो पहले ब्यूरोक्रेसी और संबंधित अधिकारी इसकी पुष्टि करते हैं, और फिर एंटी करप्शन ब्यूरो जैसी संस्थाएं मौके पर जाकर छापेमारी करती हैं। यह तरीका या यह परंपरा किसी भी मंत्री के लिए उचित नहीं है। अगर बीजेपी के मंत्रियों को उनके आलाकमान ने स्वयं छापे मारने की हरी झंडी दी है, तो सभी मंत्रियों को अपने-अपने विभाग से जुड़े स्थानों पर एक साथ छापे मारने चाहिए। इससे बेहतर गुड गवर्नेंस का और क्या उदाहरण होगा?
पहली पर सीएम ने आरोपों पर दिया जवाब
पिछले डेढ़ साल में यह देखा गया है कि सीएम भजनलाल शर्मा प्रेस कॉन्फ्रेंस या मीडिया में बयान जारी करके अपनी सरकार के खिलाफ लगे आरोपों का सीधा जवाब देने से बचते रहे हैं। प्रशासनिक अनुभव में तेजी से पारंगत होते रहे हैं। अब उन्होंने सीधा रुख अपनाते हुए छोटे बड़े कांग्रेस नेताओं को जवाब देने के बजाय पूर्व सीएम अशोक गहलोत को खुले मंच पर बहस करने की चुनोती दी है।