जोधपुर से लोकेश व्यास की रिपोर्टः राजस्थान सरकार की ओर से राइट टू हेल्थ बिल को विधानसभा में पेश किए जाने के बाद प्रदेश के डॉक्टर पिछले 10 दिनों से हड़ताल पर चल रहे हैं। सरकार की ओर सरकारी अस्पतालों में अव्यवस्थाओं से निपटने के लिए इंटर्न डॉक्टर मेडिकल ऑफिसर व सीनियर डॉक्टर इमरजेंसी आपातकालीन सेवा के लिए अस्पतालों में नियुक्त किया गया है।
डॉक्टर की हड़ताल से होने वाली परेशानियों को लेकर अस्पतालों में पहुंच रहे मरीजों को कहना है कि धरती के भगवान को गरीबों के हक का विरोध नहीं करना चाहिए।
मरीज बोले- हमारा हक क्यों छीन रहे हो
जोधपुर के उम्मेद अस्पताल में 200 किलोमीटर दूर से पहुंचे उपचार के लिए मरीज के परिजन ने बताया कि में अपने बेटे की बहू को लेकर यहां पर उपचार के लिए आया हूं यहां पर डॉक्टर हड़ताल पर है। लेकिन वरिष्ठ डॉकर व अन्य डॉक्टर यहां पर उपलब्ध है। उपचार तो हो रहा है।
डॉक्टरों की हड़ताल का मुझे पता चला गरीबों के स्वास्थ्य लाभ के अधिकार के विरोध में हड़ताल पर हैं। उनको तो सरकार रुपए दे ही रही है। तो वो इस बिल का विरोध करके क्यों हड़ताल पर हैं हम गरीबों का हक क्यों छीन रहे हैं।
डाॅक्टर बोले- हमारा काम मरीजों का उपचार करना
जोधपुर के उम्मेद अस्पताल की डाॅक्टर रंजना देसाई ने बताया कि रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर हैं। लेकिन अस्पताल में आम दिनों की तरह लगातार मरीजों का उपचार किया जा रहा है। प्रतिदिन 50 डिलीवरी करवाई जा रही है। इसके लिए हमने मेडिकल ऑफिसर, इंटर डॉक्टर एआरजी व अन्य स्टाफ को तैनात किया गया है।
हम यह नहीं देख सकते कि हमारे सामने मरीज तड़पता हुआ आए हम उसे उपचार नहीं करें। हमारा काम है मरीजों का उपचार करना। जो कि हमारे यहां पर उपचार किया जा रहा है।
इलाज नहीं मिलने से मरीज हो रहे परेशान
राजस्थान सरकार के राइट टू हेल्थ बिल को लेकर प्रदेश के निजी अस्पताल व रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर हैं। इससे अस्पतालों में पहुंचने वाले मरीजों को सही उपचार नहीं मिल पा रहा है। जिससे मरीज भी परेशान हैं। मरीजों का कहना है। सरकार का यह बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है। लेकिन यह डॉक्टर जो कि भगवान का दूसरा रूप है। इन्हें अस्पतालों में उपचार करना चाहिए ना की सड़कों पर उतर कर हड़ताल करनी चाहिए।